निरुक्त भार्गव
कथित ‘जन-प्रतिनिधि’ मरघट में भी पब्लिसिटी पाने का मौका भुनाना नहीं चूकते, ये एक चिर-स्थायी स्थापित तथ्य है! मालूम पड़ता है कि ‘कोरोना काल’ जैसे उनके लिए स्वर्णिम अवसर लेकर आया है! उनके पीछे-पीछे प्रशासन में बैठे अफसर भी जैसे हाथ आ रही चीजों को निचोड़ लेने में कोई कसर छोड़ना नहीं चाहते! सम्पूर्ण तालाबंदी के बीच राजनीतिक कार्यकर्ताओं और नौकरशाही के बीच की ये जुगलबंदी इन दिनों खूब खेल करने में मशगूल है. आम लोगों का जीवन-बसर तो बदतर स्थितियों की तरफ धकेल ही दिया गया है…!
मध्य प्रदेश में “मनमानी” जिला आपदा प्रबंध समिति ने हर जगह कैसे ना कैसे अप्रैल का माह गुजार ही दिया है. मई माह में कमांड केन्द्रीय सरकार संभाल लेगी? सो, “भाई” लोगों को जो भी दिवा स्वप्न देखने थे, उन्होंने देख लिए, जिला मशीनरी की सांठ-गाँठ में! इस बीच, 42 डिग्री सेल्सियस में जब बुधवार को whatsapp समूहों में विधाताओं का ‘फेक’ (?) फरमान देखा, तो नागरिकों को चक्कर आने लग गए…
एक ऐसी सूचना जिसका आज ही के दौर में अत्यंत महत्व है, वो इतने सस्ते तरीके से परोस दी जाएगी—किसे मालूम था!…पता चला कि उज्जैन जिले में ‘जनता कर्फ्यू’ को 7 मई तक बढ़ा दिया गया है! एक-के-बाद एक गप्पें चलीं कि उक्त फैसला जिला आपदा प्रबंध समिति की बैठक में लिया गया…सुरसुरी फैलाई गई कि मुख्यमंत्रीजी ने जिला आपदा प्रबंध समिति के ‘माननीय’ सदस्यों के साथ वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग कर उज्जैन जिले में कोरोना संक्रमण के हालातों की समीक्षा कर जनता कर्फ्यू को आगे बढ़ाने के निर्देश दिए…
बहरहाल, अगले 10 दिनों तक आम लोगों की जिन्दगी को मुहाल कर देने वाले इस निर्णय के बारे में नीचे से ऊपर तक कोई हलचल देखने को नहीं मिली! बतौर खबरनवीस, हम फोनो-फोनो में लगे रहे ताकि वास्तविक स्थिति को समाज जीवन के समक्ष रख सकें, मगर निसड़ल्ली “सरकार-जीवी” शख्सियतों ने कुछ भी आधिकारिक बयान नहीं दिया, मध्यरात्रि तक…!
चलिए, अब हम निष्कर्ष पर पहुंचते हैं: (1) क्या 28 अप्रैल को उज्जैन में जिला आपदा प्रबंध समिति की कोई बैठक आहूत की गई थी? (2) इस बैठक में कौन-कौन उपस्थित था? (3) क्या मुख्यमंत्रीजी भी ऑनलाइन इस बैठक से जुड़े थे? (4) उक्त बैठक कितने देर चली? उसकी प्रोसीडिंग्स किसने लिखीं? (5) क्या उज्जैन जिले में जनता कर्फ्यू को बढ़ाने का कोई निर्णय हुआ? (6) अगर हाँ, तो उसका अधिकृत ब्यौरा कब और किसने जारी किया?