शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर यानि दिन रविवार से शुरु हो रही है.

लोग नवरात्र शुरू होते ही कन्या पूजन करने लगते हैं किंतु अधिकांश लोग सप्तमी से कन्याओं को पूजन और भोजन कराने लगते हैं.

अष्टमी और नवमी का विशेष महत्व माना जाता है, जो लोग पूरे नवरात्रि में व्रत रखते हैं वह दशमी के दिन कन्या खिलाने के बाद ही पारण करते हैं.

कन्या को भोजन खिलाने में दो वर्ष से दस वर्ष तक की नौ कन्याओं को बुलाना चाहिए.

नौ की संख्या के पीछे माता के नौ स्वरूपों का भाव रहता है.

कन्या बुलाने के साथ ही एक काम करना कभी नहीं भूलना चाहिए, वह है इसी आयु का एक बालक जिसे भैरव के रूप में बुलाया जाता है.

कन्याओं को बुलाने के बाद पहले देवी मां का पूजन करें और साथ ही कन्याओं और बालक के भी पैर धोकर उन्हें उचित आसन पर विराजमान करें.

भोजन प्रसाद का सबसे पहले माता को भोग लगाएं इसके बाद अंत में पैर छूकर आशीर्वाद लें और सभी को कोई गिफ्ट भी दें, फिर घर के प्रवेश द्वार तक छोड़ने भी जाएं.