Papankusha Ekadashi : पापांकुशा एकादशी पर बनने जा रहें हैं 3 बेहद ही दुर्लभ संयोग, इस दिन जरूर करें ये खास उपाय, धन ऐश्वर्य से भरे रहेंगे आपके भंडार

Simran Vaidya
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Papankusha Ekadashi 2023: भगवान नारायण के अत्यंत प्रिय व्रत अर्थात पापांकुशा एकादशी तिथि का उपवास अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की ग्यारस अर्थात एकादशी तिथि को श्रद्धा और प्रेम के साथ रखा जाता है। वहीं पापांकुशा एकादशी का उपवास रखने से मनुष्य के जीवन से समस्त दोषों और पापों से क्षमा मिलती है। यह पवित्र व्रत भगवान नारायण कृपा से आत्म को तृप्ति दिलवाने आला सिद्ध होता है। जो मनुष्य पापांकुशा एकादशी तिथि का उपवास पूरे भक्तिभाव, श्रद्धा एवं सच्चे हृदय के साथ पूरे विधि विधान से करता है, उसे 100 सूर्य यज्ञ और 1 हजार अश्वमेध हवन करने के समान शुभ फलों की प्राप्ति होती हैं। यह उपवास भगवान नारायण के आशीष और कृपा से मनुष्य की प्रत्येक कामनाओं को पूर्ण करता हैं। चलिए जानते हैं कि इस वर्ष पापांकुशा एकादशी तिथि का उपवास कब है? पापांकुशा एकादशी तिथि की पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व क्या है?

कब है पापांकुशा एकादशी का व्रत 2023?

दरअसल हिंदू पंचांग के मुताबिक, अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 24 अक्टूबर दिन मंगलवार को दोपहर 03 बजकर 14 मिनट से शुरू होगी। जहां इस तिथि की समापन 25 अक्टूबर दिन बुधवार को दोपहर 12 बजकर 32 मिनट पर होगा। इधर उदयातिथि के अनुसार इस वर्ष पापांकुशा एकादशी व्रत 25 अक्टूबर को रखा जाना काफी ज्यादा शुभ और हितकारी माना जाता है।

3 शुभ योग में है पापांकुशा एकादशी तिथि का व्रत

इस वर्ष पापांकुशा एकादशी तिथि का उपवास 3 शुभ संयोगों को लेकर आया हैं। पापांकुशा एकादशी तिथि के व्रत वाले दिन रवि योग, वृद्धि योग और ध्रुव योग तीनों का निर्माण हो रहा हैं। उस दिन रवि योग सवेरे 06 बजकर 28 मिनट से शुरू हो रहा है और दोपहर 01 बजकर 30 मिनट तक माना जाएगा। वहीं वृद्धि योग प्रात:काल से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक रहेगा. उसके बाद से ध्रुव योग शुरू होगा, रात तक है.

पापांकुशा एकादशी 2023 पूजा का शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि

25 अक्टूबर को पापांकुशा एकादशी व्रत की विशेष पूजा आराधना आप सूर्य के उदय होने के बाद से कर सकते हैं। क्योंकि उस वक्त से रवि योग और वृद्धि योग रहेगा। क्योंकि ये दोनों ही बेहद दुर्लभ योग हैं। वृद्धि योग में आप जिस भी तरह का काम करते हैं, उसके फल में बढ़ोतरी होती हैं। रवि योग सूर्य के बेहद असर वाला और प्रभावशील होता है। उपवास के दिन आप पूजा के लिए राहुकाल का त्याग करें। उस दिन राहुकाल दोपहर 12 बजकर 05 मिनट से दोपहर 01 बजकर 29 मिनट तक रहेगा। राहुकाल में एकादशी की विशेष पूजा आराधना न करें।