हॉकी और वॉलीबॉल के खिलाड़ी के साथ ही कवि और पत्रकार भी थे कैलाश सारंग

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बौद्धिक दृष्टि में सदैव नए विचार देने के लिए प्रख्यात कैलाश नारायण सारंग का जन्म 2 जून 1934 को हुआ था। उनकी जन्मस्थली बरेली है, जो रायसेन जिले के अंतर्गत, मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से कोई सवा सौ किलोमीटर दूर है। शिक्षा और चिंतन परिचार की पैतृक परंपरा रही है। पिता स्वर्गीय जगन्नाथ प्रसाद सारंग शिक्षक रहे हैं और माता गोमती बाई भारतीय परंपराओं में पली गृहिणी थी। कैलाश छ: भाई बहिनों में भाइयों में सबसे बड़े किन्तु दो बहिनों से छोटे थे। आरमीयता भरी समझाइशें और परिवार को मार्गदर्शन देने के वातावरण में परसे बड़े फैलाशजी में नेतृत्व क्षमता आरंभ से रही। स्कूल स्तर पर छात्रों का संगठन बनाना और उन्हें स्वत्य और स्वतंत्रता का महत्व समझाना उनके स्वभाव में था। कालेज स्तर पर एक सर्वप्रिय छात्र नेता, क्लास मानीटर, हाकी, चॉलीबाल के मेघानी खिलाड़ी, सामाजिक कार्यकर्ता, कवि और पत्रकार के रूप में उनकी पहचान बन गई है।
वे तेरह वर्षीय किशोरखव में हो स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ गए थे। उन्होंने भोपाल रियासत को भारत गणतंत्र में विलीन कसे के आंदोलन में हिस्सा से लिया। आपको पुलिस ने हिरासत में ले लिया था किन्तु छोटी उम्र के कारण छोड़ दिया गया। वे मात्र 13-14 वर्ष की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आए और ‘ बाला स्वयंसेवक बने। आगे जब संच विचार के प्रबुद्ध जनों ने 1952 में भारतीय जनसंघ की स्थापना को तब कैलाशजी उससे संबंद्ध हो गए। उनकी पहिचान एक कुशल संगठक और प्रखर वक्ता की है। इसीलिए उन्हें जनसंफ के जन्मकाल से ही महत्वपूर्ण दायित्व मिले और विभित्र पर्दो पर भी रहे। 1977 में अस्तित्व में आई जनता पार्टी एवं 1980 में भारतीय जनता पार्टी के गठन के साथ ही उन्हें महत्वपूर्ण दायित्व मिला। दायित्वों के निर्वाहन एवं संगठन के विचार एवं उद्देश्य को जन जन तक पहुंचाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । वे प्रांतीय कार्यालयमंत्री, महामंत्री, कोषाध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण कार्य में दिनरात लगे रहे और 1990 से 1996तक राज्यसभा के सदस्य, भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य और प्रांतीय अनुशासन के अध्यक्ष भी रहे। सामाजिक जातीय एवं समरसता अभियान के अंतर्गत विभिन्न धार्मिक एवं सामाजिक संगठनों में सक्रिय रहें. मार्गदर्शन संरक्षक एवं सलाहकार की भूमिका निभाते रहे। इस श्रृंखला में उन्होंने 125 साल पुरानी अखिल भारतीय कायस्थ महासभा को पुनसंगठित किया और वे पिछले अठारह वर्षों से इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष है।

भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. शंकरदयाल शर्मा के नेतृत्व में उन्होंने दक्षिण कोरिया, मंगोलिया, चीन, हांगकांग, आदि देशों को यात्रा को तथा इन देशों के बीच सद्भावना अभियान में हिस्सा लिया जबकि निजी स्तर पर भी अमेरिका आदि अनेक देशों की यात्रा की तथा भारतीय संस्कृति भारतीय जीवन शैली से वहां के नागरिकों को परिचित करने का प्रयास किया। ये पंडित दीनदयाल उपाध्याय विचार प्रकाशन के वर्षों महामंत्री रहे तथा इस संख्या के माध्यम से साप्ताहिक चरैवेति’ हिंदी, ‘मधऑन’ अंग्रजी तथा अयाज उर्दू में सालाहिक समाचार पत्र आरंभ किए । ये तीनों समाचार पत्र भारत के सांस्कृतिक गौरव से समाज को अवगत कराने का काम करते हैं। इसके बाद 52 पृष्ठोग बहुरंगीन पाक्षिक पत्रिका नवलोक भारत का प्रकाशन आरंभ किया यह पत्रिका मध्यप्रदेश के हिंदी जगत में सर्वाधिक प्रचार संख्या वाली पत्रिका मानी जाती है। संगठन, लेखन, प्रकाशन में उनकी रूचि सदैव रही वे देश की सबसे पुरानी संस्था अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने, तब न केवल उन्होंने समाज को संगठित किया, जागरुक किया बल्कि समाज के लिए कायस्थ पत्रिका का भी प्रकाशन किया।बौद्धिक विमर्श और सामाजिक चेतना के लिए यह पत्रिका देशभर में अपनी पहचान रखती हैं।

चितों, पौड़ितों और शोषितों की सेवा करने में सारंगजी की रुचि सदैव रही है। समाज समरस बने, प्रगति करे यही उनके जीवन का ध्येय है इस अभियान में ये लेखन और गोष्ठियों में संबोधन दोनों प्रकार से दिन रात जुटे हैं। यही नहीं उन्होंने रायसेन जिले के बरेली में एक वृद्धाश्रम और सदावत अपने गांव नर्मदा तट पर अन्न क्षेत्र आरंभ किया है। निराश्रित बुजुर्गों को निशुल्क निवास, भोजन, चिकित्सा तथा पुण्य सलिला मां नर्मदा की परिक्रमा करने वालों को निशुल्क भोजन का प्रबंध अपने माता पिता को स्मृति में एक ट्रस्ट बनाकर आरंभ किया है। इन दोनों प्रकल्पों के व्यय को चिंता वे स्वयं करते हैं। आपने इसी के समीप एक मंदिर भी बनवाया हुआ है जहां देश के ख्यातिनाम प्रवचन कारों के प्रवचन, भागवत कथा तथा भजन के आयोजन निरंतर होते हैं। नवलोक भारत में कैलाश नारायण सारंग ‘विचार अनुभूति’ नाम से एक कालम लिखते हैं। किसी विषय विशेष पर प्रकाशित विचार अनुभूतियों के इससे पूर्व में दो संकलन प्रकाशित हो चुके हैं। इस श्रृंखला में तीसरा संग्रह नरेंद्र से नरेंद्र तक है। सारंग ने भोपाल के नेजरी क्षेत्र में जगनाथ ट्रस्ट के अंतर्गत विशाल मंदिर बनवाया है तथा दो धर्मशालाएं भी मोदर परिसर में निर्माणाधीन हैं। नेवरी कायस्थ मंदिर का लोकार्पज 23 अप्रैल 2018को होने जा रहा है। मंदिर में रामदरबार, देवी, राधाकृष्ण और साईबाबा की मूर्तियां स्थापित की जा रही हैं।