Atala Masjid in Jaunpur : उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में एक नया मस्जिद-मंदिर विवाद उभर कर सामने आया है, जिससे इलाके में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। शाही अटाला मस्जिद को लेकर हिंदू संगठन ने दावा किया है कि यह पहले अटाला देवी मंदिर था, जो 13वीं सदी में राजा विजय चंद्र द्वारा बनवाया गया था। इस विवादित दावे के बाद स्वराज वाहिनी एसोसिएशन ने जौनपुर कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें मस्जिद को हिंदू मंदिर घोषित करने की मांग की गई है।
मस्जिद को मंदिर घोषित करने की मांग
स्वराज वाहिनी एसोसिएशन की याचिका में यह दावा किया गया है कि शाही अटाला मस्जिद पहले अटाला देवी का मंदिर हुआ करता था, जिसे राजा विजय चंद्र ने बनवाया था। हालांकि, बाद में इसे मस्जिद में तब्दील कर दिया गया। याचिका में हिंदुओं को इस स्थल पर पूजा करने का अधिकार देने की मांग की गई है, साथ ही गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर रोक लगाने की भी अपील की गई है। कोर्ट ने इस याचिका को रजिस्टर्ड कर लिया है और अब सुनवाई शुरू हो गई है।
अटाला मस्जिद के प्रशासन ने इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। मस्जिद प्रशासन का कहना है कि 1398 से इस मस्जिद में नियमित रूप से नमाज अदा हो रही है और मुस्लिम समुदाय यहां धार्मिक कर्मकांड करता आ रहा है। प्रशासन का यह भी कहना है कि स्वराज वाहिनी एसोसिएशन द्वारा दायर याचिका कोई न्यायिक संस्था नहीं, बल्कि एक पंजीकृत सोसाइटी द्वारा दायर की गई है। इस मामले की अगली सुनवाई 9 दिसंबर को इलाहाबाद हाई कोर्ट में होगी।
मुस्लिम और हिंदू सांस्कृतिक विरासत का संगम
जौनपुर का ऐतिहासिक महत्व बहुत गहरा है। यह क्षेत्र 1359 ई. में फीरोजशाह तुगलक द्वारा स्थापित किया गया था और तब से यह दिल्ली सल्तनत के तहत एक महत्वपूर्ण शहर बन गया। जौनपुर को कभी दिल्ली सल्तनत की पूर्वी राजधानी भी कहा जाता था। यहाँ की ऐतिहासिक इमारतों और सांस्कृतिक धरोहरों ने इसे भारतीय इतिहास में एक विशिष्ट स्थान दिलाया है।
शाही अटाला मस्जिद का इतिहास
शाही अटाला मस्जिद जौनपुर के सिपाह मोहल्ले में गोमती नदी के किनारे स्थित है। इसे 1393 में फीरोजशाह तुगलक ने बनवाना शुरू किया था और इसका पूरा निर्माण 1408 में इब्राहीम शाह शर्की ने पूरा किया। यह मस्जिद तुगलक शैली में बनी है, जिसमें उत्तम इमारत निर्माण कला की झलक देखने को मिलती है।
इस मस्जिद का प्रमुख आकर्षण इसका 75 फीट ऊंचा और 55 फीट चौड़ा मुख्य दरवाजा है, जो स्थापत्य कला का बेहतरीन उदाहरण है। मस्जिद के अंदर गुंबद, मेहराब, और सुंदर मंजिलें इसे एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल बनाती हैं। यहाँ की गोलाकार छत और ईंटों की परत से बने गुंबद इस स्थान की सौंदर्य और स्थापत्य का प्रमाण हैं।
मस्जिद या मंदिर?
हालांकि, शाही अटाला मस्जिद के इतिहास को लेकर विवाद गहरा गया है, लेकिन मस्जिद प्रशासन यह दावा करता है कि यहाँ से 1398 से लगातार मुसलमानों द्वारा नमाज अदा की जाती रही है, और यह स्थल पूरी तरह से एक धार्मिक स्थल के रूप में कार्य करता आ रहा है। अब देखना यह है कि इस विवाद का कानूनी हल क्या होता है और क्या शाही अटाला मस्जिद को हिंदू मंदिर के रूप में पुनर्निर्माण किया जाता है, जैसा कि कुछ संगठनों द्वारा दावा किया जा रहा है।