इंदौर। आज के दौर में कई बीमारियों ने हमारे शरीर में जगह बना ली है इसके कई कारण है लेकिन हमारी बदलती लाइफस्टाइल हमारा खान-पान हर बीमारी की जड़ है। अगर बात सामान्य पेट से संबंधित बीमारियों और पेट के कैंसर के केस की करी जाए तो इसमें काफी बढ़त हो रही है। पहले जो बीमारियां ओल्ड एज में हुआ करती थी आजकल वह बीमारियां यंग जनरेशन में भी काफी ज्यादा देखने को मिल रही है। हमारी बदलती लाइफस्टाइल मैं एक्सरसाइज कम होना, सीटिंग जॉब, और अन्य चीजें शामिल है वही हमारे खानपान में इस्तेमाल की जाने वाली कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे तैयार करने के लिए केमिकल का इस्तेमाल ना किया गया हो।
जब भी मेरे पास कोई पेशेंट आते हैं तो उनके साथ आने वाले व्यक्तियों को देखकर मुझे लगता है कि इन्हें भी कुछ बेहतर करने की जरूरत है इसलिए मेरा हमेशा से मानना है कि प्रिवेंशन इस बेटर देन क्योर इसी के तहत में पेशेंट के साथ आने वाले व्यक्तियों को भी ऐसी समस्या ना हो इसके लिए उपाय बताता हूं। यह बात डॉ. विवेक शर्मा ने अपने साक्षात्कार के दौरान कही व शहर के प्रतिष्ठित मेदांता अस्पताल में गैस्ट्रो सर्जन के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
सवाल. लिवर सिरोसिस क्या है और और इसमें किस प्रकार बढ़ोतरी हुई है
जवाब. आज के दौर में लिवर सिरोसिस के पेशेंट काफी ज्यादा बढ़ गए हैं दो से तीन डिकेड पहले इसका मुख्य कारण अल्कोहल हुआ करता था लेकिन आज इसका मोटापा मेन कारण बनकर उभरा है। हमारी लाइफस्टाइल सेडेंटरी हो गई है हमारे जीवन से व्यायाम बिल्कुल खत्म होता चला गया है। आजकल सारी चीजें टेक्नोलॉजी के चलते एक क्लिक पर अवेलेबल है इसका दुष्परिणाम यह है कि लोग कैलोरी बर्न करने की बजाए गेन कर रहे हैं जो कि आगे चलकर दूसरी बीमारियों को बढ़ावा देती है। इससे बचने के लिए हमें हमारे खान-पान और जीवन शैली में बदलाव की बहुत आवश्यकता है। इसका सही समय पर इलाज ना किया जाए तो यह हमारे लिवर के लिए हानिकारक हो सकती है।
सवाल. क्या फैटी लीवर के केस में पहले के मुकाबले बढ़ोतरी हुई हैं वही इसका सही समय पर इलाज नहीं होने से क्या दुष्परिणाम होते हैं
जवाब. वर्तमान समय में सोनोग्राफी करने पर हर तीसरे व्यक्ति को फैटी लीवर की समस्या देखने को मिल रही है। यह हमारे लीवर के लिए हानिकारक है यह इसे डैमेज भी कर सकता है। वही इसका सही समय पर अगर ट्रीटमेंट ना किया जाए तो यह लिवर सिरोसिस में भी कन्वर्ट हो सकता है। हमारे अनियमित खानपान, जीवन शैली में बदलाव, कम व्यायाम की वजह से इसके केस दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं अगर इसके लक्षण की बात की जाए तो सामान्य तौर पर पूरे शरीर के मुकाबले पेट के ऊपर ज्यादा चर्बी होना भी एक फैटी लीवर का इनडायरेक्ट इंडिकेशन है। इस बीमारी संबंधित समस्या हर वर्ग के व्यक्ति में देखने को मिल रही है वही आजकल यह यंग जनरेशन में भी काफी ज्यादा देखने को मिल रहा है इसका एक कारण सीटिंग जॉब, अनियमित खानपान, कम व्यायाम है। शरीर का प्रॉपर व्यायाम नहीं हो पाने की वजह से मोटापा बढ़ता है और यह आगे चलकर फैटी लीवर की समस्या को बढ़ावा देता है।
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सवाल. गॉलब्लैडर से संबंधित समस्या किस हद तक बढ़ी है क्या गॉलब्लैडर निकल जाने के बाद इसका असर पाचन क्रिया पर पड़ता है
जवाब. पहले आमतौर पर यह देखा जाता था कि गॉलब्लैडर से संबंधित समस्याएं महिलाओं में ज्यादा होती थी। लेकिन आज के दौर में यह पूरी तरह बदल गया है अब यह समस्या हर वर्ग में देखने को मिल रही है। आज गॉलब्लैडर सर्जरी में 30 से 40 परसेंट मेल भी होते हैं जो कि पहले इतने नहीं हुआ करते थे। अगर गॉलब्लेडर से संबंधित समस्या है तो इसका सही समय पर इलाज कर या इसे निकलवाना ठीक रहता है अक्सर लोगों में यह सुनने में आता है कि गॉलब्लैडर निकल जाने के बाद पाचन क्रिया पर इसका असर पड़ता है जो कि एक पूरी तरह से भ्रांति है।
कई बार लोग कहते हैं कि गॉलब्लैडर निकल जाने के बाद डाइजेशन सिस्टम पूरी तरह खराब हो जाएगा इस वजह से पाचन में समस्या होगी लेकिन तथ्य तो यह है कि जब गॉलब्लेडर स्टोन बनाने लगता है तो इसका मतलब है कि उसकी फंक्शनिंग पहले से बंद हो गई है और गॉलब्लेडर ने अपना काम करना वैसे भी अपना काम करना बंद कर दिया है। इस वजह से उसे निकलवाकर परेशानी से बचा जा सकता। गॉलब्लैडर सर्जरी आजकल लेप्रोस्कॉपी से मदद से की जाती है जिसकी वजह से पेशेंट को कम समय में बेहतर रिजल्ट मिलते हैं।
सवाल. क्या पेट से संबंधित कैंसर में बढ़ोतरी हुई है इसके क्या कारण है
जवाब. वर्तमान समय में पेट की बड़ी आंत के कैंसर जिसे कोलोरेक्टल कैंसर कहा जाता है इसके केस में भी काफी ज्यादा बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। यह ज्यादातर स्मोकिंग, मोटापा, अल्कोहल के कारण देखने में सामने आता है। और सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि इसके केस यंग जनरेशन में भी काफी ज्यादा मात्रा में देखने को मिल रहे हैं। अगर इसके कारण की बात की जाए तो 5 प्रतिशत लोगों में यह जेनेटिक रूप से पाया जाता है वहीं 90 प्रतिशत लोगों में बुरी आदतों के चलते यह समस्या सामने आती है। इसे शुरुआत मैं जांच कर इसका इलाज करना संभव होता है वहीं कई बार इसको नजरअंदाज करने पर पेशेंट की जान जाने का खतरा भी बना रहता है। अगर इसके शुरुआती लक्षण की बात की जाए तो मलाशय में खून आना, मोशन की हैबिट में बदलाव, भूख कम लगना, वजन कम होना शामिल है।
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सवाल. आपने-अपनी मेडिकल फील्ड की पढ़ाई कहां से और किस क्षेत्र में पूरी की
जवाब. मैंने अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई शहर के प्रतिष्ठित एमजीएम मेडिकल कॉलेज से पूर्ण की इसके बाद एमएस सर्जरी नेताजी सुभाष चंद्र मेडिकल कॉलेज जबलपुर से पूरी की। इसके बाद सुपर स्पेशलिटी गैस्ट्रो सर्जरी और लिवर ट्रांसप्लांट में सुपर स्पेशलिटी मेदांता गुड़गांव से कंप्लीट की। इसी के साथ मैने देश और विदेश के कई बड़े अस्पतालों में अपनी सेवाएं दी है। वर्तमान में मै शहर के प्रतिष्ठित मेदांता अस्पताल में पिछले कई सालों से गैस्ट्रो सर्जन के रूप में अपनी सेवाएं दे रहा हूं।