इंदौर। वर्तमान समय में बात अगर साइकेट्री की करी जाए तो इसको लेकर लोगों में जागरूकता कम है। लोग इसे टेबू समझते हैं वही फिल्मों में साइकेट्री को लेकर बहुत गलत तरीके से प्रजेंट किया जाता है। कई बार गांव देहात में तो इस तरह की समस्या होने पर लोग अंधविश्वास में पड़ जाते हैं इस वजह से बीमारी धीरे-धीरे बढ़ जाती है। पहले के मुकाबले साइकेट्री का ट्रीटमेंट काफी एडवांस हो गया है अब इसमें कम दवाइयों से भी बीमारी को ज्यादा बेहतर तरीके से ठीक किया जा सकता है। अगर बात वेस्टर्न कंट्री की करी जाए तो वहां साइकेट्री को लेकर इतनी ज्यादा जागरूकता है कि लोग ग्रुप में या अपने ऑफिस में बकायदा बता कर जाते हैं कि मेरा आज साइकेट्रिस्ट से अपॉइंटमेंट है। यह बात डॉ. वैभव चतुर्वेदी ने अपने साक्षात्कार के दौरान कही व शहर के प्रतिष्ठित कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल में साइकेट्रिस्ट के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
सवाल. वर्तमान समय में मनोरोग से संबंधित किस प्रकार की समस्या बड़ी है
जवाब. 2019 के बाद से जबसे कॉविड आया है तब से लोगों में एंजायटी और डिप्रेशन के केस काफी ज्यादा कॉमन हो गए हैं। में अक्सर जब स्कूल, कॉलेज और अन्य जगहों पर टॉक शो में जाता हूं और साइकाइट्रिक से रिलेटेड बातें शेयर करता हूं तो ऐसे में अक्सर देखने में यह आता है कि लोग इवेंट खत्म होने के बाद पर्सनली आकर मिलकर अपनी समस्याएं साझा करते हैं। 2020 में एक स्टडी की थी जिसमें हमने कॉविड के दौरान कार्य करने वाले 500 लोगों को लिया जिसमें डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ, एंबुलेंस ड्राइवर को शामिल किया गया इन सब को हमने एंजाइटी और डिप्रेशन के लिए स्क्रीनिंग किया। स्टडी के परिणाम यह निकलकर आए कि 500 लोगों में से सभी को एंजाइटी पाई गई वही उसमें से 70% लोगों को डिप्रेशन का शिकार पाया। अगर बात में अपनी ओपीडी की करूं तो मेरे पास आने वाले 100 पेशेंट में से 70 प्रतिशत पेशेंट डिप्रेशन, एंजायटी और अनिद्रा के होते हैं।
सवाल. एंजायटी के बढ़ने के क्या कारण है, इसके लक्षण क्या होते है
जवाब. अगर बात एंजाइटी की की करी जाए तो इसके अंदर कई बीमारियां आती है। अगर इसका सही समय पर इलाज नहीं किया जाता है तो लोगों में ब्लड प्रेशर, ह्रदय से संबंधित बीमारियां, माइग्रेन बढ़ जाता है। कई बार हार्ट अटैक आने के चांस भी इस वजह से बढ़ जाते हैं। इसके सामान्य लक्षण दिल की धड़कन अचानक बढ़ जाना जिसके दौरान हथेलियों में पसीना आना, ज्यादा घबराहट होना शामिल है। इस बीमारी के ज्यादा शिकार युवा वर्ग होते नजर आ रहे हैं जो कि 16 से लेकर 40 साल तक की उम्र के हैं। हमारे ब्रेन में सेरोटोनिन नामक न्यूरो ट्रांसमीटर होता है जिसकी कमी के चलते एंजायटी और डिप्रेशन बढ़ जाते हैं। वही हमारी बदलती लाइफस्टाइल भी इसका एक कारण है हमारा ज्यादातर समय लैपटॉप या मोबाइल की स्क्रीन के सामने बीतता है। इसी के साथ एक्सरसाइज कम होना, खानपान में बदलाव यह सब एंजायटी को बढ़ावा देता है।
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सवाल. क्या हमारी बदलती जीवनशैली ने डिप्रेशन को बढ़ावा दिया है
जवाब. हमारी लाइफ स्टाइल बहुत ज्यादा फास्ट हो गई है। हर कोई अपने करियर के पीछे दौड़ लगा रहा है ऐसे में डिप्रेशन के केस बहुत ज्यादा बढ़ रहे हैं। इसके लक्षण की अगर बात की जाए तो 14 दिन यानी कि 2 सप्ताह से ज्यादा किसी व्यक्ति को उदासी, लाइफ से बोर होना, आत्महत्या के विचार, लोगों से मिलना जुलना नही, खेल में रुचियां खत्म हो जाना, एकांत में रहना, इसी के साथ व्यक्ति को सेक्स में भी रुचि खत्म हो जाती है। इस वजह से कई बार लोगों के वैवाहिक जीवन भी बर्बाद हो जाते हैं। वही हमारी संस्कृति अब बदल गई है पहले भारतीय संस्कृति के हिसाब से जॉइंट फैमिली हुआ करती थी जिस वजह से बच्चे या अन्य व्यक्ति अपनी समस्या साझा कर देते थे लेकिन अब संभव नहीं है। इस वजह से एंजायटी और डिप्रेशन के मरीज बढ़ रहे हैं।
सवाल. क्या लोगों में अनिद्रा की समस्या बड़ी है, यह किस वजह से होती है
जवाब. कोविड के बाद से आज के दौर में अनिद्रा यानी इनसोम्निया की समस्या भी काफी ज्यादा बढ़ रही है। इसमें नींद नहीं आना तीन प्रकार का होता है जिसमें कई लोगों को नींद लगती नहीं है, कई लोगों में नींद लगती है पर बीच में जग जाते हैं इसी के साथ कई लोगों को सुबह जल्दी नींद खुलने की समस्या सामने आती है। इसमें पिछले कुछ सालों में 30 से 40% की बढ़त हुई है। वही यह समस्या सबसे ज्यादा यंग जनरेशन में देखने को मिल रही है।
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इसके कई कारण है जिसमें एंजायटी होने की वजह से लेटे लेटे सोचते रहना, ज्यादा समय तक फोन चलाना, जीवन शैली में बदलाव शामिल है। अनिद्रा की समस्या ज्यादा समय तक होने की वजह से अगर प्रॉपर नींद नहीं पूरी हो पाती है तो व्यक्ति को चीजों को याद रखने और कंसंट्रेशन करने में समस्या हो सकती है। बेहतर स्वास्थ्य के लिए व्यक्ति को 6 से 8 घंटे की नींद लेना चाहिए। और हो सके तो दिन में सोने को अवॉइड करना चाहिए इस वजह से स्लीपिंग साइकल बिगड़ जाता है कभी कभार दिन में 10 से 20 मिनट की झपकी ले सकते हैं।
सवाल आपने अपनी मेडिकल फील्ड की शिक्षा कहां से व किस क्षेत्र में पूरी
जवाब. मेरा शुरू से ही मनोरोग चिकित्सा में इंटरेस्ट था। मेडिकल फील्ड में बेहतर रैंक की वजह से मेरा चयन भारती विद्यापीठ मेडिकल कॉलेज पुणे में एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए हुआ यहां से मैंने एमबीबीएस और मास्टर में एमडी की पढ़ाई पूरी की। मैंने मेडिकल फील्ड में शिक्षा पूरी करने के बाद इंदौर के इंडेक्स मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएं दी। अभी वर्तमान में शहर के प्रतिष्ठित कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं दे रहा हूं।