कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली मनाई जाती हैं। माना जाता है कि इस दिन ही स्वर्ग से सभी देवता गण धरती पर आते है, और आज के ही दिन दीपावली मनाते है। सभी देवता धरती के सबसे पवित्र स्थान माने जाने वाले और भगवान शिव के दूसरे घर काशी में आते हैं। सभी देवताओं का एक साथ आशीर्वाद पाने के लिए श्रद्धालुओं का तांता भी इस पावन नगरी में लगता है।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव भूमि काशी नगरी में गंगा के तट पर सभी देवता दिवाली मनाने के लिए आते है। यही कारण है कि इस दिन को देव दिवाली पर्व भी कहा जाता है। देव दिवाली के दिन काशी नगरी में गंगा मैया के अर्धचंद्राकार घाटों पर लाखों दीपकों का अद्भुत जगमगाता हुआ प्रकाश से देवलोक के जैसा वातावरण दिखाई देता है। हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को देश विदेशों तक से श्रद्धालु देव दिवाली पर्व मनाने काशी आते है।
भगवान शिव का धाम माने जाने वाली काशी नगरी में शाम होते ही गंगा के सभी घाट दीपों की रोशनी से जगमगा उठते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन शाम के समय सायंकाल गंगा पूजन के बाद काशी के 80 से अधिक घाटों पर दीपदान किए जाते है। लगभग 3 कि.मी. में फैले अर्धचंद्राकार गंगा मैया के घाट पर दीपक की रोशनी से काशी में ही स्वर्ग की अनुभूति का एहसास होता है।