इंदौर : बायपास स्थित मोरोद मांचला में 2013 में प्रशासन की ओर से पट्टे पर किसानों और हरिजनों को दी गई जमीन को लेकर बड़ी धोखाधड़ी का पर्दाफ़ाश हुआ था. करीब 600 एकड़ जमीन अधिकांश बिल्डरों के हाथ लग गई थी, वहीं इस दौरान पुनः करीब 200 एकड़ जमीन को सरकारी भी घोषित किया गया. हालांकि इसके बाद एक बार फिर मामला गड़बड़ाया और इस संबंध में हाई कोर्ट और राजस्व बोर्ड में प्रशासन को हार का सामना करना पड़ा. लेकिन इस दौरान प्रशासन ने सर्वोच्च अदालत से स्टे प्राप्त कर लिया.
अब प्रशासन के सामने पुरानी चुनौती ही नए सिरे से खड़ी थी. उस समय 600 करोड़ रु की रहने ये जमीन आज के समय में दोगुनी होते हुए 1200 करोड़ रु की हो चुकी है. इस जमीन को वापस पाने के लिए प्रशासन की अदालत में लड़ाई जारी है. हाल ही में 28 अगस्त को इस मामले की सुनवाई हुई, जबकि अब इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 25 सितंबर की तारीख़ का चयन किया गया है.
बता दें कि 600 एकड़ जमीन में से 106 एकड़ पर ओमैक्स हिल्स पैर पसार कर खड़ा है. 2013 से पूरी जमीन को सरकारी घोषित करने का प्रयास प्रशासन की ओर से अब भी हर संभव जारी है. शहर के कलेक्टर मनीष सिंह इसे लेकर खुद मैदान में उतर चुके हैं. कलेक्टर मनीष सिंह जमीन की जांच और इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कराने का कार्य किया. इतना यही नहीं मनीष सिंह ने साथ ही प्रशासन की ओर से इस केस को लड़ने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के अभिभाषक और सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता का भी चयन किया.