20 साल के युवा आंत्रप्रेन्योर अर्जुन देशपांडे भारत की फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री में ला रहे हैं बदलाव

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अर्जुन देशपांडे जेनेरिक आधार के फाउंडर तथा सीईओ हैं, जिन्होंने फार्मा इंडस्ट्री में एक नए युग की शुरुआत की है। जेनेरिक आधार का उद्देश्य भारत के 130 करोड़ से अधिक लोगों को किफायती कीमतों पर दवाएँ उपलब्ध कराना है। जेनेरिक आधार की स्थापना अर्जुन देशपांडे ने 16 वर्ष की छोटी उम्र में की थी, जिन्होंने पुराने दौर की फार्मा की दुनिया में एक नई रचनात्मक क्राँति को जन्म दिया।

एक मेडिकल स्टोर में 70 वर्षीय व्यक्ति के साथ हुई अचानक मुलाकात ने अर्जुन देशपांडे को जेनेरिक आधार के क्राँतिकारी विचार को अपनाने के लिए प्रेरित किया। वह व्यक्ति स्टोर के मालिक से बिल का भुगतान बाद में करने की अपील कर रहा था, क्योंकि दवाएँ काफी महँगी थीं। उस वृद्ध व्यक्ति पर पहले से ही कर्ज होने की वजह से मालिक उसके अनुरोध को मानने को तैयार नहीं था। उस व्यक्ति की पत्नी कैंसर से पीड़ित है, और उनका बेटा परिवार का एकमात्र सदस्य है, जो ऑटो चला कर जीविकोपार्जन करता है।

वे इतनी महँगी दवाएँ नहीं खरीद सकते थे। अर्जुन देशपांडे के लिए यह सब सुनना वास्तव में दर्दनाक था। वे इस घटना से बहुत प्रभावित हुए और भारत में बेसिक दवाओं की उच्च लागत के मुद्दे को हल करने का संकल्प लिया। गहन शोध करने के बाद अर्जुन देशपांडे ने पाया कि 60% से अधिक आबादी बेसिक दवाओं का खर्च नहीं उठा सकती है।

जेनेरिक आधार मैन्यूफैक्चरर्स से लेकर उपभोक्ताओं तक सीधे उच्च गुणवत्ता वाली दवाएँ पहुँचाता है, जिससे एक अद्वितीय रिटेल स्टोर फ्रैंचाइजी मॉडल के जरिए मार्केटिंग, डिलीवरी, स्टॉकिंग और सप्लाई चेन जैसी मिडिल-चेन लागत समाप्त हो जाती है। जेनेरिक आधार 80% तक की छूट के साथ डब्ल्यूएचओ-जीएमपी-प्रमाणित उच्च-गुणवत्ता वाली दवाएँ प्रदान करता है और इसके विशाल प्रोडक्ट पोर्टफोलियो में कार्डियोलॉजी, एंटी डायबिटिक, नेफ्रोलॉजी, न्यूरोलॉजी, न्यूट्रास्यूटिकल्स, एंटी-बायोटिक्स, ऑन्कोलॉजी, पीडियाट्रिक्स, डर्मेटोलॉजी, गैस्ट्रोलॉजी, साइकोट्रोपिक और ऑर्थोपेडिक आदि शामिल हैं।

यह अब भी लेन-देन के पुराने तरीकों का उपयोग करने वाले छोटे स्थानीय स्टोर मालिकों को उपयोगकर्ताओं के अनुकूल चलने वाले सॉफ्टवेयर भी प्रदान करता है। जेनेरिक आधार इन स्थानीय स्टोर मालिकों को डिजिटल दुनिया की ओर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है, जिससे उनका जीवन आसान और स्मार्ट हो सके। यह डिजिटल व्यवस्था चालान और बिलिंग का प्रबंधन करती है, जिसे व्यवसाय को बढ़ाने के लिए बनाया गया है, जो ऑनलाइन सेल्स से संबंधित लेन-देन को सुविधाजनक बनाती है।

दस लाख से अधिक की संख्या वाले सभी छोटे, स्वतंत्र (और अक्सर पारिवारिक स्वामित्व वाले) मेडिकल रिटेलर्स, जो तेज प्रतिस्पर्धा के कारण बाजार में टिके रहने के लिए संघर्ष कर रहे थे, अब जेनेरिक आधार की वजह से फल-फूल रहे हैं। जेनेरिक आधार उन्हें समूचे भारत में फ्रेंचाइजी दे रहा है और उन्हें एक साथ ला रहा है, ताकि वे सक्षम बन सकें और उनके व्यवसाय को अच्छी कमाई के साथ विकसित होने में मदद मिल सके। जेनेरिक आधार स्टैंड-अलोन फार्मेसीज़ को एग्रीगेट कर रहा है, जिससे कि वे बड़े रिटेल मेडिकल मॉल और ऑनलाइन फार्मेसीज़ के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकें।

जेनेरिक आधार के एप्लिकेशन के जरिए, आम आदमी दवा का ऑर्डर दे सकता है, जिस पर समान डिस्काउंट मिलेगा, और दवा नजदीकी दुकान से उपभोक्ता के घर तक एक घंटे के भीतर पहुँचा दी जाएगी। पूरे भारत में 150 से अधिक शहरों में फ्रेंचाइजी के साथ जेनेरिक आधार ने अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज की है। जेनेरिक आधार की 1500 से अधिक फ्रेंचाइजीस कश्मीर से कन्याकुमारी तक और कच्छ से अरुणाचल प्रदेश तक पूरे भारत में फैली हुई हैं।

डब्ल्यू-जीएमपी प्रमाणित, प्रतिष्ठित दवा कंपनियों के 1000 से अधिक वस्तुओं का व्यापक सेलेक्शन, जेनेरिक आधार के माध्यम से लाखों लोगों को उपलब्ध कराया गया है। जेनेरिक आधार के जरिए, अर्जुन देशपांडे ने 1500 से अधिक माइक्रो-आंत्रप्रेन्योर्स की स्थापना की है और पूरे भारत में 10,000 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार प्रदान किया है।

इस प्रकार, हेल्थकेयर सिस्टम को एक शक्तिशाली ‘आधार’ प्रदान करने के अलावा, वे इतनी कम उम्र में ही, आर्थिक प्रणाली के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। इसलिए उनके असाधारण श्रम और हेल्थकेयर सिस्टम के प्रति समर्पण के कारण, बिजनेस आइकन  रतन टाटा की नज़र उन पर पड़ी, और बाद में वे जेनेरिक आधार के साथ जुड़ गए, क्योंकि टाटा को अर्जुन देशपांडे में अपनी तरह की सोच तथा दृढ़ संकल्प दिखा। अब इन दोनों का साझा लक्ष्य ‘महँगी दवाओं से मुक्त भारत’ की स्थापना करना है।

Source : PR