अहमद पटेल…काहे के चाणक्य और कैसे संकटमोचक..?

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल के निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि… मगर उनके बारे में जो प्रतिक्रिया मीडिया, कांग्रेस, भाजपा नेताओं द्वारा दी जा रही है वह समझ से परे है… उन्हें कांग्रेस का चाणक्य, संकटमोचक और पार्टी को मजबूत करने वाला बताया जा रहा है… जबकि हकीकत यह है कि बीते एक दशक में कांग्रेस की जो सबसे ज्यादा दुर्गति हुई उनमें अहमद पटेल जैसे चाटूकारों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण रही है… कांग्रेस अपने इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है ..ऐसे में अगर अहमद पटेल वाकई चाणक्य और संकटमोचक होते तो कांग्रेस महान मूर्खताएं लगातार नहीं दोहराती…

2010 के बाद से कांग्रेस का पतन शुरू हुआ, जब 2जी स्पैक्ट्रम, कोयला और राष्ट्रमंडल खेलों के घोटाले देश में गूंजने लगे और 2011 के अन्ना आंदोलन ने कांग्रेस को बेहद कमजोर किया, जिसका फायदा भाजपा ने उठाया और 2014 में वह सत्ता पर काबिज हो गई.. उसके बाद से कांग्रेस के बुरे दिन खत्म होते नजर नही आए.. सोनिया गांधी के आंख, नाक, कान माने जाने वाले पटेल लोकसभा से लेकर राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की बड़ी गलतियों को क्या समझ पाए..? जबकि हक़ीक़त ये है कि कांग्रेस की गलतियां ऑटो, ठेला चलाने वाले से लेकर एक सामान्य कार्यकर्ता को बखूबी समझ मे आती है ..तो क्या अहमद पटेल ऐसी तमाम जानकारियों से अनभिज्ञ रहे और उन्होंने बीते एक दशक में कांग्रेस को मजबूत करने के क्या प्रयास किए..?

उलटा कांग्रेस आलाकमान की स्थिति कमजोर ही होती गई.. रही-सही कसर राहुल उर्फ पप्पू की नादानियों ने कर दी… मुझे तो तमाम राजनीतिक विशेषज्ञों, पत्रकारों और उन नेताओं की बुद्धि पर तरस आता है जो अभी अहमद पटेल को श्रद्धांजलि देते वक्त कांग्रेस का चाणक्य, संकटमोचक और पता नहीं ऐसे तमाम विश्लेषणों से उन्हें नवाज रहे …स्व. अहमद पटेल एक वक्त में अवश्य प्रभावी रहे और उनकी जोड़-तोड़ से फायदा भी हुआ होगा… मगर मोदी-शाह की तिकड़मों, राजनीतिक जमावट और दूरदृष्टि के चलते अहमद पटेल जैसे लोग बीते कुछ वर्षों में अप्रसांगिक हो गए… अपनी राज्यसभा सीट जरूर वे बचा पाए, वह भी व्यक्तिगत संबंधों के बलबूते पर… मेरा तो स्पष्ट मानना है कि कांग्रेस को ऐसे खुर्राट और भटैत बुजुर्ग नेताओं ने ही ज्यादा नुकसान पहुंचाया है…जो पार्टी की बजाय खुद को पोषित-संरक्षित करने में जुटे रहे ..बहरहाल कांग्रेस की नुकसानी अंदर और बाहर से बदस्तूर जारी है , जिससे उबरने के लिए उसे दरबारी , चाटुकारी और गांधी-वढेरा परिवार के चंगुल से आजाद होने पड़ेगा ..! @ राजेश ज्वेल