हमीरपुर का एक महिला स्वयं सहायता समूह पाक-कला के जरिये बना रहा है हुनर से अपनी पहचान

Deepak Meena
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हमीरपुर : हमीरपुर के शांत वातावरण और मनोरम दृश्यों के बीच, दारला पंचायत से आने वाली दस दृढ़ महिलाओं का एक स्वयं सहायता समूह “आदि शिव धाम स्वयं सहायता समूह”, सशक्तिकरण और उद्यमशीलता की कहानी लिख रहा है। यह समूह पाक-कला के जरिये महिला सशक्तिकरण और सामुदायिक विकास का एक बेजोड़ उदाहरण पेश करता है। इन महिलाओं का दृढ़ संकल्प, अवसरों को अपनाने और अपने भविष्य को संवारने की प्रेरणा देता है।

जनवरी 2023 में स्थापित, आदि शिव धाम स्वयं सहायता समूह, ट्रेडिशन और इनोवेशन से भरपूर एक पाक-कला के सफर पर आगे बढ़ रहा है। पौष्टिक खाद्य पदार्थों और स्नैक्स के उत्पादन में विशेषज्ञता रखने वाले इस समूह के प्रयासों में रागी लड्डू और रागी चूरमा जैसे मिलेट से बने व्यंजनों के निर्माण के साथ-साथ सोया बड़िया, आटा मोमोज, वेजिटेबल नूडल्स, बिस्कुट और अचार जैसे स्वादिष्ट हेल्दी स्नैक्स शामिल हैं।
हालांकि, उनका सफर कम चुनौतियों से भरा नहीं था। समाज की रूढ़िवादी सोच, समर्थन और मार्गदर्शन की कमी के साथ बढ़ने वाली इन महिलाओं ने अनिल अग्रवाल फाउंडेशन की सहायता से अपना आगे का सफर शुरू किया। पारंपरिक आंगनवाड़ियों को महिला एवं बाल विकास के लिए आधुनिक केंद्रों में बदलने की एक पहल, ‘प्रोजेक्ट नंद घर’ के माध्यम से उन्हें एक नई राह पर चलने का अवसर मिला। नंद घर के मार्गदर्शन में, इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट द्वारा आयोजित कार्यशालाओं के जरिये महिलाओं ने आवश्यक पाक कौशल को निखारा और पोषण संबंधी जानकारी हासिल की, जिससे उनके उद्यमिता को एक नई राह मिल गई।

खुद को मिले इस नए अनुभव के साथ, वह अपने ब्लॉक में एक साप्ताहिक स्टाल लगाती हैं, और अपने प्रोडक्ट्स की पेशकश करती हैं। इससे उन्हें अपने और अपने परिवारवालों के लिए धन अर्जित करने में मदद मिलती है। गुणवत्ता और पोषण के प्रति उनके समर्पण ने उन्हें समुदाय के अंदर पहचान दिलाने का काम किया, साथ ही कड़े गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों को बनाये रखने के लिए एफसीसीएआई से सर्टिफिकेशन भी प्राप्त हो गया। हालांकि उनकी उद्यमशीलता की भावना तब और ऊंचाई पर पहुंच गई जब उन्होंने चंडीगढ़ में हिमाचल सरस मेला और राष्ट्रीय राजधानी के दिल्ली हाट में आयोजित होने वाले वेदांता कल्चर फेस्टिवल जैसे प्रतिष्ठित कार्यक्रमों में हमीरपुर जिले का प्रतिनिधित्व किया। यहां, उन्होंने अपनी पाक कला का प्रदर्शन किया, और कुछ ही दिनों में सारे प्रोडक्ट्स को बेंचकर प्रशंसा व आय, दोनों ही प्राप्त किए। नंद घर के समर्थन से, उन्होंने गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए आंगनवाड़ी केंद्रों में रागी लड्डू की आपूर्ति करने के लिए इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट सर्विसेज डिपार्टमेंट के साथ भी साझेदारी की, जिसके माध्यम से उन्हें अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने तथा मातृ एवं बाल स्वास्थ्य पर बेहतर प्रभाव डालने में भी मदद मिली।

स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) की एक हर्षित सदस्य सरिता देवी, उनके अब तक के सफर के बारे में बताते हुए कहती हैं कि, “आफ और नंद घर ने हमारी क्षमता को तब परखा, जब इसे दूसरे नहीं देख सके, और उन्होंने हमें अपने सपनों को पूरा करने के लिए जरुरी साधन व आत्मविश्वास प्रदान किया। मैंने कभी नहीं सोचा था कि खाना बनाने का हमारा जुनून इस कदर सफल साबित होगा।” आज, सरिता देवी हजारों महिलाओं का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिनके जीवन को आफ ने सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। नंद घर के माध्यम से इन महिलाओं को ट्रेनिंग, ऋण तक पहुंच और सहायता सेवाएं प्राप्त हुई हैं, जिससे उनकी उद्यमशीलता और आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा मिला है।

नंद घर में, ग्रामीण परिदृश्य और स्थानीय अर्थव्यवस्था के आधार पर, लोकल व्यवसायों का चुनाव किया जाता है। एक निश्चित अवधि के अंतर्गत प्रति बैच 30 महिलाओं को प्रशिक्षित किया जाता है। ट्रेनिंग के बाद, महिलाओं को रोजगार मिलता है और आवश्यकतानुसार उन्हें बिज़नेस प्लान बनाने में मदद भी की जाती है। स्वतंत्रता और आत्मविश्वास की नई भावना के साथ, ये महिलाएं एक ऐसे भविष्य की कल्पना कर रही हैं जहां वे अपने कौशल को आगे बढ़ाना जारी रख सकें और अपने परिवार की भलाई में अधिक योगदान दे सकें।

जहां आज भी दुनिया में लैंगिक समानता एक जटिल समस्या बनी हुई है, वहीं सरिता देवी की कहानी हमें याद दिलाती है कि दृढ़ता और उचित समर्थन के साथ, महिलाएं बाधाओं को तोड़ सकती हैं, उम्मीदों को चुनौती दे सकती हैं और अपनी सफलता की राह खुद बना सकती हैं। इस अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर, आइये हम दुनिया की अन्य तमाम सरिता देवी के लिए खुशियां मनाएं और सभी के लिए एक समावेशी तथा समान अधिकारों वाला समाज बनाने की अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करें।

अनिल अग्रवाल फाउंडेशन के बारे में:
अनिल अग्रवाल फाउंडेशन वेदांता की सामुदायिक और सामाजिक पहलों के लिए एक मुख्य संगठन है। यह संस्था स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास, पशु कल्याण प्रोजेक्ट्स तथा खेलों से जुड़ी पहलों पर काम करती है। अनिल अग्रवाल फाउंडेशन का लक्ष्य स्थायी और समावेशी विकास के जरिये समुदायों को सशक्त बनाना, लोगों के जीवन को बेहतर बनाना और राष्ट्र निर्माण में मदद करना है। फाउंडेशन ने अगले पांच वर्षों में विभिन्न सामाजिक कार्यक्रमों पर 5000 करोड़ रुपये खर्च करने की प्रतिबद्धता जाहिर की है।
अधिक जानकारी के लिए: https://www.anilagarwalfoundation.org

नंद घर के बारे में:
नंद घर, अनिल अग्रवाल फाउंडेशन की एक महत्वपूर्ण सामाजिक पहल है, जो देश के आंगनवाड़ी नेटवर्क को मजबूत बनाने के लिए बनाई गई है। 14 राज्यों में 5800 से अधिक नंद घर बने हैं, जो बदलाव और विकास में मदद कर रहे हैं। इनके माध्यम से अभी तक 2.25 लाख से अधिक बच्चों और 1.7 लाख महिलाओं को लाभ हुआ है।
भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (एमओडब्ल्यूसीडी) के सहयोग से बने ये नंद घर, आधुनिक आंगनवाड़ी हैं, जिनका लक्ष्य बच्चों में कुपोषण मिटाना, उन्हें प्री-प्राइमरी शिक्षा देना, प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराना और महिलाओं को स्किल ट्रेनिंग देकर सशक्त बनाना है। नंद घर के रूप में ये आधुनिक आंगनवाड़ी, पूरे देश में 13.7 लाख आंगनवाड़ियों के 7 करोड़ बच्चों और 2 करोड़ महिलाओं के जीवन को बदलने का लक्ष्य रखते हैं।
नंद घरों में 24 घंटे बिजली सुनिश्चित करने के लिए सौर पैनल, वाटर प्यूरिफायर्स, साफ शौचालय और स्मार्ट टीवी जैसी सुविधाएं हैं। ये स्थानीय समुदायों के लिए एक आदर्श संसाधन केंद्र भी बन गए हैं। यहां 3-6 साल के बच्चों को प्री-स्कूल शिक्षा दी जाती है। बच्चों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को पौष्टिक भोजन, मल्टी-मिलेट न्यूट्री बार्स और घर ले जाने का राशन दिया जाता है। मोबाइल हेल्थ वैन और टेलीमेडिसिन सेवाओं के माध्यम से प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाती हैं, और महिलाओं को कौशल और उद्यम विकास के माध्यम से सशक्त बनाया जाता है।