ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन ने आज मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपकर महाधिवक्ता को उनके पद से हटाने की मांग की है। एसोसिएशन ने आरोप लगाया है कि महाधिवक्ता ने इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और नई दिल्ली में दो सैकड़ा से अधिक शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्ति के लिए नियमों का उल्लंघन करते हुए अनुशंसा की है।
नियुक्तियों में भेदभाव का आरोप
एसोसिएशन का दावा है कि महाधिवक्ता ने अपनी जाति और रिश्तेदारों को महाधिवक्ता कार्यालय में शासकीय अधिवक्ता नियुक्त किया, जिनका हाईकोर्ट में कोई वकालत का अनुभव नहीं है। इसके अलावा, पिछले तीन वर्षों में निर्धारित 20 फैसलों में भी उनकी भागीदारी नहीं है। ज्ञापन में बताया गया कि महाधिवक्ता ने अनुसूचित जाति के मात्र दो अधिवक्ताओं और ओबीसी वर्ग के केवल छह अधिवक्ताओं को नियुक्त किया है, जबकि अनुसूचित जनजाति का कोई भी अधिवक्ता नहीं नियुक्त किया गया।
OBC और अन्य वर्गों की नियुक्तियों की मांग
एसोसिएशन ने मांग की है कि OBC के 13% होल्ड पदों को अनहोल्ड कर सभी वर्गों की संख्या अनुपात में नियुक्तियां की जाएं। इसके साथ ही, महाधिवक्ता के अवैध अभिमत को अमान्य कर 100% पदों पर भर्ती की जाए।
उचित कार्रवाई की अपील
एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री से यह भी अपील की है कि महाधिवक्ता की अवैधानिकताओं की जांच के लिए एक समिति गठित की जाए। ज्ञापन में कहा गया है कि महाधिवक्ता द्वारा की गई सभी शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्तियों को निरस्त किया जाए और OBC, SC, और ST वर्ग के अधिवक्ताओं को संख्या अनुपात के अनुसार नियुक्त किया जाए।
यह ज्ञापन इस बात का संकेत है कि OBC समुदाय अपने अधिकारों के प्रति सजग है और वे नियुक्तियों में पारदर्शिता और समानता की मांग कर रहे हैं।