अहरण, अफ़ीम तस्करी, करोड़पति कांट्रेक्टर, राजनीतिक रसूख़ और एसपी साहब का तबादला!

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पुष्पेन्द्र वैद्य

बीते कुछ दिनों से नीमच एसपी के तबादले की सुगबुगाहट तेज़ी से चल रही थी। दरअसल इस तबादले के तार करीब १५ दिनों पहले हुए एक घटनाक्रम से जोड कर देखा जा रहा हैं। रेल्वे में एक बडे कान्ट्रेक्टर आशीष गोयल के अचानक अपहरण की खबर फैलती है। करीब ३ घंटे तक कहानी ज़ोर पकड़ती है। गोयल के घर वाले अपहरण की रिपोर्ट लिखाने एसपी के पास पंहुच ही रहे थे इसी बीच पता चला कि एसपी ऑफिस में अच्छा ख़ासा दखल रखने वाले एक एसआई ने आशीष गोयल को हिरासत में ले रखा है। अपहरण बनाम पुलिस की कथित दबिश की बात जगज़ाहिर हो चुकी थी। कम्बख़्त सोशल मीडिया जाग गया था। गोयल का अरबों रुपए का कारोबार फैला हुआ है। हल्ला मचने पर गोयल की कार से अफ़ीम बरामद होने की आधिकारिक सूचना मिली। गोयल ऊँची राजनीतिक पकड़ रखने वाले हैं। आनन-फ़ानन में पता चला कि कुछ पुलिसकर्मियों ने ही उन्हें फँसाने की चाल चली थी। बाद में पाया गया कि एसआई समेत ४ पुलिसकर्मियों ने कांट्रेक्टर की गाडी में अफ़ीम रखकर झूठा फँसाने की कोशिश की थी। इस आधार पर चार पुलिस वालों को निलंबित कर दिया गया।
गोयल के ताल्लुक़ रेल मंत्री पीयूष गोयल से होना बताया जा रहा है। गोयल के जरिए पूरी कहानी केन्द्र और राज्य के मुख्यालय तक जा पंहुची और आख़िरकार एसपी साहब की रवानगी आज तय हो गई। अब इस खेल में बेचारे एसपी साहब का क्या क़सूर था लेकिन क्या करें साहब ही तो पुलिस के कप्तान थे। कप्तान तो कप्तान ही होता है ना। सो हर्ज़ाना तो भरना ही पड़ा। वैसे इसका मतलब यह नहीं कि कप्तान साहब को उन चारों पुलिसकर्मियों की करतूत की भनक पहले से थी । ना ऐसा कहने का मतलब कदापी नहीं।
इस पूरे नाटकीय घटनाक्रम के बाद पुलिस को केस बनाना पड़ा लेकिन उसमें आरोपी की जगह मूखबीर को ही आरोपी बना दिया गया। है ना मज़ेदार बात। एकदम बॉलीवुड की फ़िल्मों की तरह का यू-टर्न।
ख़ैर रसूख़ और ऊँची राजनीतिक पंहुच के बाद पुलिस गोयल को सीधे-सीधे आरोपी नहीं बना सकी लेकिन उनकी गाडी से अफ़ीम बरामद होना जरुर बताया।
जानकारों के मुताबिक़ इस नाते गोयल भी आरोपी बन सकते हैं। है ना दिलचस्प कहानी अपहरण से तस्करी और फिर तस्करी से पुलिस ही अपने जाल में फँस गई।