नई दिल्ली: कोरोना के कारण देश-विदेश में हर तरफ लॉकडाउन लग चूका था और इस महामारी के प्रकोप के कारण दुनियाभर के लोग परेशान हो गए थे, एक लम्बे इंतजार के बाद इस कोरोना वायरस की वैक्सीन के आने से सभी को राहत मिली थी, जिसके बाद इस साल के शुरूआती महीने यानि जनवरी की 16 तारीख से भारत देश में वैक्सीन का टीकाकरण महाअभियान शुरू किया गया है, जिसकी शुरुआत देश के प्रधानमंत्री ने की थी। कोरोना वैक्सीन टीकाकरण के पहले चरण में फ्रंट लाइन वर्कर्स को टीका लगया जा रहा है।
वैक्सीन टीकाकरण में कोरोना वायरस से निजात पाने के लिए सबसे पहले लॉकडाउन के समय कोरोना महामारी से लड़ने में अपना सबसे ज्यादा योगदान दिया था, फ्रंटलाइन वर्कर्स की सूची में स्वास्थ्यकर्मी और देश के पुलिसकर्मी शामिल है। इस पहले चरण के बाद अब से 50 वर्ष से अधिक के उम्रदराज वाली आबादी को मार्च से वैक्सीन का टीका लगाने की तैयारी की जा रही है।
मार्च से शुरू होने जा रही वैक्सीन टीकाकरण की प्रक्रिया में इस बार उन लोगो को टीका लगाया जायेगा, जिनकी उम्र 50 वर्ष से अधिक है साथ ही इस बार टीकाकरण की सूचि में वो लोग भी शामिल है जो किसी न किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं और उनकी उम्र 20 से 50 वर्ष है। बता दे कि देश में जबसे कोरोना वैक्सीन टीकाकरण शुरू हुआ है, जबसे देश में कोरोना के मामले काफी घटते नजर आ रहे है, और न ही कोरोना वायरस की वजह से अब किसी मौत का मामला सामने आया है.
मार्च से शुरू होने जा रहे इस टीकाकरण के संदर्भ में दिल्ली के AIIMS के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने शुक्रवार को इस विषय में जानकारी देते हुए कहा है कि इस बार के टीकाकरण पड़ाव में हाई रिस्क वर्कर्स की सूची में मवेशियों और पशुओं का इलाज करने वाले लोग शामिल नहीं हैं, क्योंकि वो कोविड-19 मरीजों का इलाज नहीं कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने बताया है कि वैक्सीन लगाने की प्राथमिकता इस बात पर निर्भर करती है कि किसी शख्स की उम्र क्या है और कहीं वह किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित तो नहीं है। पूर्ण जाँच के बाद ही लोगो को वैक्सीन दी जाएगी।