मिर्गी, जिसे एपिलेप्सी भी कहा जाता है, एक ऐसी न्यूरोलाजिकल स्थिति है, जिसमें मस्तिष्क के असामान्य विद्युत गतिविधियों के कारण दौरे आते हैं। यह समस्या दुनियाभर में लाखों लोगों को प्रभावित करती है। मिर्गी के कुछ सामान्य कारणों में ब्रेन ट्यूमर, ब्रेन हेमरेज, क्लॉटिंग, स्ट्रोक और संक्रमण शामिल हैं। हालांकि, कुछ मामलों में यह मस्तिष्क के अंदरूनी विकारों के कारण भी हो सकती है, जिसे टेम्पोरल लोब एपिलेप्सी कहा जाता है। मेदांता अस्पताल, इंदौर के न्यूरोसर्जन के डा. रजनीश कछारा ने बताया कि करीब 70 प्रतिशत मिर्गी के मरीज दवाइयों से पूरी तरह ठीक हो सकते हैं। हालांकि, 30 प्रतिशत मामलों में दवाइयां कारगर नहीं होतीं और सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है। मिर्गी सर्जरी, खासकर टेम्पोरल लोब एपिलेप्सी के मरीजों के लिए, अब इंदौर में उपलब्ध है, जिससे कई मरीजों को नया जीवन मिला है।
मिर्गी से जुड़े भ्रम और मानसिक स्वास्थ्य
मिर्गी के बारे में जागरूकता की कमी अभी भी एक बड़ी चुनौती है। कई मरीज दवाइयां बीच में ही छोड़ देते हैं, जिससे उनकी स्थिति और बिगड़ सकती है। मिर्गी का असर सिर्फ शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। लंबे समय तक इलाज में देरी से अवसाद, तनाव और अन्य मानसिक विकार हो सकते हैं। मिर्गी का सही और समय पर इलाज करवाना जरूरी है। यदि लक्षण नजर आते हैं तो उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। कई मरीज दवाईयां लेना बंद कर देते हैं, लेकिन इससे बाद में समस्या बढ़ जाती है।
मिर्गी के लक्षण
– अचानक चेतना खो देना
– शरीर में झटके आना या ऐंठन होना
– आंखों की पुतलियों का एक जगह स्थिर हो जाना
– कुछ सेकंड्स या मिनट्स तक खालीपन महसूस करना
– भ्रम, चिंता, और चिड़चिड़ापन
मिर्गी के कारण
– मस्तिष्क में चोट: सिर पर गंभीर चोट लगने से मिर्गी हो सकती है।
– जन्मजात विकार: कुछ लोग जन्म से ही मिर्गी के लिए जोखिम में होते हैं।
– संक्रमण: मस्तिष्क में संक्रमण, जैसे मेनिन्जाइटिस या एन्सेफलाइटिस, मिर्गी का कारण बन सकता है।
– जीन संबंधी विकार: कुछ मामलों में, यह परिवारिक पृष्ठभूमि के कारण हो सकता है।