ईमानदार राजनीति का एक सशक्त व्यक्तित्व हुआ अलविदा…

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भारतीय राजनीति के क्षितिज पर ईमानदार और बेदाग चरित्र के साथ किसी भी पद , सम्मान और नाम की राजनीति से दूर रहकर …जिन्होंने देश भर में राजनीतिक , सामाजिक , शिक्षा और स्वास्थ जेसे क्षेत्रो में अनेकों महत्वपूर्ण उपलब्धियां प्रदान करने वाले अशोक पाटनी आज आकस्मिक रूप से अलविदा कह गए। काका के नाम से मशहूर अशोक पाटनी देश के पूर्व गृह मंत्री स्व. प्रकाशचंद सेठी के दामाद थे। स्व. सेठी के चुनाव का बखूबी संचालन का दीर्घ अनुभव रखने वाले काका 1993.में महू से कांग्रेस के विधानसभा उम्मीदवार भी रहे 22 जून 1944 को नागपुर के फुलगांव में जन्मे श्री अशोक पाटनी का संपूर्ण जीवन बेदाग रहा । सेठी जी के आदर्शो और सिद्धांतो का अनुसरण करने वाले काका सत्ता की राजनीति में रहकर भी हमेशा उजले बने रहे। एक दौर ऐसा भी रहा जब सत्ता के केंद्र बिंदु हुआ करते थे काका। प्रदेश की राजनीति में कई चेहरों को स्थापित कर मुख्यमंत्री , मंत्री तक बनाने में काका की महत्वपूर्ण भूमिका रही..लेकिन वे कभी किसी पद पर नही रहे।

देश भर में जैन समाज को अनेकों तीर्थ प्रदान कराने में काका की विशेष भूमिका रही। अष्टापद बद्रीनाथ , मक्सी, महावीर ट्रस्ट की भूमि , सन्मति स्कूल ,गोमट गिरी , भोपाल में जैन समाज को भूमि , माणक चोक जैन मंदिर ,जिमखाना क्लब, जेसे अनेक तीर्थों, ट्रस्टों की जमीन शासन से दिलाने में अहम भूमिका अदा की। लंबी कद काठी, स्मार्ट पर्सनालीटी वाले अशोक पाटनी जितने खूबसूरत बाहर से दिखाई देते थे उतने ही मन के उजले व्यक्तित्व थे। निस्वार्थ रह कर हमेशा अपने पास आने वाले की मदद करने वाले काका अपनी जवानी में इतने खूबसूरत थे की इंदिरा जी ने तो उन्हे फिल्मों में हीरो की भूमिका करने तक की सलाह दी थी।

कांग्रेस के गांधी परिवार से ले कर वरिष्ठ नेताओं में उनका आज भी इतना सम्मान था की वे उन्हें कवर साहब कह कर ही संबोधित करते थे । परम मुनि भक्त , ज्योतिष विद्या में रुचि रखने वाले काका कभी किसी पद के मोहताज नहीं रहे । मंच और माइक की राजनीति से दूर रहकर हमेशा कार्य में विश्वास रखते थे। आज ऐसे व्यक्तित्व का शहर , समाज से अलविदा हो जाना अपूरणीय क्षति है। काका के कार्य हमेशा ना केवल याद आएंगे बल्कि आने वाली पीढ़ी के लिए भी प्रेरणा प्रदान करेंगे। ॐ शांति।।