इंदौर : घुटना बेहद जरुरी अंग है, जिस पर पूरे शरीर का संतुलन निर्भर करता है लेकिन कई बार इसमें घुटनों में जकड़न, दर्द और सूजन जैसी समस्याएँ देखने को मिलती है। भोपाल की 52 वर्षीय महिला पिछले कुछ दिनों से ऐसे दर्द से परेशान थी, समस्या धीरे धीरे इतनी बढ़ गई कि महिला को खड़े होने में भी कठिनाई आने लगी। जब कहीं से आराम नहीं मिला तो उसे इंदौर के शैल्बी हॉस्पिटल आने की सलाह दी गई। इंदौर में शैल्बी हॉस्पिटल के हड्डी एवं जोड़ रोग विशेषज्ञ डॉ अनीश गर्ग और उनकी टीम द्वारा लिगामेंट्स को किसी भी प्रकार का नुकसान पहुंचाए बिना उनके दोनों घुटनों की TUKSplasty की गई। केवल 24 घंटों के भीतर महिला अपने पैरों पर खड़े होने में सक्षम हो गई है।
शैल्बी हॉस्पिटल के हड्डी एवं जोड़ रोग विशेषज्ञ डॉ अनीश गर्ग के अनुसार, “पुराने समय में अगर घुटने में कोई समस्या होती थी तो पूरे घुटने को बदलने की जरूरत पड़ती थी लेकिन अब विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है कि सिर्फ घुटने का ख़राब भाग हटा कर उसे बदला जा सकता है, इस सर्जरी को पार्शियल नी रिप्लेसमेंट कहा जाता है। इसमें या तो अंदर का भाग, बाहर का भाग, या घुटने के नी कैप के हिस्से को बदला जा सकता है। पूरे घुटने के जोड़ को बदलने की सर्जरी को पूरे घुटने का इम्प्लांट कहा जाता है एवं किसी हिस्से को बदलना पार्शियल नी रिप्लेसमेंट कहलाता है। लेकिन अब इसमें भी नई तकनीक आ गई है जिसे TUKSplasty कहा जाता है। TUKSplasty टोटल नी रिप्लेसमेंट से छोटी सर्जरी होती है, जिसमें केवल चीरा वहां लगाया जाता है जहाँ समस्या होती है, इसमें विटामिन ई पॉली का इस्तेमाल किया जाता है जो कि इफ्लेमेशन को कम करता है एवं घुटने की उम्र बढाता है। एक स्टडी के अनुसार घुटने के दर्द से पीड़ित लोगों में से केवल 30 से 40% लोगों को ही टोटल नी रिप्लेसमेंट की जरूरत होती है बाकियों का केवल पार्शियल नी रिप्लेसमेंट या TUKSplasty से निदान संभव है।”
डॉ गर्ग आगे बताते हैं “ऑस्टियोआर्थराइटिस, आर्थराइटिस, घुटने के जोड़ में डैमेज का सबसे आम कारण है। ऑस्टियोआर्थराइटिस के गंभीर मामलों में टोटल नी रिप्लेसमेंट की आवश्यकता होती है जबकि अन्य में पार्शियल नी रिप्लेसमेंट किया जाता है। पहले घुटने की समस्या अक्सर बुढ़ापे में देखी जाती थी लेकिन आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में स्पोर्ट्स इंज्युरी, मेनिस्कस टियर के मामलें युवाओं में भी तेजी से बढे हैं इनमें पूरे घुटने का प्रत्यारोपण न कर केवल प्रभावित जगह को बदलना ही लाभकारी होता है। अगर टस्क प्लास्टी को उचित ढंग से किया जाए तो इसके परिणाम टोटल नी रिप्लेसमेंट से भी ज्यादा अच्छे हो सकते हैं।”
क्या है TUKSplasty के लाभ?
TUKSplasty एक ऐसी तकनीक है जो कि बहुत ही कारगर है और समय कम लेती है केवल 8 से 10 मिनिट में सर्जरी पूरी हो जाती है। ब्लड लॉस न के बराबर होता है, चीरा एकदम छोटा लगता है और रिकवरी फ़ास्ट होती है। सर्जरी के बाद पेशेंट केवल 3 से 4 घंटे में अपने घर जा सकता है। इसके अलावा भी यह सर्जरी लिगामेंट्स को किसी भी प्रकार का नुकसान पहुंचाए बिना की जाती है, जिससे शरीर की नेचुरल मेकेनिज़्म ठीक तरह से काम कर पाती है। जिसके बाद व्यक्ति राजमर्रा के सारे काम दौड़ना, भागना आसानी से कर सकता है। भारतीय संदर्भ में इसका लाभ यह है कि इस सर्जरी के बाद लोगों के लिए फर्श पर पालथी मार कर बैठ सकते हैं जबकि टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी में ऐसा करना उचित नहीं है।
शैल्बी हॉस्पिटल्स के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी डॉ अनुरेश जैन एवं मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ विवेक जोशी ने बताया “TUKSplasty में टाहो यूनिकॉन्डाइलर नी सिस्टम इम्प्लांट का उपयोग किया जाता है, अनुसंधान और विकास प्रयासों के बाद यूएसए में शैल्बी एडवांस्ड टेक्नोलॉजी के इम्प्लांट मैनुफैक्चरिंग प्लांट में तैयार किया गया। TUKSplasty विटामिन ई पॉली के साथ का इस्तेमाल कर उपयोग की जाने वाली पार्शियल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी है जिसे यूनिकम्पार्टमेंटल घुटना रिप्लेसमेंट, यूनिकॉन्डिलर घुटना रिप्लेसमेंट और माइक्रोप्लास्टी के नाम से भी जाना जाता है। TUKSplasty में उपयोग किया जाने वाला विटामिन ई पॉली घिसाव को कम करता है और घुटने की उम्र को बढ़ाता है। इसकी सबसे ज्यादा जरूरत तब है जब घुटने का केवल एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो और उसे बदलने की आवश्यकता हो। इसकी डिज़ाइन के कारण यह पार्शियल नी रिप्लेसमेंट में उपयोग होने वाले इम्प्लांट्स में सबसे बेहतर माना जाता है, जिसके परिणाम दीर्घकालिक हैं। इंदौर के शैल्बी हॉस्पिटल में अब यह सुविधा मौजूद है जिसका लाभ पूरा मध्यभारत में लिया जा सकता है।”