एयर पॉल्यूशन से फेफड़े ही नहीं दिमाग को भी है बड़ा खतरा, इससे बचने के लिए तुरंत कर लें ये उपाय

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Effects Of Air Pollution: सर्दियों का मौसम आने से पहले ही सर्दियां में वायु प्रदुषण के असर दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। ऐसे में बढ़ते वायु प्रदुषण के कारण लोगों को कई बीमारियां हो सकती है। वहीं दूसरी ओर बीमारियों के चलते अस्पताल में दिनों दिन भीड़ बढ़ती जा रही है। यहां ऐसे लोग जिन्हें कोई बीमारी नहीं है वो भी एयर पॉल्यूशन के कारण अस्पताल पहुंच चुके है। देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स ने अलर्ट किया है कि अगर आपको पहले से ही कोई बीमारी है तो जागरूक हो जाएं, क्योंकि वायु प्रदुषण फेफड़ों के मरीज को नहीं बल्कि डायबिटीज के मरीज को तकलीफ देते है। इसके अलावा एयर पॉल्यूशन के कारण मानसिक खतरा होने की बात बात समने आई है जिससे शरीर पर कोई भी पूरा प्रभाव पड़ सकता है।

दिमाग पर एयर पॉल्यूशन का असर

एयर पॉल्यूशन की वजह से धूल के कण दिमाग में भी पहुंचने लगते हैं जिससे ये ब्रेन की लाइनिंग को इरिटेट करते है। इसके कारण दिमाग में सूजन बढ़ सकती है। अधिकतर लोगों को रात में नीद नहीं आने की एक वजह ये भी हो सकती है। जो लोग पहले ही मानसिक स्थिति को लेकर परेशान है उनकी समस्या और भी बढ़ने लगती है। भारत में फिलहाल हम लोगों तक जो एयर पहुंच रही है वो धूल के 2.5 माइक्रोन प्रति क्यूबिक मीटर कणों की है। लेकिन हवा में इससे बारीक़ कण भी शामिल होते है, जिससे शरीर में कई प्रकार की बीमारियां पैदा हो सकती है। ये बारीक कण हवाओं के साथ मिलकर हम तक पहुंचते है और सांस से दिमाग, फेफड़ों, खून, लिवर यानि लगभग शरीर के पुरे हिस्से में पहुंच जाते है। ये खराब एयर अच्छे इंसान को बीमार कर सकते है। भारत में AQI यानी Air Quality Index को इस तरह से समझा जा सकता है। लेवल 0 से 50- अच्छा, 51 से 100- संतोषजनक, 101 से 200- मध्यम स्तर, 201 से 300- खराब, 301 से 400- बेहद खराबऔर 401 से 500- गंभीर स्तर माना जाता है।

जहरीली हवा से कैसे बचें?

एक्सपर्ट्स के अनुसार कहा जा रहा है कि दिल्ली वासियों को सुबह की वॉक बंद कर देनी चाहिए। क्योंकि सुबह की ठंडी हवा में भी प्रदूषण के कण अधिक नीचे शामिल रहते है। इसलिए आप साधारण मास्क की जगह कोई अच्छी N95 मास्क लगाएं जो हवा में मिले कण को आने से रोकेगा। ऐसे लोग जो बीमार है वह अपने ररूम में एयर प्यूरीफायर लगा सकते है। WHO के अनुसार, वायु प्रदुषण एक ‘पब्लिक हेल्थ एमरजेंसी’ है, जिससे लगभग देशभर की 90% से अधिक लोग इस जहरीली हवा के शिकार हो रहे है। हर साल कई लोगों (88 लाख) की मौत खराब हवा में सांस लेने से हो रही है। भारत में अभी तक प्रदुषण को मौत की वजह के तौर पर दर्ज नहीं किया गया है। शिकागो यूनिवर्सिटी की हाल की रिपोर्ट के अनुसार, एयर पॉल्यूशन के कारण भारतीयों की औसत उम्र 5 साल और दिल्ली की 12 साल तक कम हो जाती है। इसलिए जितना हो सके उतना घर से बाहर निकलना कम कर दें।