भारत में 2024 में मौसम के अनियमित और चरम घटनाओं ने कई जानें लीं और आर्थिक नुकसान पहुंचाया। इस साल गर्मी, बारिश, सूखा, और आंधी-तूफान के कारण 3,238 लोगों की मौत हो गई, लगभग 32 लाख हेक्टेयर फसलें बर्बाद हो गईं, और 2.36 लाख से ज्यादा घरों को नुकसान हुआ। पिछले कुछ वर्षों से भारत में मौसम के चरम घटनाओं की संख्या और तीव्रता लगातार बढ़ रही है, और 2024 में ये घटनाएं और भी खतरनाक साबित हुईं।
2024 में चरम मौसम घटनाओं का खौफ
भारत में 2024 के पहले नौ महीनों में चरम मौसम घटनाओं ने भारी तबाही मचाई। इस दौरान 235 दिन खराब मौसम रहे, जिनमें 3,238 मौतें हुईं। 2023 में, पहले नौ महीनों में मौसम की चरम घटनाएं 273 दिनों तक चली थीं, जिनमें 2,923 मौतें हुई थीं। मौसम से नुकसान की यह स्थिति लगातार बढ़ रही है। पिछले साल के मुकाबले इस साल मौसम के खतरनाक दिन और ज्यादा थे।
फसलें और संपत्ति हुई बर्बाद
सीएसई (सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरनमेंट) की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल कुल 32 लाख हेक्टेयर फसलें बर्बाद हो गईं। जबकि महाराष्ट्र में अकेले 60% फसल नुकसान हुआ है। इसके अलावा, इस मौसम में 2.36 लाख घर भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं, और 92,519 जानवरों की भी मौत हुई।
मध्य प्रदेश और केरल में सबसे ज्यादा असर
सीएसई की रिपोर्ट में बताया गया है कि सबसे ज्यादा 176 दिनों तक खराब मौसम मध्य प्रदेश में रहा। वहीं, केरल में चरम मौसम की घटनाओं से सबसे अधिक 550 लोगों की जान गई। आंध्र प्रदेश में सबसे ज्यादा 85,806 मौतें हुईं, जबकि महाराष्ट्र ने सबसे ज्यादा फसल नुकसान झेला।
हीटवेव और लू की घटनाएं
सीएसई की महानिदेशक सुनीता नारायण ने कहा कि पहले जो चरम मौसम घटनाएं सदियों में एक बार हुआ करती थीं, वे अब हर पांच साल में हो रही हैं। हीटवेव की घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है। रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में 77 हीटवेव की घटनाएं दर्ज की गईं, और यह लगातार तीसरा साल था जब हीटवेव गर्मी के मौसम में 50 दिन से ज्यादा चली। इस बढ़ती हीटवेव की घटनाओं ने भारत के कई हिस्सों को भीषण गर्मी का सामना कराया, जिससे जीवन अस्त-व्यस्त हो गया।
जनवरी और जुलाई में विशेष रूप से गंभीर घटनाएं
2024 में जनवरी का महीना देश के उत्तर-पश्चिम हिस्से में सबसे ज्यादा सूखा रहा। वहीं, दक्षिणी प्रायद्वीप में फरवरी का महीना रिकॉर्ड तोड़ गर्मी का था। इसके बाद मार्च और अप्रैल में असाधारण गर्मी और लू के हालात बने। इन महीनों में अत्यधिक तापमान ने लोगों के लिए असहनीय स्थिति पैदा कर दी।
बरसात की असामान्य स्थिति
हालांकि जुलाई में भारी बारिश हुई, जब 36.5 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई। अगस्त में भी तापमान असामान्य रूप से उच्च स्तर पर पहुंच गया, और न्यूनतम तापमान के रिकॉर्ड टूटे।
बढ़ती जलवायु संकट की ओर इशारा
2024 की मौसमी घटनाओं के आंकड़े यह साबित करते हैं कि भारत में जलवायु परिवर्तन के असर में तेजी से वृद्धि हो रही है। चरम मौसम घटनाओं की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है, जिससे न सिर्फ मानव जीवन बल्कि कृषि और संपत्ति पर भी गंभीर असर पड़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि जलवायु संकट को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो भविष्य में ऐसी घटनाओं का सामना और भी अधिक कठिन हो सकता है।