देश में किसान आंदोलन अपने पूरे जोरों शोरों से चल रहा है। दिल्ली के लगे हुए सभी आस पास के इलाके में इसका असर देखा जा रहा है। लेकिन अगर आज होने वाली केंद्र के साथ बैठक में किसानों के मुद्दे का हल नहीं मिला तो यह आंदोलन के बड़ा रूप ले लेगा। और फिर इसका असर सिर्फ राजधानी ही नहीं पुरे भारत में दिखाई देगा। किसान आंदोलन के साथ ही नवंबर महीने के आखिरी हफ्ते में 10 ट्रेड यूनियन ने हड़ताल किया था और कहा था कि अगर हमारी बात नहीं मानी गई तो 8 दिसंबर को हम फिर से भारत बंद करेंगे।
आपको बता दे कि 1 दिन के भारत बंद के चलते भारतीय अर्थव्यस्था को करीब 25 हजार करोड़ का नुकसान झेलना पड़ता है। अब ऐसे में हड़ताल किसी भी संगठन की हो इससे नुसकान को देश को ही होना है। अब ऐसे में देखना होगा की आज होने वाली बैठक में मोदी सरकार क्या करती है। ऐसे इस आंदोलन को ख़त्म करती है। हालंकि आज आज किसानों के साथ होने वाली बैठक के पहले मोदी ने हाई लेवल मीटिंग करके आंदोलन ख़त्म करने के लिए रणनीति बनाई है।
क्यों नहीं बन रही बात
दरअसल सरकार ने अपने नए कृषि कानून में एग्री-फूड स्टू के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम 1951 को संशोधित किया है। और यह दोनों बिल सांसद में पास हो गए है और बाद में राष्ट्रपति द्वारा इन बिलों पर हस्ताक्षर करने के बाद से ये कानून का रूप भी ले चुके हैं। जोरदार चौतरफा विरोध के बाद भी सरकार इस फैसले को लागू करने में सक्षम रही। नीति आयोग ने अपना बयान जारी करते हुए कहा कि तथ्यों को जाने बिना और काल्पनिक आधार नए कृषि कानून के खिलाफ दबाव बनाया जा रहा है।