3 बड़ी वजह…सिडनी में भारत को मिली हार, नहीं तो बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी पर होता भारत का कब्जा

srashti
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Indian Team Mistakes In Sydney Test : भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 2024-25 का पांचवां और निर्णायक टेस्ट मैच सिडनी में खेला गया, जिसमें ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 6 विकेट से हराकर सीरीज 3-1 से जीत ली। इस जीत के साथ मेज़बान टीम ने न केवल ट्रॉफी पर कब्जा किया, बल्कि 2025 में होने वाले वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल के लिए भी अपनी जगह पक्की कर ली। इस हार के पीछे टीम इंडिया की असफलता के कुछ अहम कारण थे, जिन पर गौर किया गया है। आइए जानते हैं कि सिडनी टेस्ट में भारत की हार के प्रमुख कारण कौन से रहे:

1. बैटिंग का फ्लॉप शो

भारत की बल्लेबाजी इस टेस्ट मैच में पूरी तरह से फेल रही। सिडनी टेस्ट में भारतीय टीम दोनों ही पारियों में 200 रन का आंकड़ा भी पार नहीं कर सकी। पहली पारी में भारत केवल 185 रन पर ढेर हो गया, जबकि दूसरी पारी में भी टीम इंडिया महज 157 रन पर सिमट गई। खराब बल्लेबाजी के चलते भारत केवल 162 रन का ही लक्ष्य ऑस्ट्रेलिया को दे पाया, जिसे कंगारू टीम ने महज 4 विकेट खोकर हासिल कर लिया। अगर भारतीय बल्लेबाज बड़ी साझेदारियां निभा पाते और रन बनाते, तो मैच का रुख कुछ और हो सकता था।

2. जसप्रीत बुमराह का चोटिल होना

भारतीय टीम के प्रमुख तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह को सिडनी टेस्ट के लिए कप्तान नियुक्त किया गया था, लेकिन दुर्भाग्यवश वह मैच के दौरान चोटिल हो गए। बुमराह को ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी के दौरान बैक स्पाज्म (पीठ में मरोड़) का सामना करना पड़ा, जिसके कारण उन्होंने केवल 10 ओवर ही गेंदबाजी की। इसके बाद वह मैदान से बाहर चले गए और दूसरी पारी में बुमराह की गेंदबाजी की कमी टीम इंडिया को खली। अगर बुमराह मैदान पर होते, तो भारत के लिए परिस्थिति अलग हो सकती थी, खासकर रन चेज के दौरान।

3. गलत टीम सिलेक्शन

सिडनी टेस्ट के लिए भारतीय टीम के चयन में कई गलतियां देखने को मिलीं। जहां ऑस्ट्रेलिया ने अपनी टीम में केवल एक स्पिनर को चुना, वहीं भारत ने दो स्पिनरों को प्लेइंग इलेवन में जगह दी। सिडनी की पिच पर चार तेज गेंदबाजों की जरूरत थी, लेकिन भारतीय टीम ने केवल तीन मुख्य तेज गेंदबाजों के साथ मैदान में उतरने का फैसला किया। इसके अलावा, स्पिनर और ऑलराउंडर वाशिंगटन सुंदर को रवींद्र जडेजा के बजाय मौका दिया गया। यदि टीम इंडिया ने चार तेज गेंदबाजों के साथ मैदान में उतरने का निर्णय लिया होता, तो बुमराह पर अतिरिक्त दबाव नहीं पड़ता और वह शायद चोटिल होने से बच सकते थे।