आलीशान कोठी के लिए 5 सीनियर IAS हुए गरीब, जानें कैसे

Akanksha
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भोपाल। आलिशान घर के सपनों की चाहत में देश के पांच आईएएस अफसर गरीब बन गए। हालांकि ये गरीब सरकार की बीपीएल वाली परिभाषा से नहीं बल्कि कोठी के साइज के हिसाब से हुए है। आप इन अफसरों के बंगलों का साइज सुनकर चौंक जाएंगे। सिर्फ 647 वर्गफीट में अफसरों की कोठी तन गई। यह साइज सरकार ने कमजोर तबके यानी निम्न आय वर्ग (एलआईजी) के लिए तय किया है।

लेकिन अफसरों ने यह साइज सिर्फ बिल्डिंग परमिशन लेने भर तक के लिए बताया है। कानून की पतली गली का फायदा उठाकर उन्होंने मौके पर आलीशान बंगले तान दिए हैं। दरअसल सरकार की एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।

कहां है ये बंगले?

आपको बता दे कि ये बंगले नीलबड़ रोड स्थित बरखेड़ी खुर्द ग्राम में साक्षी ढाबे के पास कलियासोत डेम के बैक वाटर से कुछ ही दूरी पर विस्परिंग पाम्स कॉलोनी विकसित की गई है। जहां पूर्व मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह, पूर्व मुख्य सचिव एसआर मोहन्ती, पीएचई के प्रमुख सचिव मलय श्रीवास्तव, केंद्र सरकार में ज्वाइंट सेकेट्री विवेक अग्रवाल और संजीव सिंह ने अपने आलीशान बंगले बनाए हैं। वही कॉलोनी बिल्डर समीर सबरवाल की है।

यहीं क्यों चुना?

यह ठिकाना मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के विकास योजना-2005 में शहर की आबोहवा को तरोताजा रखने के लिए लो डेंसिंटी यानी निम्न घनत्व में रखा गया है। इसलिए यहां सस्ती जमीन है और खूबसूरत नजारे भी। यही वजह है कि अफसरों ने यह जमीन ली।

बंगला बनाने के लिए अपनाया ये तरीका

अब बांग्ला खरीदने के बाद इन अफसरों के सामने दिक्कत यह थी कि लो डेंसिंटी एरिया में बंगला यानी आरामगाह कैसे बनें? लो डेंसिंटी में सिर्फ जितना एरिया है उसका 0.06 प्रतिशत हिस्से पर ही निर्माण हो सकता है। दस हजार वर्गफीट के क्षेत्र में 600 वर्गफीट। अब सवाल यह है कि इतने कम में बंगला कैसे बनेगा? वही इनमे से सीनियर अफसर हैं जो कुछ तो उसी परमिशन देने वाले नगरीय विकास एवं आवास विभाग में सबसे बड़ी पोस्ट पर काम कर चुके हैं। अफसरों ने परमिशन के लिए बरामदा, लिफ्ट, पार्किंग फ्लोर, सर्विस फ्लोर, कर्मचारी आवास, पोडियम, निजी गैरेज, फायर स्पेस जैसे कई टर्मलॉजी के जरिए बंगले के निर्माण का रास्ता निकाल लिया।

आपको बता दे कि, इन उपयोगों पर निर्माण की छूट होती है। जिसकी वजह से सभी अफसरों ने आर्किटेक्ट और बिल्डर की मदद से इन उपयोगों को बिल्डिंग परमिशन में शामिल करवा दिया और 647 वर्गफीट की बजाय 3 से 4 हजार वर्गफीट में हवेली बना ली। लेकिन टीएंडसीपी की जांच में पता चला कि अफसरों ने जिन उपयोगों को बताकर अतिरिक्त निर्माण की छूट ली है, वह मौके पर हैं ही नहीं। मौके पर ऐसे सभी उपयोगों पर किचन, बाथरूम, बेडरूम, ड्राइंग रूम आदि मिले। यानी अफसरों ने परमिशन के उलट निर्माण कर डाला।

वही प्रमुख सचिव मलय श्रीवास्तव का इस मामले में कहना है कि निर्माण कार्य नगर निगम की गाइडलाइन के आधार पर ही किया गया है। इसमें किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं की गई है। पूर्व मुख्य सचिव एसआर मोहंती ने कहा कि इस मामले में कोई जानकारी चाहिए तो नगर निगम से लीजिये। वहीं पूर्व मुख्य सचिव बीपी सिंह और केंद्रीय संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल इस मामले में कुछ बोलने को तैयार नहीं है।

टाउन एंड कंट्री प्लानिंग की रिपोर्ट के अनुसार इस क्षेत्र में अधिकांश भवन अनुज्ञा मानचित्र में जिन स्थानों के एफएआर गणना में नहीं लिया गया है, उनमें निर्माण करते वक्त उपयोग का उल्लंघन किया गया है। यही नहीं, इन स्थानों को निवास योग्य स्थानों में बदला गया है। इसके अलावा इनमें तय निर्माण से ज्यादा निर्माण भी किया गया है या चल रहा है।

क्या इस मामले में होगी जाँच

इस मामले में नगर निगम आयुक्त वी एस कोलसानी ने कहा कि जांच कराई जाएगी यदि किसी प्रकार की गडबडी मिलती है तो कार्रवाई की जाएगी।