8 साल की जुड़वां बहनों का कमाल, योग के प्रचार के लिए लिखी किताब “सन सैल्यूटेशंस”

Ayushi
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इंदौरः 8 वर्षीय जुड़वा बहनें देवयानी और शिवारंजनी भारद्वाज देश की पहली युवा लेखक बन चुकी हैं। दोनों ने अपनी पहली किताब अप्रैल 2021 में लॉन्च की है, जो सेहत पर आधारित है। इसका नाम “सन सैल्यूटेशंस है, जिसका मकसद शिक्षकों, दोस्तों और रिश्तेदारों के बीच योग का प्रचार करना है। इस किताब का कंसेप्ट, लेखन और इल्स्ट्रेशन दोनों बहनों ने ही किया है। यह किताब 16 जून 2021 को रिलीज की गई ताकि अंतराष्ट्रीय योग दिवस को मनाया जा सके, जो कि 21 जून 2021 को है। इस किताब में दोनों बहनों के द्वारा प्राप्त किए गए अचीवमेंट की सूची भी है। बता दें कि दोनों बहनें श्री सत्य साई विद्या विहार स्कूल, इंदौर (म.प्र.) की स्टूडेंट्स है।

इन दोनों लड़कियों को ऐसा करने के लिए उनकी मां स्मिता भारद्वाज ने मार्गदर्शन दिया और प्रेरित किया, जो एक आईएएस ऑफिसर (म.प्र.) हैं। वे खुद 3 कॉफी टेबल बुल लिख चुकी हैं और फाइन आर्ट, वुड वर्क के अलावा फर्नीचर डिजाइनिंग कलाकार भी हैं। मार्च 2020 के बाद से देशभर के स्कूल लॉकडाउन के चलते बंद थे, इस मौके को स्मिता ने अपनी बेटियों के लिए एक अवसर में बदल दिया। उन्होंने अपनी बेटियों को मार्गदर्शन दिया और अनोखी रुचियां और प्रतिभा को उभारने का काम दिया।

इसका मकसद केवल बच्चियों को डिजिटल मीडिया से दूर रखना था, जैसे कंप्यूटर, टीवी और मोबाइल। इनके संपर्क में आने से सामान्य तौर पर बच्चे डिस्टर्ब हो जाते हैं। दुनियाभर में बच्चे अवसाद, बेचैनी, उदासी, अकेलापन, आक्रामकता, हमउमों से बातचीत की कमी और मजबूर जैसा भाव आने के लक्षों से ग्रसित हो चुके हैं। जुड़वां बहनों ने बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा को एक पेंटिंग भेजी थी। उन्होंने लिखा, ‘मेरी प्यारी दो बच्चियों, आप भविष्य की उम्मीद है। मेरी प्रार्थनाएं हैं कि युवा पीढ़ी को सच्ची खुशियां मिले, जिसे लेकर में निश्चित हूं कि आपको जरूर मिलेंगी। आपका दोस्त- दलाई लामा, एक बौद्ध महत।”

इस किताब की प्रस्तावना लिखते हुए बिहार स्कूल ऑफ योग के स्वामी निरंजनानंदा सरस्वती ने कहा, “बच्चों के लिए सूर्य नमस्कार पर आपकी किताब के लिए आपको बधाई। यह सुंदर है और निश्चित तौर पर बच्चों को इसके अभ्यास के लिए प्रेरित करेगी। और इससे वे योग के बारे में और भी बातें सीख पाएंगे।” उन्होंने कविता के जरिए अपनी शुभकामनाएं भी दी। किताब के लोकार्पण पर श्रीमती स्मिता भारद्वाज (आईएएस), मैनेजिंग डायरेक्टर, मध्यप्रदेश, फाइनेंशियल कॉर्पोरेशन (एमपीएफसी) ने कहा, ‘मुझे अपनी बेटियों पर सचमुच गई है, जो 8 साल की उम्र में इलस्ट्रेटर और लेखक बन गई है।

देवयानी और शिवारंजनी के बारे में देवयानी और शिवारंजनी ने कई राज्य, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाएं जीती हैं। दोनों ने ‘Spell bee’ में जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर पहला और दूसरा पुरस्कार जीता है। दोनों ने अपने मजबूत शब्दकोष और रीडिंग स्किल्स के बूते 8 साल की उम्र में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व किया है। इन्हीं क्षमताओं के बूते दोनों ने कई पुरस्कार जीते हैं। 6 पुरस्कार भिन्न ऑनलाइन कॉम्पिटिशन में, ओलम्पियॉड, क्विज, पेंटिंग कॉम्पिटिशन के अलावा 30 एक्सीलेंस सर्टिफिकेट जीते हैं। दोनों लड़कियां बीते 3 सालों से संस्कृत और शास्त्रीय संगीत सीख रही हैं। देवयानी ने भंडारकर ओरियंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट, पुणे द्वारा आयोजित संस्कृत स्पर्धा में स्पेशल प्राइज भी जीता है।

योग करते समय इस किताब का आइडिया आया। बाहरी माहॉल के बीच खुदको शारीरिक तौर पर सेहतमंद और मानसिक तौर पर पॉजिटिव बनाए रखना चुनौतीपूर्ण था। करीब-करीब यह पहली बार है जब इतनी कम उम्र के बच्चों ने लेखन, इलस्ट्रेशन और सन सैल्यूटेशन्स के प्रकाशन का काम किया है। यह किताब वाइवेंट कलर, हयूमर, सूचनाओं और सामान्य भाषा से लबरेज है, जो देशभर के पाठकों के लिए उपलब्ध होगी।

स्मिता भारद्वाज के बारे में स्मिता भारद्वाज मध्यप्रदेश केडर की 1992 बैच की आईएएस अधिकारी हैं। फिलहाल वे मध्यप्रदेश के फाइनेंशियल कॉर्पोरेशन की मैनेजिंग डायरेक्टर के तौर पर इंदौर में कार्यरत हैं। उनकी हॉबिज में पढ़ना, वुड कार्विंग, कारपेंटरी, कविता लेखन और स्कल्चर शामिल हैं। उन्होंने भी तीन कॉफी टेबल बुक लिखी हैं। यह मध्यप्रदेश के बारे में है। इनमें विंटेज इंदौर, विंटेज ग्वालियर और ट्रेजर ट्रोव शामिल हैं। उन्होंने इकोल नेशनल एडमिनिस्ट्रेशन (ईएनए) पेरिस, फ्रांस से पब्लिक मैनेजमेंट में डिप्लोमा भी किया है।

स्मिता भारद्वाज ने जल प्रबंधन पर लेख भी प्रकाशित किया है। वे सक्रिय तौर पर प्रोजेक्ट उड़ान से जुड़ी हैं. यह एक सीएसआर गतिविधि है जो अनाथ और अल्प सुविधा प्राप्त बच्चों के लिए काम करता है। इस प्रोग्राम के जरिए 300 से ज्यादा बच्चे लाभ पा चुके हैं। यहां बच्चे मजेदार माहौल में ऑडियो-वीडियो इनपुट के जरिए सामान्य ज्ञान, स्पोकन इंग्लिश सीखते हैं। बच्चों को शिक्षित करने की उनकी एप्रोच में शामिल है कि बच्चे सवाल करें और शोध करें। उन्होंने डेली कॉलेज में एक आर्ट एक्जीबिशन भी आयोजित की थी। इस दौरान हुई बिक्री से प्राप्त पैसों को अल्प सुविधा प्राप्त बच्चों पर खर्च करने के लिए बतौर चैरिटी दिया गया था।