ब्रह्माकुमारीज़ आश्रम में आयोजित हुआ अखिल भारतीय भगवतगीता महासम्मेलन, देशभर से भगवत गीता विद्वान हुए शामिल

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आबू रोड,राजस्थान। ब्रह्माकुमारीज संस्थान के शांतिवन परिसर में चल रहे पांच दिवसीय अखिल भारतीय भगवतगीता महासम्मेलन का मंगलवार को समापन हो गया। वर्तमान नाजुक समय के लिए गीता के भगवान की श्रीमत विषय पर आयोजित इस महासम्मेलन के समापन सत्र में देशभर से आए गीता विद्वानों ने स्वीकारा कि परमात्मा निराकार है और अजन्मा है और भगवत गीता भौतिक विद्या नहीं सूक्ष्म विद्या है।

समापन सत्र में हैदराबाद से आए गीता विद्वान त्रिनाथ ने कहा कि गीता में लिखा है कि केवल मैं एक ही परमपिता परमात्मा हूं जिसे सृष्टि के आदि-मध्य-अंत का ज्ञान है। देहधारियों को केवल एक जन्म का ज्ञान होता है जबकि परमात्मा को संपूर्ण सृष्टि का ज्ञान होता है। परमात्मा ने कहा है कि मैं ज्ञान भी देता हूं, विज्ञान भी देता हूं। मैं ज्ञान का सागर हूं। मैं सारा ज्ञान अपने बच्चों को देता हूं। गीता के सातवें अध्याय के दूसरे श्लोक में लिखा है कि संपूर्ण ज्ञान जीवन में कैसे धारण करना है वह ज्ञान मैं ही देता हूं।

योग-साधना आध्यात्मिक जीवन का आधार

संस्थान के अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज में जुडऩे वाले प्रत्येक भाई-बहन, छोटे-बड़े सभी के लिए पहली बात ब्रह्मचर्य पालन की शिक्षा दी जाती है। ये आध्यात्मिक ज्ञान उसी की बुद्धि में ठहर सकता है जो पवित्र हो। इसके साथ ही सात्विक भोजन और नियमित आध्यात्मिक ज्ञान का श्रवण-पठन-पाठन इसका आधार है। इसलिए ब्रह्माकुमारीज में बिना प्याज-लहसुन के सात्विक भोजन ही बनाया जाता है। विश्वभर के सभी सेवाकेंद्रों पर रोज परमात्म महावाक्य मुरली सुनाई जाती है। साथ ही नियमित योग साधना आध्यात्मिक जीवन का आधार है।

 

ज्ञान मुरली से परमात्मा सिखाते हैं

मॉरीशस से आईं महात्मा गांधी संस्थान की सहआचार्य कुमारी संयुक्ता वन ने कहा कि तृप्ति का संबंध आत्मा से है। जहां शांति, पवित्रता, आनंद, ज्ञान है वहां आत्मा तृप्त रहती है और हम सुखी रहते हैं। मुझे बचपन से ही गीता पढऩे का शौक था, इसके चलते में दस साल काशी में भी रही। वहां सैकड़ों बार गीता का अध्ययन किया। उसके मर्म को जानने का प्रयास किया। लेकिन मुझे सच्चा ज्ञान राजयोग ध्यान सीखने के बाद मिला। ब्रह्माकुमारीज में चलने वाली ज्ञान मुरली के माध्यम से रोज परमात्मा हमें सिखाता है कि जीवन में कैसे चलना है, क्या करना है, कैसे सोचना है, कैसे बोलना है।

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इन्होंने भी व्यक्त किए विचार

  •  कुरुक्षेत्र से आए श्रीकृष्ण म्यूजियम के निदेशक राजेंद्र सिंह राणा ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज एक नए प्रकल्प को तैयार कर रहा है। संस्था गीता संदेश को बहुत आसान तरीके से जन-जन तक पहुंचा रही है। गुजरात से आए अश्विनी ने कहा कि यहां दिया जा रहा ज्ञान अवर्णीय है। यहां की साफ-सफाई और व्यवस्था देखकर मैं अभिभूत हूं।
  • अमेरिका से आए विनोद जैन ने कहा कि मैं खुद को भाग्यशाली समझता हूं कि मुझे साकार ब्रह्मा बाबा से मिलने का सौभाग्य मिला। बाबा की योग-तपस्या का कमाल था कि बाबा से डेल्टा बेव निकलती थीं। वह यह जान लेते थे कि हमारे मन में क्या चल रहा है।
  • गुजरात के रामकथा वाचक प्रकाश बापू ने कहा कि यहां आकर मन को बड़ा संतोष मिला है। यहां का सेवाभाव देखकर मन प्रसन्न हो गया।
  • दिल्ली की बीके विधात्री ने राजयोग मेडिटेशन की गहन अनुभूति कराते हुए कहा कि अनुभव करें मैं आत्मा इस पांच तत्वों के शरीर रूपी रथ पर विराजमान, इसकी मालिक एक दिव्य ज्योति हूं। मेरा वास्तविक धाम परमधाम है। जहां अतीन्द्रीय शांति, आनंद है। जैसे मैं आत्मा रूप में बिंदु हूं वैसे ही मेरे पिता भी ज्योतिर्बिंदु हैं।
  • मुंबई की वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बीके कुंती ने संचालन किया। बीके युगरतन ने गीत प्रस्तुत किया। आभार इंदौर के धार्मिक प्रभाग के समन्वयक बीके नारायण भाई ने माना।