4 दिन हुए, अब तक नही हुआ विभागों का बंटवारा, पुष्यमित्र को चाहिए फ्री हैंड

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नितिनमोहन शर्मा

नए महापौर। नई निगम परिषद। नई महापौर परिषद। कहानी वही पुरानी। पहले एमआईसी को लेकर घमासान। अब विभागों के बटवारें में फिर म्यान से तलवारें बाहर है। नेताओ के अहम इस कदर टकरा रहे है कि महापौर परिषद के गठन को 4 दिन बीतने के बाद भी सदस्यो को विभाग नही वितरित हो पाए है। कहा तो पड़े लिखे महापौर का शोर था और कहा अब कुल में कलह घुल गई। एमआइसी में हुई सांसद मंत्री की अनदेखी भाजपाई हलकों में चर्चा का केंद्र बन गई है। संघ और संगठन भी नाराज बताए जा रहे है। इसका असर विभाग वितरण में साफ नजर आ रहा है। बताते है कि महापौर पुष्यमित्र भी नाराज है।

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वे एमआईसी तक सब झेल गए। अब विभाग वितरण में वे किसी भी दबाव प्रभाव से स्वयम को मुक्त चाहते है। आखिरकार परफॉर्मेंस तो उनका ही गिना जाना है।  नई नगर सरकार के नए मंत्रिमंडल ने भाजपाई कुल में कलह के बीज बो दिए है। इस मामले में सांसद, मंत्री और महापौर की अनदेखी अब बड़ा मुद्दा बन गई है। मंत्रिमंडल चयन में सत्ता की रंगदारी ने आरएसएस की भृकुटियों को भी तान दिया है। संघ हलकों ने इसे जिद की राजनीति करार देते हुए ऐसे सभी नेताओं को राडार पर ले लिया है जिसके कारण शहर में ऐसे हालात बने। नाराजगी का असर नए मंत्रिमंडल के विभागों के वितरण में नजर आ रहा है।

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3 दिन बीत गए, महापौर परिषद के सदस्यों के विभागों का बंटवारा नही हो पाया है। सूत्र बताते है कि महापौर पुष्यमित्र भार्गव भी इस मामले में नाराज है। वे विभागों के दायित्व के साथ नए मंत्रिमंडल की घोषणा करना चाह रहे थे। इसकी तैयारी भी उन्होंने कर ली थी। लेकिन जिस तरह से पार्टी विधायको ओर बड़े नेताओं ने दबाव बनाया, उसके बाद से उन्होंने इस मामले में हाथ पीछे कर लिए। सूत्र बताते है कि इस मामले में अब महापौर पुष्यमित्र भार्गव फ्री हैंड चाहते है। उनका तर्क है कि काम तो हमे ही लेना है। लिहाजा विभाग वितरण तो कम से कम उन्हें कर लेने दिया जाए।

क्या डॉक्टर ने बोला है विधायकों
को दो दो एमआइसी दो??

पार्टी के दो बार विधायक एक पुराने नेता एमआइसी को लेकर दिलचस्प बात रखी। उनका कहना है कि क्या डॉक्टर ने बोल रखा है कि विधायकों को दो दो एमआइसी दो? पुराने नेताजी का कहना है कि जिस काम को सन्गठन को करना चाहिए उसे विधायकों के भरोसे क्यो छोड़ा गया? इन्ही हालातो के चलते पहले की एमआइसी भी विवादों में रहती आई है। इसलिए इस बार तो संगठन को चौकन्ना रहना था।

सांसद, संगठन ओर महापौर का कोटा क्यो नही?

एमआइसी चयन में क्या केवल विधायको का ही कोटा फिक्स है? इस सवाल के साथ जनसंघ के समय से राजनीति से जुड़े वयोवृद्ध नेता का कहना है कि 6 विधनासभा के हिसाब से 6 सदस्य विधायकों को दिए जाते। एक सदस्य सांसद को ओर एक सदस्य नगर संगठन को दिया जाता। शेष 2 सदस्य का चयन महापौर के विवेक पर छोड़ना था। इस हिसाब से 10 सदस्यो वाली महापौर परिषद बनती तो विवाद की स्थिति नही बनती। अब जिस महापौर को एमआईसी से काम लेना है, उसे एक भी एमआइसी लायक नही समझा गया।

सांसद की अनदेखी बनी बड़ा मुद्दा

सांसद शंकर लालवानी के साथ हुए व्यवहार ने भाजपाई हलकों को गरम कर रखा है। प्रदेश के 4 बड़े शहरों में से एक इंदौर के सांसद लालवानी का खाली हाथ रह जाना अब पार्टी में सहानुभूति का कारण बनता जा रहा है। सूत्र बताते है कि इस मुद्दे पर लालवानी ने मौन रहकर अपनी बात बड़े नेताओं तक विस्तार से पहुंचाई है। उन्हें शहर की पुरानी सांसद का भी साथ मिला हुआ है। वही पार्टी के बड़े नेता भी हतप्रभ है कि आखिर ऐसा क्या हुआ इंदौर में की ये हालात निर्मित हुए। मनमानी तो सभी विधायकों की रही लेकिन लालवानी ने केवल 4 नम्बर विधनासभा को मुद्दा बनाया हुआ है।

सिंधी समुदाय भी उद्वेलित
मराठी समाज भी आक्रोशित

एमआईसी गठन के 24 घण्टे तक तो भाजपाई हलकों में खामोशी रही लेकिन अब हलचल हुई है। आधार जातिगत बना है। सिंधी समुदाय ओर मराठी समुदाय के रूप में नाराजगी बाहर आ गई है। भाजयुमो की ताजा कार्यकारणी ने इसमें आग में घी का काम किया। रविवार को सिंधी समुदाय की तरफ से सोशल मीडिया पर मोर्चा खोला गया। इसमें बिरादरी की उपेक्षा को मुद्दा बनाया गया है।

कांग्रेस के सिंधी नेताओ ने इसे हाथों हाथ लिया। पार्टी के प्रवक्ता जयेश गुरनानी ने तो सिंधी समुदाय को आगाह करते हुए सोशल मीडिया पर उपस्थिति दर्ज कराई की जैसे अल्पसंख्यक वर्ग को हाशिये पर किया है, भाजपा अब सिंधी समुदाय के साथ ऐसा ही करने जा रही है। उधर मराठी समुदाय भी स्वयम को ठगा बता रहा है। उसका कहना है कि बरसो बरस से पार्टी के प्रति प्रतिबद्ध समाज के साथ इस बार जो व्यवहार हुआ है वो भुलाया नही जा सकता। सूत्र बताते है कि अलग अलग विधानसभाओं में रहने वाले मराठी समाज के नेताओ को टिकट मांगने के दौरान मिले खट्टे मीठे अनुभव एक जाजम पर जमा किये जा रहे है जो वक्त आने पर शीर्ष नेतृत्व के समक्ष रखे जाएंगे।

जनकार्य, स्वास्थ्य, स्वच्छता ओर राजस्व पर सबका जोर

महापौर परिषद के सदस्यों के विभाग वितरण में फिर नेताओ ने दबाव प्रभाव का खेल शुरू किया है। सबकी नजर जमकार्य विभाग, स्वास्थ्य-स्वच्छता ओर राजस्व विभाग पर लगी हुई है। लेकिन सूत्र बताते है कि विभाग वितरण में दबाव बनाने वाले नेताओ के पर कतरे जाएंगे। विधनासभा 2 को अहम विभाग मिलने के आसार ज्यादा है।