इंदौर: कॉरोगेटेड बॉक्स इंडस्ट्री की नींव कहा जाने वाले क्रॉफ्ट पेपर के दामों में अप्रत्याशित रूप से दुगनी वृद्धि हो गई है जिससे ये इंडस्ट्री बंद होने की कगार पर पहुंच गई है। क्रॉफ्ट पेपर के अलावा अन्य जरूरी सामग्रियों की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हो गई है। ये स्थिति इंदौर में ही नहीं, पूरे देश में बन गई है।
देशभर में इंडियन और इम्पार्टेड वेस्ट पेपर की अत्यधिक कमी होने, पेपर मिलों द्वारा भाव बढ़ाए जाने और इसके बावजूद पेपर की कमी बताकर वक्त पर माल सप्लाय न करने के कारण कॉरोगेटेड बॉक्स इंडस्ट्री गहरे संकट में फंस गई हैं।
मप्र कॉरोगेटेड बॉक्स मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजीव सुरेका, उपाध्यक्ष केके खोरे और सचिव अमित जैन ने बताया कि गत 16 मार्च को इस मुद्दे पर संगठन की आपातकालीन बैठक में कॉफ्ट पेपर के दामों में दुगनी वृद्धि पर गहरी चिंता व्यक्त की गई। बैठक में बताया गया कि पहले देश से मात्र 8 प्रतिशत कॉफ्ट पेपर का निर्यात होता था, जो अब बढ़कर लगभग 20 प्रतिशत हो गया है। ज्यादातर पेपर मिल्स आकर्षक भाव मिलने के कारण अपना प्रोडक्शन निर्यात करने लगी है।
इससे देशभर में क्रॉफ्ट पेपर की भारी कमी हो गई है। एक ओर तो केंद्र व राज्य सरकार लॉकडाउन के बाद इंडस्ट्रीज सेक्टर को बूस्ट देने के लिए तमाम उपाय करने के दावे करती है वहीं दूसरी ओर पेपर मिलों पर लगाम नहीं लगा रही हैं जिसके कारण क्रॉफ्ट पेपर के दाम लगभग दुगने हो जाने से कॉरोगेेटेड बॉक्स इंडस्ट्री बंद होने की कगार पर पहुच गई है। उन्होंने बताया कि सरकार की इस नजरअंदाजी के विरोध में हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, पूर्वी भारत और उप्र के कॉरोगेटेड यानी गत्ता निर्माता इकाईयों ने 7 दिनों का बंद रखा था लेकिन इसके बावजूद सरकार के कानों पर जूं नहीं रेंगी। क्रॉफ्ट पेपर में 100 प्रतिशत के अलावा स्टार्च पावडर 20 प्रतिशत, डुप्लैक्स बोर्ड 80 प्रतिशत, वायर 40 प्रतिशत, प्रिंटिंग इंक 30 प्रतिशत तक महंगे हो चुके हैं। इन सबके अलावा, ट्रांसपोर्ट भाड़ा भी 40 प्रतिशत तक बढ़ चुका है। ये वृद्धि यहीं नहीं रूक रही, ये अभी और बढऩे की संभावना है।
स्थिति ये है कि कॉरोगेटेड बॉक्स निर्माण इंडस्ट्री को 70 से 80 प्रतिशत तक कीमतें बढ़ाने पर मजबूर होना पड़ेगा। यदि ऐसा हुआ तो तय है कि ग्राहक इसे स्वीकारेंगे नहीं। ऐसी स्थिति में कॉरोगेटेड बॉक्स इंडस्ट्री पर ताला लागना पड़ जाएगा। उन्होंने मांग की है कि केंद्र सरकार अविलंब इस इंडस्ट्री को बचाने के लिए आवश्यक कदम उठाए।
इंदौर में ऐसी इंडस्ट्री से करीब 20 हजार लोग प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं। इंडस्ट्री बंद होने से इनके बेरोजगार होने का खतरा है। एक ओर केंद्र व राज्य सरकारें नए उद्योगों के लिए माहौल बनाने का दावा कर रही हैं वहीं कॉरोगेटेड यानी गत्ता इंडस्ट्री दम तोडऩे की स्थिति में है। इसके लिए कोई आवश्यक कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।