आखिर ‘मंगल’ भी नेताओं के ‘इंफेक्शन’ से बच नहीं पाया

Share on:

चैतन्य भट्ट

अपन ने सरकार को कितना समझाया था कि ग्रहों से छेड़खानी मत करो, पर सरकार किसी की सुनती कंहा है। अब देखो न जब ‘मंगल’ पर जाने के लिए मंगल यान की तैयारी सरकार कर रही थी तो निश्चित तौर पर उस तैयारी का ‘इंस्पेक्शन’ करने ‘नेता’ लोग आते जाते रहे होंगे और जब आये होंगे तो अपने ‘बैक्टीरिया’ भी उस यान में कंही न कंही छोड़ ही गए होंगे जिसके ‘इंफेक्शन’ का रिजल्ट आज सामने आ रहा हैl जैसे ही ‘मंगल यान’ ने ‘मंगल’ की सीमा में प्रवेश किया है उसके बाद से ही ‘मंगल’ भी नेताओं जैसा ‘बिहेव’ करने लगा है। एक खबर आई है कि उसने अपना ‘लाल’ रंग बदल कर ‘हरा’ कर लिया है जिसको लेकर दूसरे देश के लोग भारी आश्चर्यचकित हैं। उन्हें समझ में ही नहीं आ रहा है कि मंगल ने अपना रंग क्यों बदल लिया। अब इन बेबकूफों को कौन समझाए कि भैया ये हमारे देश के नेताओं का असर है।

जब इस देश की पूरी जनता उनके रंग में रंग जाती है तो फिर मंगल कैसे अछूता रह सकता था। वैसे अपने को बचपन से एक ही बात मालूम थी कि रंग बदलने में ‘गिरगिट’ का कोई सानी नहीं है, पर जबसें ये नेता सामने आये है, बेचारा गिरगिट पता नहीं कंहा ‘बिला’ गया है ढूंढने पर भी नहीं दिखाई देता और कभी किसी नेता को दिखाई भी दे जाता है तो उनके चरणों में गिरकर यही कहता है ‘गुरु हमें माफ़ कर दो रंग बदलने में हम आपका सात जन्म में भी मुकाबला नही कर सकते’।

वैसे इंडिया में रंगो का बड़ा ‘इम्पोर्टेंस’ है ‘काला रंग’ शनि का होता है, तो ‘लाल रंग’ मंगल का, गुरुवार को लोग बाग़ ‘पीले कपडे’ पहनते हैं रंग भी सात तरह के होते है और जब कभी आसमान में सात रंग एक साथ दिखाई देते थे तो हमें बताया जाता था कि देखो आकाश में ‘इंद्रधनुष’ छाया हुआ है। रंगो पर फ़िल्मी गीतकारों ने भी पचीसों गाने लिख डाले है। मसलन ‘रंग बरसे भीगे चुनर रंग बरसे’, ‘दो रंग दुनिया के और दो रास्ते’, ‘फूलो के रंग से दिल की कलम से लिखी तुम्हेँ रोज पाती’, ‘ये लाल रंग कब मुझे छोड़ेगा’, ‘मैंने तेर लिए ही सात रंग के सपने चुने’, मेरे रंग में रंगने वाली परी हो या परियों की रानी’ ‘रंग और नूर की बारात किसे पेश करूँ’ ‘तन रंग लो जी आज मन रंग लोl जैसे सैकड़ो गाने हैl

रंग का जलवा कैसा होता है इससे अंदाज लगा लो शुक्र को यदि प्रसन्न करना है तो ‘सफ़ेद चीजों’ के दान की बात कही जाती है, शनिवार को ‘काली” मंगल को ‘मसूर की लाल दाल’ का दान किया जाता हैं। कहते है कि यदि कुंडली में मंगल बारहवे भाव में हो तो कुंडली मंगली हो जाती है और उस बन्दे की शादी लेट यानि अठ्ठाइस साल के बाद ही हो पाती है, पंडित लोग ‘मंगल की शांति’ भी करवाने का दावा भी करते है पर मंगल शांत नहीं होता। हां पंडितों के नोट जरूर पक जाते हैंl मंगल वार का उपवास ‘बजरंग बली’ को खुश करने के लिये किया जाता है। ‘मंगलकामनाएं’ कह कर लोग बाग़ एक दूसरे को शुभकामनाये देते हैं। सब ‘कुशल मंगल’ तो हैं न पूछते भी है पर इतना प्रतापी मंगल भी इंडिया के नेताओं के कीटाणुओं को झेल नहीं पाया और अपना रंग बदल लिया हैं उसनेl वो तो अच्छा हुआ टीवी चैनल्स के एंकरों को इस बात की जानकारी नहीं मिल पाई कि मंगल ने अपना रंग हरा कर लिया हैं।

वे तुरंत इसे ‘पकिस्तान की शरारत’ बतला देते, एक दो मुल्लाओं, एक दो पंडितों, एक दो भारत के नेताओं एक दो पकिस्तान के नेताओं को बैठा कर गरमा गर्म बहस शुरू करवा देतेl ‘रिपब्लिक भारत’ के ‘अर्नब गोस्वामी’ इसे ‘सुशांत सिंह’ की आत्महत्या से जोड़ देतेl अपने को तो अब इस बात का डर है क जिस तरह से नेताओं का असर मंगल पर हो रहा है वो दिन दूर नहीं जब मंगल अपने निवासियों के लिए घोषणा कर देगा कि अब मंगल में निकलने वाली सारी नौकरियां मंगल के निवासियों को ही मिलेंगी। बुध गुरु शुक्र शनि गृह के लोगों के लिये यंहा कोई जगह नहीं होगी। मंगल के किसानों का दो लाख तक का कर्जा माफ़ किया जाएगा। मंगल के बेरोजगारों को अगले महीन से बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा। मंगल के निवासी जो गरीबी रेखा के नीचे है। उन्हें सरकार मुफ्त बिजली, पानी और राशन देगी और जो मध्यम वर्गीय लोग हैं। उन्हें बिजली के बिल का आधा ही भुगतान करना पड़ेगा। अपने देश के नेताओ का असर कितना दमदार और असरकारक है ये अपने को आज समझ में आया जो मंगल जैसे ग्रह को बदल दे। उसके सामने ‘गिरगिट’ की क्या औकात धन्य है आप लोग, आप लोगों के श्री चरणों में बारम्बार प्रणामl।