अंतर्राष्ट्रीय कलाकार सत्य नारायण मौर्य जिनके एक नारे ने विश्व हिन्दू परिषद को एक नई दिशा दी – “राम लला हम आएंगे, मंदिर वही बनाएंगे” द्वारा राम जन्म भूमि शिलान्यास के उपलक्ष्य मे रात्रि जागरण किया गया। जहा जागरण मे कारसेवा का आखो देख वर्णन किया एवं 500 वर्षो के इतिहास को याद कर समय समय पर हुए प्रयासो व बदलाव को याद दिलाया। साथ ही उनके प्रेरणा स्त्रोत अशोक सिंघल को याद कर कारसेवको पर हुए आत्यचार का विवरण किया और रात्रि 12 बजे झूम नाचकर जन्मोत्सव को त्योहार के रूप मे बनाने का आव्हन किया।
विवादित ढाचा के विध्वंश 6 दिसम्बर 1992 का वर्णन करते हुए बताया कि कैसे मन्च संचालक के रूप मे वो गीत गाकर संचालन कर रहे थे और उन्ही के द्वारा पेंटिग मे प्रयोग किया जाने वाला गुलाबी कपड़ा जो उस समय उनके पास ही था का प्रयोग कर विवादित भूमि पर अपने हाथो से तम्बू व तकत से अस्थाई मंदिर का निर्माण किया।
उस समय से अब तक गुलाबी कपड़े के तम्बू मे ही रामलला विरजित है। आज भव्य मंदिर के बनने पर प्रभु को कारसेवा का मौका देने पर प्रणाम कर जन कल्याण का अशीष मांगा।