Adipurush Controversy: आदिपुरुष फिल्म को लेकर विरोध हैं कि रुकने का नाम नहीं ले रहा है। आदिपुरुष के विरोधाभासी संवादों और दृश्यों को हटाए जाने की डिमांड को लेकर एक दरखास्त दिल्ली हाई कोर्ट में लगाई गई है। वहीं हिंदू सेना की याचिका पर आज सुनवाई होनी है। फिल्म को लेकर सियासी लेवल पर भी कड़ी निंदा की जा रही है। अखिलेश यादव ने प्रश्न चिंह उठाया कि क्या सेंसर बोर्ड धृतराष्ट्र बन गया है?
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इसी के साथ उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सोशलिस्ट दल के नेता अखिलेश यादव ने फिल्म की कड़ी निंदा करते हुए कहा, जो लोग सियासी आकाओं के पैसों से, एजेंडे वाली मनमानी फिल्में बनाकर आम आदमी की आस्था और श्रद्धा के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, उनके सियासी-चरित्र का सर्टिफिकेट भी देखा जाना चाहिए। इसी के साथ सेंसर बोर्ड से प्रश्न पूछते हुए कहा कि सेंसर बोर्ड क्या धृतराष्ट्र बन गया है?
पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या ने फिल्म के विषय में कहा कि आदिपुरुष में महा ग्रन्थ रामायण के सभी कैरेक्टर जैसे कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम, रावण, लक्ष्मण और हनुमान के जरिए से लेखक मनोज मुंतशिर और ओम राउत ने अमर्यादित, स्तरहीन गुंडे, मवाली व टपोरियों की लैंग्वेज का उपयोग कर उपहास उड़ाया है।साथ ही मर्यादाको भी कड़ी ठेस पहुंचाई हैं। क्या इससे सनातन धर्म का कोई निरादर नहीं हुआ? आज उनकी बोलती बंद क्यों है?
वहीं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी कठोर निंदा करते हुए कहा कि किस प्रकार पावन और पवित्र राम कथा का उपहास बना गया हैं। हमें दुख है। राजीव के वक्त की ‘रामायण’ देखिए और अब नरेंद्र मोदी के समय की ‘आदिपुरुष’। RSS के लोग प्रभु राम को ईश्वर का स्वरुप नहीं मानते है। वे उन्हें ‘आदिपुरुष’ मानते हैं।
दिग्विजय सिंह ने भी की कड़ी निंदा
BJP सांसद हरनाथ सिंह यादव ने भी फिल्म आदिपुरुष पर निशाना साधते हुए कहा, “एक सोची समझी रणनीति के अंतर्गत हिंदुत्व के प्रति विश्वास और श्रद्धा पर आहत पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। फिल्म में जिस प्रकार से भगवान राम और मां सीता, हनुमान जी की परिधान और डायलॉग हैं और वो बेहद निराशाजनक हैं। भगवान श्री राम और श्रीकृष्ण हमारे कण-कण में हैं, उनकी महिमा को विकृत तरीके से प्रस्तुत करने की कोई भी कोशिश मंजूर नहीं की जाएगी।