बुधवार को “एक देश, एक चुनाव” पर विचार करने के लिए 31 सदस्यीय संयुक्त संसदीय समिति का गठन किया गया। इस समिति की अध्यक्षता भाजपा के वरिष्ठ सांसद पीपी चौधरी करेंगे। समिति अपनी रिपोर्ट संसद के अगले सत्र के अंतिम सप्ताह के पहले दिन लोकसभा में प्रस्तुत करेगी। इस समिति में कांग्रेस की प्रियंका गांधी, भाजपा के अनुराग ठाकुर, और लोकसभा के 21 तथा राज्यसभा के 10 सदस्य शामिल हैं।
“एक देश, एक चुनाव” समिति में विभिन्न दलों के 21 सदस्य शामिल
लोकसभा के 21 सदस्यीय समूह में भाजपा के 10, कांग्रेस के 3, और सपा, द्रमुक, टीएमसी, तदपा, एनसीपी शरद, शिवसेना शिंदे, जनसेना और आरएलडी के एक-एक प्रतिनिधि शामिल किए गए हैं। उल्लेखनीय है कि सरकार ने मंगलवार को लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ आयोजित करने के लिए दो संविधान संशोधन विधेयक पेश किए थे। विधेयक पेश करने के बाद, कानून मंत्री ने इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को सौंपने की घोषणा की थी।
पीपी चौधरी के नेतृत्व में भाजपा के लोकसभा के 9 सांसदों, जिनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तमभाई रूपाला, भर्तृहरि महताब, अनिल बलूनी, सीएम रमेश, बांसुरी स्वराज, विष्णु दयाल राम और संबित पात्रा शामिल हैं, को पैनल में जगह दी गई है। इसके अलावा, कांग्रेस के 3 सांसद प्रियंका गांधी, मनीष तिवारी और सुखदेव भगत, सपा के धर्मेंद्र यादव, टीएमसी के कल्याण बनर्जी, द्रमुक के टीएम सेल्वागणपति, टीडीपी के जीएम हरीश बालयोगी, एनसीपी (शरद) की सुप्रिया सुले, शिवसेना शिंदे के एकनाथ शिंदे, जनसेना के बालाशौरी वल्लभानेनी और रालोद के चंदन चौहान भी इस समिति का हिस्सा होंगे।
जेपीसी को 90 दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश
समिति को गठित होने के बाद 90 दिनों के अंदर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी, हालांकि इस समयसीमा को बढ़ाने का भी विकल्प है। टीएमसी ने जेपीसी में कल्याण बनर्जी और साकेत गोखले को शामिल करने का प्रस्ताव रखा है। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के अलावा टीएमसी, सपा, एआईएमआईएम और डीएमके ने ‘एक देश, एक चुनाव’ विधेयक का विरोध किया है, जबकि एनडीए के सहयोगी दलों, जैसे कि भाजपा की साझेदार टीडीपी और जदयू ने विधेयक का समर्थन किया है।
2034 में एक साथ चुनाव कराने की संभावना
विधेयक संसद से पास होने के बाद, 2029 में होने वाले लोकसभा चुनाव के बाद राष्ट्रपति एक अधिसूचना जारी करेंगे, जिसमें लोकसभा की पहली बैठक की तारीख निर्धारित की जाएगी। जब 2029 में चुनी गई लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होगा, तो सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल भी समाप्त माना जाएगा। इसके बाद, 2034 में पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने की संभावना उत्पन्न होगी।