आखिर कहां फेल हो रहा है अभिलाषजी का मीडिया मैनेजमेंट

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राजबाडा टू सीडेंसी

अरविंद‌ तिवारी

इंफास्ट्रक्चर आईकान दिलीप सूर्यवंशी फिर चर्चाओं में हैं। नेता तो उनके यहां मत्था टेकने जाते ही हैं पर अब उनके दरबार में आईएएस और आईपीएस अफसरों की भीड़ बढ़ने लगी है। ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के फैसले में भी उनकी अहम भूमिका रही है। ऐसा कहा जाता है कि उनकी बात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कभी टालते नहीं। कहा तो यह भी जाता है कि कमलनाथ ने भी उन्हें कभी निराश नहीं किया। यही कारण है कि कांग्रेस के दौर में भी एक दर्जन से ज्यादा मंत्री उनके अतिथि सत्कार का लुत्फ़ लिया करते थे। नौकरशाह तो उन्हें इसलिए भी तवज्जो देंगे कि इकबाल सिंह बैंस के बाद कौन मध्यप्रदेश का मुख्य सचिव होगा, यह तय करवाने में उनकी अहम भूमिका रहना है।

इन दिनों भोपाल में जिन बंगलों को लेकर सबसे ज्यादा मारामारी है उनमें एक शिवाजी नगर स्थित C21 भी है। यह बंगला अभी कमलनाथ के ओएसडी रहे प्रवीण कक्कड़ को आवंटित था। कई कैबिनेट मंत्री इसके लिए कतार में थे लेकिन लॉटरी लगी पहली बार के विधायक आकाश विजयवर्गीय की। हालांकि अभी श्री कक्कड़ ने बंगला खाली करने के लिए कुछ समय मांगा है। लेकिन उनके इंदौरी कनेक्शन से वाकिफ लोग तो यह कहने से नहीं चूक रहे हैं कि बंगला कक्कड़ के पास रहे या विजयवर्गीय के, बात तो एक ही है। वैसे यह माना जाता है कि संबंध बनाने और निभाने में प्रवीण कक्कड़ की कोई जोड़ नहीं है।

जब कमलनाथ विधानसभा चुनाव के पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बने थे तब उन्होंने माणक अग्रवाल को मीडिया सेल का चेयरमैन बनाया था। कुछ दिन बाद वहां शोभा ओझा की ताजपोशी हो गई। कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद जिन नेताओं ने सत्ता का जमकर दोहन किया उनमें शोभा भी एक थीं। अपनी फर्राटेदार अंग्रेजी के दम पर उन्होंने कई नौकरशाहों को यह एहसास करवाया कि वही सब कुछ हैं। अफसर भी झांसे में आते गए। जनसंपर्क विभाग तो मानो इन्हीं ने चलाया। अब कांग्रेस की सरकार नहीं है। अफसर कांग्रेस के नेताओं को तवज्जो नहीं दे रहे हैं और संघर्ष के इस दौर में शोभा ओझा परिदृश्य से गायब हैं

इतनी लापरवाही… मंत्री अरविंद भदौरिया के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद बीडी शर्मा और सुहास भगत तुरंत क्वारंटाइन हो गए और टेस्ट भी करवाया पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बेखौफ होकर लोगों से मिलते रहे और बैठके लेते रहे। ना तो मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस ना ही भोपाल कलेक्टर अविनाश लवानिया उन्हें कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए क्वारंटाइन होने की सलाह दे पाए। सीएम के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद अब वे तमाम लोग ,जो लखनऊ से लौटने के बाद से मुख्यमंत्री के संपर्क में आए,जिनमें कई मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता भी शामिल हैं, इन दोनों को कोस रहे हैं ।नौकरशाहों में भी चर्चा है की आखिर ऐसी लापरवाही हुई कैसे।

परिवहन आयुक्त रहे बी मधु कुमार से जुड़ा एक वीडियो वायरल होने के बाद इन दिनों रघुवीर सिंह मीणा और गिरीश सक्सेना के बाद सबसे ज्यादा चर्चा है सत्य प्रकाश शर्मा की। परिवहन महकमे से ही ताल्लुक रखने वाला यह कारिंदा जब भी अपने मनमाफिक स्थितियां नहीं रहती हैं फितरत में लग जाता है। जोड़-तोड़ से राजपत्रित अधिकारी का दर्जा प्राप्त कर चुके शर्मा के कहानी किस्से विभाग के ही लोग इन दिनों चटकारे लेकर सुना रहे हैं और यह बताने से भी नहीं चूक रहे हैं की इसी पर नकेल का नतीजा है 4 साल पहले बने इस वीडियो का सामने आना।

मनोहर ऊंटवाल ने लोक सभा छोड़ विधानसभा में जाना पसंद किया था और आगर से दूसरी बार विधायक बन गए थे। उनके दिवंगत होने के बाद इस सीट पर बेटे की निगाहें हैं। पार्टी भी ऊंटवाल परिवार को उपकृत करना चाहती है ताकि सहानुभूति का फायदा भी मिल सके पर दिक्कत दूसरी है। पार्टी के बड़े नेता चाहते हैं कि की पत्नी चुनाव लड़े। जबकि परिजन बेटे के पक्ष में हैं। मामला दिल्ली तक पहुंच गया है और फैसला विनय सहस्त्रबुद्धे के माध्यम से ही हो ना है। यही कारण है कि बेटे ने उनके दरबार में भी दस्तक दे दी है।

कमलनाथ का मैनेजमेंट तो अपनी जगह है पर इन दिनों सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया के मैनेजमेंट की बड़ी चर्चा है। विद्यार्थी परिषद के रास्ते भाजपा में आए भदौरिया सबसे पहले 2005 के बड़ामलहरा उपचुनाव के दौरान चर्चा में आए थे। फिर जो भी जवाबदारी सौंपी गई उसमें वे खरे उतरे। चाहे वह उमा भारती के दौर में सत्ता और संगठन के बीच समन्वय की हो या फिर कुछ महीने पहले ऑपरेशन लोटस के दौरान कांग्रेस के विधायकों को तोड़ने की। अब सरकार बनने के बाद जब ज्योतिरादित्य सिंधिया के दबाव से मुक्त होने के लिए कुछ और विधायकों को भाजपा में लाने की बात चली तो फिर भदौरिया ने मोर्चा संभाला और 15 दिन में 3 से पाला बदलवा दिया।अभी अस्पताल में भर्ती हैं लेकिन ऑपरेशन जारी है। देखते हैं कितने और ला पाते हैं।

एडीजी प्रशासन का पद पाने में सफल हुए अन्वेष मंगलम के बारे में कहा जाता है कि वह हमेशा सिस्टम से चलते हैं और इसी का फायदा उन्हें मिलता है। सालों पहले आदेश होने के बावजूद वह डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर का पद हासिल नहीं कर पाए। लेकिन इसके बाद जो भी जिम्मेदारी मिली उसे पूरी शिद्दत के साथ पूरा किया। मध्यप्रदेश के डायल 100 सिस्टम को देश में जो अलग पहचान मिली उसके पीछे भी अन्वेष मंगलम ही हैं। पुलिस मुख्यालय में डीजीपी एडीजी प्रशासन और एडीजी इंटलीजेंस के बाद ही सबसे अहम माने जाते हैं और इन दोनों पदों पर इन दिनों ऐसे अधिकारी पदस्थ हैं जिनकी पुलिस महकमे में एक अलग छवि है।

चलते चलते

अरुण यादव ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ दहाड़ रहे हैं और उनके समर्थक विधायक भाजपा में जा रहे हैं। अलर्ट रहें अरुण भाई, पूर्वी निमाड़ के बाद अब पश्चिम निमाड़ की बारी है।

ग्वालियर जोन के एडीजी से भोपाल के नजदीक भौरी स्थित देश के शीर्ष पुलिस प्रशिक्षण संस्थानों में से एक के संचालक बनाए गए एडीजी राजा बाबू सिंह की पदस्थापना में 1 सप्ताह के भीतर ही बदलाव किसी को समझ में नहीं आ रहा है।

पुछल्ला

वरिष्ठ पत्रकार अभिलाष खांडेकर एमपीसीए यानि मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं और अखबारों में एमपीसीए से जुड़ी नेगेटिव न्यूज की भरमार। पता करिए आखिर कहां फेल हो रहा है अभिलाषजी का मीडिया मैनेजमेंट।

अब बात मीडिया की

नईदुनिया समूह के सीईओ संजय शुक्ला ने अब चाय का “धंधा” पकड़ लिया है…इंदौर में उनका यह साइड उपक्रम है, जो मीडिया सर्किल में खासा चर्चा बटोर रहा है…देखना है, वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह ऊंची उड़ान भर पाते हैं या नहीं…क्योंकि मोदी जी ने तो “बचपन” में बेची थी चाय…इस लिहाज से कुछ लेट हो गए शुक्ला जी…खैर, शुभकामनाएं…पीएम न सही, मंत्री तो बन ही सकते हैं…!!!

कल्पेश याग्निक के निधन के बाद भास्कर समूह में सुधीर अग्रवाल के सबसे पसंदीदा लक्ष्मी प्रसाद पंत जल्दी ही भोपाल में अपनी आमद दे देंगे। उनकी भूमिका अभी तय होना बाकी है। वह अभी जयपुर में राजस्थान के स्टेट हेड हैं। पंत के नेतृत्व में राजस्थान में भास्कर ने जबरदस्त तरक्की की है।

वरिष्ठ पत्रकार और अपनी सादगी, शांत और सौम्य व्यवहार के लिए ख्यात दीपेश अवस्थी को पत्रिका समूह ने विदाई दे दी है।

बड़ी खबर पत्रिका भोपाल से है । यहां एक कबीना मंत्री के समर्थक से जुड़ी खबर के मामले में संपादक के केबिन में हुए विवाद के बाद क्राइम रिपोर्टर नीलेंद्र पटेल ने इस्तीफा दे दिया है_

एसीएन केबल नेटवर्क समूह अपने नेटवर्क का विस्तार कर रहा है उसमें पूर्व मंत्री जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ की भी भागीदारी की बात सामने आ रही है।

राजेंद्र दुबे दैनिक भास्कर सागर के नए संपादकीय प्रभारी होंगे

कोरोना वायरस पड़ोसी धर्म भी निभा रहा है।नवदुनिया भोपाल को चपेट में लेने के बाद अब पास की ही बिल्डिंग में स्थित टीवी चैनल Ind 24 मैं भी कोरोना ने दस्तक दे दी है । यहां के एडिटर इन चीफ सुनील श्रीवास्तव व उनकी पत्नी, मैनेजिंग एडिटर मनोज सैनी व उनके बेटे और स्टाफ के कई लोगो के कोरोना की चपेट में आने के बाद हड़कंप मचा हुआ है।

रियल इस्टेट कारोबारी जितेंद्र कोठारी और अभिभाषक अनिल दुबे एक यूट्यूब चैनल और अखबार लेकर आ रहे हैं। दोनों का नाम होगा मृदुभाषी। इसमें पत्रकार विनी आहूजा महत्वपूर्ण भूमिका में हैं।