इंदौर। खनिज निगम के पूर्व उपाध्यक्ष गोविंद मालू ने मुख्यमंत्री को एक पत्र मेल कर आग्रह किया कि लॉक डाउन के दौरान और बाद में अस्पताल और स्कूल के मनमाने रवैये की समस्या से ही आम नागरिक जूझता रहा है। तेजी से सामान्य हो रहे वातावरण के बाद जन सामान्य में इन समस्याओं के तात्कालिक और समाधान की जगह स्थाई समाधान की चाह और माँग है। एक रेगुलेटरी अथॉरिटी बनाकर इस पूरी व्यवस्था को सुधारा जाए।
मालू ने कहा कि निजी संस्थानों के लिए इसकी गाइड लाइन बनाई जाए जिसका उल्लंघन करने वालों को कड़े दंड का प्रावधान हो। आपने कहा कि लॉक डाउन में मेरे आग्रह पर मुख्यमंत्री ने निजी अस्पतालों के लाइसेंस निरस्त करने, स्कूलों पर फीस के लिए दबाव न बनाने और ट्यूशन फीस के अलावा कोई शुल्क न लेने जैसे फौरी राहत के निर्णय लिए थे लेकिन, सरकार की सदाशयता के चलते इनका मनमानापन बन्द नहीं हुआ।
स्कूल संचालक अभी भी पालकों से वे सारे शुल्क मांग रहे हैं, जिसे लेने पर शासन ने रोक लगाई है। इसलिए एक सख्त कानून बनाया जाना चाहिए, ताकि शुल्क, फीस, सुविधा में राहत मिले। साथ ही गुणवत्ता और सेवा के उच्च मानदंडों पर शासन का नियंत्रण हो। बेहतर हो कि शासन इसके लिए एक रेगुलेटरी अथॉरिटी का अलग से गठन कर उसे दंडाधिकारी की शक्ति से लैस करना चाहिए। पत्र में आपने विश्वास व्यक्त किया कि लोक कल्याणकारी शासन की सजगता के लिए मुख्यमंत्री की ख्याति है, जिसे अति संवेदनशीलता के साथ प्राथमिक तौर पर आप पूरा करेंगे।