आषाढ़ पूर्णिमा के दिन ही वेदों के रचयिता महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था, सबसे पहले वेदों की शिक्षा उन्होंने ही दी थी इसलिए हिन्दू धर्म में उन्हें प्रथम गुरु का दर्जा दिया गया है.

इसकी यही वजह है कि गुरु पूर्णिमा को आज व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है.

पूरे भारत में गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है,  गुरु पूर्णिमा को आषाढ़ पूर्णिमा और व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है.

इस साल गुरु पूर्णिमा 3 जुलाई सोमवार यानी आज के दिन मनाई जा रही है.

गुरु पूर्णिमा मनाने का विशेष महत्त्व यह है, कि महर्षि वेद व्यास के जन्म पर ही गुरु पूर्णिमा जैसे महान पर्व मनाने की परंपरा को शुरू किया गया.

हिंदी पंचांग के अनुसार, हर साल आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है.

कहा जाता है कि उन्होंने अपने माता-पिता से प्रभु दर्शन की इच्छा प्रकट की थी और इसके बाद वो तपस्या करने के लिए वन चले गए और वन में जाकर उन्होंने कठिन तपस्या की.

इस तपस्या के पुण्य-प्रताप से वेदव्यास को संस्कृत भाषा में प्रवीणता हासिल हुई, उन्होंने चारों वेदों का विस्तार किया और महाभारत, अठारह महापुराणों सहित ब्रह्मसूत्र की रचना की, उनको चारों वेदों का ज्ञान था, इसीवजह  वजह से आज के दिन गुरु पूजने की परंपरा सदियों से चली आ रही है.