93 देशों को टोक्यो में पदक, भारत 48वें स्थान पर, और आगे बढना है तो…

Mohit
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धर्मेश यशलहा

32वें ओलंपिक की बिदाई 8अगस्त2021 को हो गई , अब 33वेंओलंपिक पेरिस में 2024में होगे, टोक्यो को अरिगातो याने धन्यवाद देगें जो कोरोना महामारी के बीच निर्धारित तारीख से एक साल बाद ही सही सफलतापूर्वक दुनिया के सबसे बडे खेल महाकुंभ का आयोजन किया, अभी टोक्यो में 24अगस्त से 5सितम्बर तक पेरालंपिक खेल भी होना है.

ओलंपिक में अमेरिका ने अपनी बादशाहत कायम रखी लेकिन चीन और जापान कडी चुनौती बन गये, भारत ने ओलंपिक इतिहास में अब तक का सबसे बेहतर प्रदर्शन किया,पदक तालिका में भी दूसरी बार 50 से कम में जगह बनाई, भारत 1980मास्को में 23वें स्थान पर रहा था, मास्को के बाद 2008बेइजिंग में स्वर्ण मिला तो, भारत पदक तालिका में50वें स्थान पर आया, 2012में 6पदक (2रजत)लेकर भारत 56वें और 2016में मात्र दो पदक के सहारे 67वें स्थान पर रहा, इस बार 63देशों ने स्वर्ण पदक जीते है और भारत 1स्वर्ण, 2रजत सहित 7 पदकों के साथ 48वें स्थान पर आया है, नीरज चौपडा आखिरी दिन स्वर्ण नही लाते तो भारत 68वें स्थान पर रहता, इस बार 93देशों ने पदक जीते है, 8देशों ने 1-1कांस्य पदक जीतकर 86वाँ स्थान हासिल किया हैं, सानमारिनो ने मात्र 5 खिलाड़ी भेजकर 1रजत सहित 3पदक जीत लिये, बुर्किन फासो को पदक मिल गया ,डोमेनिका रिपब्लिक 3रजत सहित 5पदक ले गये.और हम अब तक पुरुष हाँकी के 8स्वर्ण सहित 10स्वर्ण ही जीत सके है, टीम खेलों में इस बार हाँकी की सफलता को निकाल देवे तो हमारी स्थिति दुनिया के टीम खेलों में शून्य ही है!! अमेरिका 39स्वर्ण,41रजत सहित 113पदक और चीन 38स्वर्ण, 32 रजत सहित 88पदक ले गया, मेजबान जापान 27स्वर्ण,14रजत सहित 58 पदक जीता, कुल पदकों में ब्रिटेन65और रुस (ROC)71जापान से आगे रहे, अगला मेजबान फ्रांस इस बार आठवें स्थान पर रहा है.

हमें इस बार सफलता शासन के प्रयासों का ही नतीजा है जो बेहतर और विदेशी प्रशिक्षक, विदेश में प्रशिक्षण की सुविधाएं, साधन उपलब्ध कराये,शीर्षस्थ में आने के लिये तो हमें खेलों का माहौल बनाना होगा, इन पदकों की सफलता की लोकप्रियता का फायदा उठाकर खेलों में शुरुआती और मैदानी स्तर पर साधन-सुविधाओं का प्रबंध करना होगा, खेलों को शिक्षा के साथ जोडकर खेलों की सफलता पर शिक्षा में बोनस अंकों के साथ शुमार करने, स्टेडियम, इनडोर हाल के निर्माण और प्रशिक्षकों की बेहद जरूरत हैं, अभिभावकों(पैरैंटस)में जागरूकता लानी होगी कि बच्चों को खिलाने से भी शिक्षा में फायदा और भविष्य बनेगा, देश को अस्पतालों से अधिक खेल केंद्रों, मैदानों की जरूरत है, तभी हम और अधिक पदकों का दम भर सकते हैं, हम और नीरज चौपडा, रवि कुमार दहिया, मीरा बाई चानु, पी.वी.सिंधु, लवलीना बोरगोहेन और बजरंग पुनिया की गुंजाइश कर सकते है, हाँकी सहित टीम खेलों को हाकंने का ध्यान ‘चंद’लोगों के देने से कुछ नही होगा, खेल का माहौल बनाना होगा।