Indore News : रिश्वत मांगने वाले डॉक्टर और मलेरिया निरीक्षक को 4-4 साल की सजा एवं जुर्माना

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Indore News : माननीय न्यायालय प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश, जिला धार द्वारा दिनांक 26/06/2023 को निर्णय पारित करते हुए धारा 7, 13(1)(डी) सहपठित धारा 13 (2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 में डॉ. मोहन गुप्ता एवं मलेरिया निरीक्षक अरविन्द्र जोशी दोनो आरोपीगणों को धारा 7 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 में आरोपी को 4-4 वर्ष का सश्रम करावास एवं 500-500/-रूपये के अर्थदण्ड से एवं धारा 13 (1) (डी) सहपठित धारा 13 (2) में 4-4 वर्ष का सश्रम कारावास व 1500- 1500/-रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित कर उसे जेल भेजा गया।

टी.सी. बिल्लौरे उप संचालक अभियोजन जिला धार ने बताया कि दिनांक 21.07.2017 को शिकायतकर्ता नितेश दशोधी आफसेट आपरेटर धामनोद ने लोकायुक्त कार्यालय इंदौर में शिकायत कि की सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र धरमपुरी में 70140/-रूपये के बिल भुगतान हेतु 26000/- रूपये रिश्वत राशि की मांग डॉ. मोहन गुप्ता एवं मलेरिया निरीक्षक अरविन्द्र जोशी द्वारा की जा रही थी।

दिनांक 26/06/2017 को शिकायतकर्ता मलेरिया निरीक्षक अरविन्द्र जोशी से मिला तो उसके द्वारा 26000/- रूपये कि कमिशन के रूप में मांग की गई थी। दिनांक 18/07/2017 को शिकायतकर्ता मलेरिया निरीक्षक अरविन्द्र जोशी से मिलने गया तो उनके द्वारा बताया गया कि डॉक्टर सहाब से मिललो तो शिकायतकर्ता डाक्टर से मिला तो उनके द्वारा बताया गया कि कमिशन की पूरी राशि 30000/- रूपये ही देना पडेगा। और यह पुरी राशि अरविन्द्र जोशी को दे देना तो शिकायतकर्ता ने इसकी विधिवत लोकायुक्त पुलिस इंदौर को शिकायत की उक्त शिकायत सही पाये जाने पर लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक द्वारा ट्रेप दल गठित कर ट्रेप की कार्यवाही हेतु टिम को दिनांक 21/07/2017 को शासकीय अस्पताल धरमपुरी भेजा गया था। जहा पर नितेश दशोधी से रिश्वत राशि 20000/- रूपये लेते हुये अरविन्द्र जोशी मलेरिया निरीक्षक को रंगे हाथो डॉ. मोहन गुप्ता की उपस्थित में पकड़ा गया था।

अनुसंधान पूर्ण कर अभियोग पत्र दिनांक 06/07/2019 को न्यायालय में विचारण हेतु प्रस्तुत किया गया था। विचारण के दौरान अभियोजन ने मामले को प्रमाणित करने लिए 10 साक्षीयों को न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था और बचाव पक्ष की और से 1 गवाह प्रस्तुत किया गया था। फरियादी साक्षी नितेश दशोधी पक्षविरोधी हुवा और उसने अभियोजन का समर्थन नहीं किया फिर भी माननीय न्यायालय ने अभियोजन कि महत्वपूर्ण प्रस्थितिजन साक्ष्य पर विश्वास कर माननीय न्यायालय द्वारा मामले को प्रमाणित मानकर दण्डादेश का आदेश पारित किया गया। इस प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी श्री टी. सी. बिल्लोरे उप संचालक अभियोजन द्वारा की गई।