ऑनलाइन आयोजित हुआ IIM इंदौर का 21वां और 22वां दीक्षांत समारोह

Ayushi
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भारतीय प्रबंधन संस्थान इंदौर (आईआईएम इंदौर) का 21वां और 22वां दीक्षांत समारोह 13 जून, 2021 को ऑनलाइन आयोजित किया गया । इस ऑनलाइन दीक्षांत समारोह में कुल 1439 प्रतिभागियों (2020 बैच से 741 और 2021 बैच से 698) ने स्नातक की उपाधि प्राप्त की । दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि सुरेश नारायणन, चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर, नेस्ले इंडिया ने दीक्षांत भाषण दिया।

दीपक सतवालेकर, चेयरमैन, आईआईएम इंदौर बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने दीक्षांत समारोह की शुरुआत की घोषणा की। उन्होंने स्नातक बैच को पिछले एक वर्ष में हुए परिवर्तनों के अनुकूल होने में प्रदर्शित की गयी अद्भुत क्षमता के लिए बधाई दी। ‘हर संकट को एक अवसर के रूप में देखें, मुनाफे के लिए नहीं;बल्कि अपना योगदान देने के लिए। कम अवसरों की शिकायत न करें, बल्कि आप जो कर सकते हैं उसमें अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दें और अपनी क्षमता का पूरा उपयोग करें’, उन्होंने कहा।

वर्तमान समय में जो भी हो रहा है, उसके लिए कोई संचालन नियम या मापदंड नहीं है;और हर व्यक्ति नए तरीकों को खोजने की कोशिश कर रहा है, इसी उम्मीद से की कोई तरीका यह स्थिति बेहतर बना देगा । आप कितनी जल्दी समायोजित और अनुकूलितहो सकते हैं; यह निर्धारित करता है कि आप कितना अच्छा काम कर सकेंगे, उन्होंने कहा।

सतवालेकर कहा कि न केवल कक्षा में प्राप्त ज्ञान, बल्कि कक्षाओं के बाहर के लोगों के साथ बातचीत से प्राप्त अनुभव – सहयोग और साझेदारी के अनुभव, चुनौती और समर्थन, दयालुता और सहानुभूतिपूर्ण होने के अनुभव – प्रतिभागियों को ज़िन्दगी में सही राह दिखाने में मदद करेंगे। उन्होंने कहा,’कभी भी ये मूल्य आपके विकास में बाधा नहीं डालेंगे, क्योंकि ये वही मूल्य हैं जो आपको आगे बढ़ने में मदद करेंगे’।

प्रोफेसर हिमाँशु राय ने अपने संबोधन में पिछले दो वर्षों में आईआईएम इंदौर द्वारा हासिल किए गए विभिन्न उपलब्धियां  साझा कीं । उन्होंने उल्लेख किया कि संस्थान का अब छात्र और संकाय विनिमय, और अनुसंधान के लिए 40+ विदेशी शिक्षण संस्थानों के साथ सहयोग है। उन्होंने यह भी कहा कि मार्च 2020 तक शीर्ष पत्रिकाओं में प्रकाशित लेखों और शोध की संख्या में पिछले शैक्षणिक वर्ष की तुलना में 25% की वृद्धि हुई है।

प्रतिभागियों को आशावादी बने रहने के लिए प्रोत्साहित करते हुए उन्होंने कहा, ‘हम मनुष्य अनुभवों और क्षणों से भरे हुए हैं। हम उन पलों के माध्यम से सीखते हैं जिनमें हम जीते हैं। हम वही हैं जो हमारे अनुभव और समझ हमें बनाते हैं और सिखाते हैं, कि हम वास्तव में कौन हैं और हम क्याबन सकते हैं । आप अभी भी अनुभव प्राप्त कर सकते हैं। आप अभी भी नयी यादें बना सकते हैं। पिछले दो वर्षों की तरह अब भी कोई काम या स्थिति योजनाबद्ध नहीं रही है।आप व्यक्तिगत और पेशेवर स्तर पर किस प्रकार निराशाओं और चुनौतियों का सामना करते हैं, यह आपके अनुभव और आपके विकास को निर्धारित करेगा’ उन्होंने कहा ।

उन्होंने स्नातक बैच को एक ऐसी दुनिया बनाने की सलाह दी जो न्यायपूर्ण, जीवंत और दयालु हो और शिक्षा का उपयोग दयालु होने के लिए करने का सुझाव दिया ।’ध्यान रहे,अब कोई आपसे यह न कहे, कि आप अपनी बारी का इंतज़ार करो। कोई आपको यह नहीं बताए कि कोई भी काम किस प्रकार किया जाना चाहिए । अपने लिए खुद तय करें। अपना रास्ता खुद चुनें । बदलाव को अपनाएं । कुछ नया करने की कोशिश करने से डरना छोड़ दें ‘, उन्होंने कहा।

स्नातक बैच को बधाई देते हुए, सुरेश नारायणन ने अपने संबोधन में प्रतिभागियों के साथ 6C- चरित्र (Character), आत्मविश्वास (Confidence), साहस (Courage), क्षमता (Competence), जिज्ञासा (Curiosity) और संतोष (Contentment)का महत्त्व साझा किया; जिसने उन्हें अब तक के सफर में मदद की। ‘चरित्र उद्देश्य, मूल्यों, व्यवहार और परिणामों का मेल है। जब जीवन में आपका उद्देश्य भरोसेमंद, सकारात्मक और सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार में तब्दील हो जाता है, तो यह एक प्रभाव उत्पन्न करता है।

यह महत्वपूर्ण है कि आप स्वयं की दृष्टि न खोएं, यह न भूलें की आप कौन है और आपमें में जो ताकत है, उसे पहचानें, क्योंकि यह आपको एक उत्कृष्ट व्यक्ति बनाएगी, उन्होंने कहा। उन्होंने कहा कि आत्मविश्वास जीवन में सफलता की क्षमता का एक महत्वपूर्ण पैमाना है। आप जो भी करना चाहते हैं, उसमें सक्षम होने के लिए यह आपको आंतरिक शक्ति और साहस देता है। उन्होंने सलाह दी, ‘अगर इस महामारी के बावजूद आप उन अवसरों को खोज सकते हैं  जहां आप एक पेशेवर के रूप में अपनी उत्कृष्टता दिखा सकते हैं, तो यह आत्मविश्वास आपको अपने सपने को हासिल करने में मदद करेगा।

‘क्षमता’ पर अपने विचार साझा करते हुए उन्होंने कहा कि यह सिर्फ शिक्षा नहीं, बल्कि शिक्षा और कौशल के बीच सम्बन्ध है जो कार्यस्थल पर चीजों को प्रदर्शित करता है। ‘याद रखें कि भले ही आप सर्वोच्च नेतृत्व की स्थिति में हों, लोग आपको आंकते हैं और आपको उस क्षमता के आधार पर मापते हैं जो आपने हाल के दिनों में प्रदर्शित की है’, उन्होंने कहा। उन्होंने प्रतिभागियों को साहसी बनने और चीजों को सही तरीके से करने के लिए अभिनव और अनूठे तरीके खोजने के लिए अपने ह्रदय की आवाज़ सुनने की सलाह दी। ‘उत्सुक रहें।

जो व्यक्ति अन्य लोगों पर अपनी छाप छोड़ सकता है वह न केवल सक्षम होता है, बल्कि उस क्षेत्र के बारे में अधिक से अधिक जानने के लिए उत्सुक भी होता है जिसमें वह काम कर रहा है । उन्होंने प्रतिभागियों को दयालु होने की सलाह दी। ‘करुणा और काबिलियत से हीआप एक प्रेरक प्रबंधक और लीडर बन सकेंगे ।

मानवीय भावनाएं और मानवीयता  आपको आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं । जितना है, उसमें संतुष्ट रहें । जब आप अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर कुछ हासिल करते हैं, तो उसके लिए आभारी रहें। उन्होंने कहा । इस अवसर पर दोनों शैक्षणिक वर्षों के लिए शैक्षिक प्रदर्शन, उद्योग छात्रवृत्ति और एनबीएफए छात्रवृत्ति की भी वस्तुतः घोषणा की गई।कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।