इंदौर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मालवा प्रान्त संघचालक डॉ प्रकाश शास्त्री ने बेंगलुरू में सम्पन्न अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा से लौटकर प्रेसवार्ता में जानकारी दी कि कोरोना के कारण इस वर्ष की प्रतिनिधि सभा सीमित संख्या की थी, शेष प्रतिनिधि अपने-अपने प्रान्त में आभासी (Virtual) पद्धति से जुड़े थे। लाकडाऊन के समय से परिवार शाखाएं चल रही थी, विजयादशमी के बाद पुनः मैदानीस्तर पर शाखाएं
आरम्भ हो गयी। अभी तक देश के ९०% स्थानों पर मैदानी शाखाएं आरम्भ हो चुकी हैं। शाखाएं बंद होने के बाद भी संघ की गतिविधियां नहीं थमी। आभासी (Virtual) माध्यम से परिवार संपर्क, प्रशिक्षण, प्रतियोगिताएं, बौद्धिक प्रबोधन, कार्यशालाएं निरंतर चली। इन कार्यक्रमों में दो लाख से अधिक परिवार जुडे, मालवा प्रान्त में सम्पन्न अखण्ड भारत, सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में सवा लाख से अधिक महाविद्यालयीन विद्यार्थी जुडे।
इस अवधि में स्वयंसेवकों ने सामाजिक दायित्व को भी जिम्मेदारी से निभाया। संकट के दौर में स्वयंसेवकों ने समाज के सहयोग से सबकी सेवा की, लाखों-करोड़ों की संख्या में लोगों तक दैनंदिन वस्तुओं की पूर्ति की और राहत सामग्री पहुंचाई। श्री शास्त्री ने बताया कि प्रतिनिधि सभा में देश के प्रमुख दो घटनाक्रमों पर प्रस्ताव पारित किये गये.
१. श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर का निर्माण – भारत की अन्तर्निहित शक्ति का प्रकटीकरण,
२. कोविड महामारी के खिलाफ़ एकजुट खडा भारत। सदियों के संघर्ष और लम्बी न्यायिक प्रक्रिया के बाद प्रभु श्रीराम मन्दिर का निर्माण आने वाली अनेक पीढियों को प्रेरणा देगा। समाज ने जिस उत्साह व उदारता से निधि समर्पण के द्वारा अपनी सहभागिता दर्शायी है, वह विश्व के इतिहास में कीर्तिमान है। देश भर में 20 लाख कार्यकर्ताओं ने साढे पांच लाख गांवों के 12.50 करोड परिवारों से दो माह से कम अवधि में संपर्क किया।
मालवा प्रान्त (इंदौर-उज्जैन संभाग) में 12273 में से 11841 गावों में तथा 7000 मोहल्लों में कार्यकर्ताओं के साथ स्थानीय रामभक्त समाज टोली का 33 लाख से अधिक परिवारों में संपर्क हुआ. कार्यकर्ताओं का अनुभव है कि भारत के हर जाति, वर्ग, समुदाय के हर व्यक्ति की आस्था प्रभु श्री राम में है, जो भेद दिखाई देते हैं वे ऊपरी स्तर पर ही हैं, राम ही भारत की एकात्मता के सूत्र हैं, राम मंदिर भारत
का राष्ट्र मंदिर है! कार्य विस्तार के विषय में डा शास्त्री ने कहा कि मालवा प्रान्त में संघ की पहुंच प्रत्येक ग्राम तक है, हर चार पांच गांव पर एक दैनिक अथवा साप्ताहिक शाखा है। इनकी समय-समय पर प्रशिक्षण व कार्यशालाएं लगती हैं।
प्रत्येक गांव मोहल्ले में सभी सामाजिक व्यक्तियों की मिलकर ऐसी टोली बने जो ग्राम मोहल्ले का विकास, संस्कार व सुरक्षा की ओर स्वयंस्फूर्त कार्यरत हो, इस दिशा में हम बढ रहे हैं। समाज की सज्जनशक्ति संगठित होते ही सभी प्रकार के अलगाव, संकटों का समाधान हो सकेगा। अब हमारा मुख्य केंद्र बिन्दु सामाजिक परिवर्तन के कार्यों की और है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वावलंबन, शिक्षा व स्वास्थ्य के उपक्रमों का संचालन किया जायेगा, रसायन मुक्त खेती के लिये इस वर्ष गुड़ी पड़वा (13 मार्च) से भूमि सुपोषण अभियान के तहत “धरती माता पूजन” का आयोजन प्रत्येक पंचायत स्तर के ग्रामों में किया जायेगा. भूमि-सुपोषण से अर्थ है कि मृदा में आवश्यक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए काम किया जाए। विभिन्न सामाजिक संस्थाओं तथा कृषि वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों को इस अभियान से जोडा जायेगा। गौ आधारित कृषि के लिये किसानों को प्रोत्साहित किया जायेगा। नगरीय क्षेत्रों में विशेष रूप से पर्यावरण व परिवार प्रबोधन पर केन्द्रित कार्यक्रम किये जायेंगे.
इंदौर जैसे महानगर में बढ़ते नशे के कारोबार के कारण बहकती युवा पीढ़ी चिंता का विषय है, इसके लिये परिवारों में संस्कार व संवाद ही एकमात्र समाधान है। परिवार से ही “पर्यावरण” व “समरसता” के संस्कार आने वाली पीढ़ी में हो सकते हैं। अभियान व कार्यक्रमों से केवल माहौल बन सकता है किंतु ये दोनों विषय व्यक्तिगत आचरण से जुड़े हैं, आचरण में आये बिना इन चुनौतियों का समाधान नहीं हो सकता।
भारत के जन-जन को भारत की आत्मा से जोड़ने का कार्य स्वयंसेवक कर रहे हैं, इसके लिये हर स्तर पर प्रबोधन, वैचारिक अभियान की भी आवश्यकता है, इसलिए समाज परिवर्तन का बड़ा काम और वैचारिक क्षेत्र में परिवर्तन का काम, ये दोनों करना है तो संगठन की शक्ति को बड़ा करना पड़ेगा। अपने कार्य का विस्तार सभी सामाजिक संगठनों के साथ, सद्कार्यों में सहभाग और समाज के वैचारिक प्रबोधन से ही अपना देश सर्वांगीण विकास की ओर अभिसरित होगा ऐसा मेरा विश्वास है।