नितिनमोहन शर्मा
नगर सरकार के परिणामों ने खुलासा फर्स्ट के कई पूर्वानुमानो को सही साबित कर दिया। भाजपा अपने सबसे मजबूत गढ़ विधानसभा 2 में ही ढह गई। अयोध्या कहीं जाने वाली विधनासभा 4 में भी सेंध लगते लगते रह गई। एक वक्त यहां पर साँसे ऊपर नीचे हो गई थी लेकिन बाद में पार्टी की पुरानी पुण्याई काम आ गई। भाजपा के लिए अब राऊ विधानसभा नई अयोध्या बनकर उभरी है। इस छोटी सी विधानसभा के शहरी क्षेत्र के महज 10 वार्डो ने ही भाजपा को 30 हजार की भारी भरकम बढ़त दे दी। कमाल तो शांत रहने वाले आकाश विजयवर्गीय ने भी कर दिखाया। 10 में से 8 पार्षद वे जीताकर ले आये। इनमें अधिकांश वो है जिनके टिकट होने के बाद से ही हार जाने के अंदेशे प्रकट किए जा रहे थे। इतिहास तो उस टीम ने रच दिया जो विधानसभा 1 में सुदर्शन गुप्ता विरोधी कही जाती है। इस क्षेत्र में गुप्ता वाले गुट से हटकर इस टीम की मैदानी मशक्कत ने ऐसा रंग जमाया की कांग्रेस के महापोर उम्मीदवार संजय शुक्ला अपनी ही विधनासभा से 20 हजार मतों से हार गए। इस काम मे आरएसएस की मदद ओर मार्गदर्शन भी बेहद मददगार साबित हुआ। विधनासभा 5 जरूर कांग्रेस के लिए उम्मीद का केंद्र बनकर उभरी।
भाजपा को सबसे बड़ा नुकसान विधनासभा 2 में हुआ। यहा पार्टी के दिग्गज नेता गणेश गोयल ओर चंदू शिंदे सहित 4 पार्षद कांग्रेस भाजपा से झपट लाई। मुन्नालाल यादव जेसे दिग्गज भी बाल बाल बचे ओर मात्र 430 वोट से अपनी ओर पार्टी की लाज बचा पाए। इस विधनासभा सीट पर भाजपा का ऐसा दबदबा रहा है कि कांग्रेस को यहां से महज एक सीट से सन्तोष करना होता था। चिंटू चौकसे कांग्रेस से जीतते थे और उनकी जीत भी ” दादा दयालु” कहे जाने वाले इलाके के विधायक रमेश मेंदोला के खाते में दर्ज हो जाती थी। इस बार चिंटू तो जीते ही, 3 अन्य पार्षद भी चुनाव जीत गए। सबसे बड़ी और चौकाने वाली हार चंदू शिंदे की रही। वे कांग्रेस के राजू भदौरिया समर्थको के हाथों मतदान वाले दिन भी “धूल” गए और परिणाम वाले दिन राजू भदौरिया ने उन्हें 1760 वोटो से धो दिया। गणेश गोयल को अपने आर्थिक तंत्र का भरोसा था लेकिन वे भी चिंटू चौकसे से बुरी तरह से हार गए। वह भी उस वार्ड से जो भाजपा का गढ़ रहा है।
भाजपा अपनी अयोध्या में 50 हजार से ज्यादा की बढ़त का दांवा कर रही थी। पार्टी ने यहां से 41 हजार वोटों की बढ़त बनाई जो इलाके की विधायक की विधानसभा चुनावों की बढ़त से 2 हजार वोट कम है। शुरुआती रुझानों ने चुनाव की कमान संभाले एकलव्य सिंह गोड़ की चिंताएं बड़ा दी थी। कांग्रेस ने यहां दो परम्परागत मुस्लिम वार्ड के अलावा वार्ड 69 70 72 ओर 85 में बढ़त बना ली थी।
लेकिन यहां अंत भला सो सब भला वाली कहावत चरितार्थ हुई और अयोध्या में सेंध लगते लगते टल गई। राऊ में जीतू जिराती की मेहनत का असर दिखा। नीलेश चौधरी, मधु वर्मा, अतुल आठले जैसे पुराने लोगो के मैदान के रहने से भाजपा को यहां बड़ी लीड मिली। विधनासभा 3 से कांग्रेस को बड़ी उम्मीदें थी लेकिन विधायक आकाश विजयवर्गीय की रणनीति ओर पिता कैलाश विजयवर्गीय की मेहनत ने यहां 10 में से 8 वार्ड भी जीताये ओर करीब 4 हजार वोट की लीड भी दिलवाई। अन्यथा यहां से कांग्रेस इतने ही वोटो की लीड अपने लिये तय मानकर चल रही थी। विधनासभा 5 ने मौजूदा विधायक महेंद्र हार्डिया के साथ साथ भाजपा के लिए भी चिंतन का विषय कर दिया है।