कोरोना की तीसरी लहर के डर के बीच आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का स्वास्थ्य रक्षा क्षेत्र में सर्वोत्तम तकनीक अपनाने पर खासा जोर

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जुलाई, स्वास्थ्य रक्षा और चिकित्सा की प्राचीन पद्धति, आयुर्वेद इंडस्ट्री, काफी तेजी से नए-नए वैज्ञानिक उपकरणों और मेडिकल तकनीक को अपना रही है, जिसमें चिकित्सा की मौलिक प्रक्रियाएं और थ्योरी बरकरार रहेगी। भारत की प्रमुख आयुर्वेदिक फर्म वैद्यरत्नम ग्रुप के केरल स्थित मुख्यालय में आयोजित दो दिवसीय वर्चुअल कॉन्फ्रेंस में नई दिल्ली की ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ आयुर्वेद (एआईआईए) की डॉ. तनूजा नेसारी ने कहा, “कोरोना का तीसरी लहर की आशंका और बच्चों पर पड़ने वाले उसके संभावित प्रभाव को देखते हुए परंपरागत चिकित्सा पद्धति के चिकित्सक आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल पर ज्यादा से ज्यादा जोर कर रहे हैं, जिसमें एमआरआई, सीटी स्कैन, वेंटिलेटर्स, आरटी-पीसीआर टेस्ट समेत चिकित्सा पद्धति की अन्य प्रणालियां शमिल हैं।“

उन्होंने कहा, “आयुर्वेद की ताकत रोकथाम और बचाव में है। अगर हम छोटे-छोटे बच्चों को कोरोना से संक्रमित होने से बचा पाए तो यह बहुत बड़ी उपलब्धि होगी। तकनीक की मदद से परंपराओं के बीच तालमेल कायम रखते हुए चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देना नई सामान्य स्थिति है, जिसको हमें आगे ले जाना है।“ इस वर्चुअल कॉन्फ्रेंस का आयोजन वैद्यरत्नम ग्रुप की ओर से अपने संस्थापक की याद में आयोजित कार्यक्रमों के हिस्से के रूप में किया गया।

डॉ. नेसारी ने कहा, एआईआईए के कोविड केयर सेंटर पर कोरोना का इलाज करा रहे 99.99 फीसदी मरीजों की काफी बड़ी संख्या पूरी तरह से ठीक हो गई है।
कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन कोरोना मरीजों की चिकित्सा पर अपने अनुभव को साझा करते हुए डॉ. नेसारी ने कहा कि इस सेंटर पर हर मरीज का आधुनिक तकनीक से इलाज करने के साथ-साथ योग, संतुलित आहार और जीवनशैली और मनोरंजन से भी उन्हें पूर्ण रूप से स्वस्थ होने में पूरा सहयोग दिया जाता है।

उन्होंने कहा, “इसलिए हमने आयुर्वेद की अवधारणा का मूल तत्व, प्रमुख सिद्धांत और आयुर्वेद की चिकित्सा प्रणालियों को बरकरार रखा है। हमने अपना संपूर्ण ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल विकसित किया है। इसे मरीजों की जांच के परंपरागत बायो-मेडिकल उपकरणों, जैसे एमआरआई, सीटी स्कैन, वेंटिलेटर, आरटी-पीसीआर टेस्ट और ऑक्सिजन थेरेपिस्ट की ओर से पूरा सहयोग प्रदान किया जाता है। मुझे यह कहते हुए वाकई गर्व महसूस हो रहा है कि इस केंद्र में भर्ती हुए कोरोना के 99.99 फीसदी मरीज इलाज के बाद पूरी तरह ठीक हो गए हैं।

वैद्यरत्नम ग्रुप के निदेशक अष्टवैद्यन डॉ. ई. टी. नीलकंधन मूस ने कहा, “विज्ञान की अन्य धाराओं की उपलब्धियों के विवेकपूर्ण प्रयोग ने आयुर्वेद को ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर मान्यता दिलाने में मदद की है, जहां “परंपरागत चिकित्सा के टैग को साक्ष्यों पर आधारित चिकित्सा के टैग से बदल दिया जाता है। उन्होंने वैद्यरत्नम आयुर्वेद रिसर्च इंस्टिट्यूट (वीएआरआई) का ऐसी जगह के रूप में वर्णन किया है, जहां आयुर्वेद और आधुनिक तकनीक का एकीकरण किया जाता है। “मियावाकी” तरीके से आयुर्वेद के क्षेत्र में विभिन्न तरह की जड़ी-बूटियों की खेती ने नए ड्रग डिलिवरी सिस्टम को पहचान दिलाई है। इसे विज्ञान और तकनीक के आधुनिक ट्रेंड ने समर्थन दिया है।

उन्होंने कहा, “वैद्यरत्नम ग्रुप अलग-अलग क्षेत्रों, जैसे जड़ी-बूटियों की खेती, दवा के उत्पादन, प्रक्रिया का सत्यापन करना, दवा की खोज करना और स्वास्थ्य रक्षा के विभिन्न क्षेत्रों को अपनी गुणवत्ता से कोई भी समझौता किए बिना वैज्ञानिक रूप से अपग्रेड करने की हमेशा से कोशिश करता रहा है।” आलोचकों की बेहद प्रशंसा प्राप्त मेडिकल जर्नल लेंसेट की ओर से प्रकाशित एक ग्लोबल स्टडी में बताया गया कि दुनिया भर में कोरोना पॉजिटिव हुए 20 फीसदी बच्चों में कोई लक्षण नहीं दिखते। हालांकि भारत में परिदृश्य पूरी तरह अलग है। यहां 60 से 70 फीसदी बच्चों के शरीर में कोरोना का कोई लक्षण दिखाई नहीं पड़ रहा है। आयुर्वेदिक विशेषज्ञों की ओर से कोरोना के रोकथाम की जरूरत पर उसी समय से जोर दिया जाता है, जिस दिन से किसी परिवार का कोई सदस्य कोरोना से पीड़ित होता है।