सिजोफ्रेनिया एक मानसिक विकार है, इससे पीड़ित व्यक्ति को सामाजिक और व्यावसायिक क्षेत्र में रोजाना के कामकाज में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.

ये डिसऑर्डर होना काफी दुर्लभ माना जाता है लेकिन यह काफी गंभीर समस्या है और दुनियाभर में करीब लाखों लोग इस बीमारी से ग्रसित हैं.

ज्यादातर टीनएज उम्र के बच्चों में ये समस्या देखी जाती है, ‘सिजोफ्रेनिया’ ग्रीक भाषा का शब्द है, जिसका मतलब ‘स्प्लिट माइंड’ होता है.

इसमें हैलुसिनेशन यानी भ्रम की स्थिति बन जाती है, जिसकी वजह से पीड़ितों को सोशल इंटरेक्शन करने में भी मुश्किलों से जूझना पड़ सकता है.

सिजोफ्रेनिया से पीड़ित अगर कोई किशोर है तो इसके लक्षणों की पहचान करना बेहद मुश्किल होता है, क्योंकि कई बार इसे उम्र संबंधित व्यवहार समझ लिया जाता है.

इस समस्या से पीड़ित इंसान समाज से कटने लगता है, दूसरों के प्रति उसका व्यवहार बदलने लगता है.

इसके अलावा छोटी-छोटी बातों पर शक करने के साथ ही अकेले में खुद को ज्यादा सेफ महसूस करने लगता है.

ये समस्या ड्रग्स, ज्यादा अल्कोहल लेना, बहुत ज्यादा स्ट्रेस में रहना और दिमाग से संबंधित कोई पुरानी बीमारी की वजह से हो सकती है.