भोपाल : मध्यप्रदेश में शिक्षा व्यवस्था पर एक बड़ा संकट मंडरा रहा है। हाल ही में सामने आए आंकड़े बताते हैं कि राज्य में 14 लाख से अधिक बच्चे स्कूल छोड़कर गए हैं। यह एक चिंताजनक स्थिति है, जिससे निपटने के लिए शिक्षा विभाग ने तत्काल कदम उठाए हैं।
UDISE पोर्टल की मैपिंग के दौरान यह खुलासा हुआ कि प्रत्येक स्कूल में औसतन 15-20 बच्चे स्कूल छोड़ चुके हैं। इनमें से कई बच्चों की मौत हो चुकी है, तो कई गांव छोड़कर चले गए हैं।
शिक्षा विभाग ने इस गंभीर समस्या का समाधान करने के लिए सभी जिलों के कलेक्टरों को निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों के अनुसार, कलेक्टरों को ड्रॉपआउट बच्चों की जानकारी जुटाने और स्कूल छोड़ने के कारणों का पता लगाने के लिए कहा गया है।
विभाग का लक्ष्य इन बच्चों को वापस स्कूल लाना और शिक्षा की मुख्यधारा में जोड़ना है। इसके लिए, स्कूल शिक्षकों को ड्रॉपआउट बच्चों की सूची प्रदान की गई है और उनसे इन बच्चों से संपर्क करने और उन्हें वापस स्कूल आने के लिए प्रेरित करने के लिए कहा गया है। यह पहल निश्चित रूप से राज्य में शिक्षा की स्थिति को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देगी।
यह निर्देश उन छात्रों से संबंधित है जो ड्रॉपआउट घोषित किए गए हैं लेकिन अभी भी स्कूल में अध्ययनरत हैं। ऐसे छात्रों को उनकी अध्ययनरत शाला में मैप किया जाना चाहिए।
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ड्रॉपआउट छात्रों की सूची:
- जिले के किसी अन्य गाँव/विकासखंड में चले गए ड्रॉपआउट छात्रों की सूची तैयार करें।
- सूची में PEN नाम, कक्षा और स्कूल का डाईस कोड शामिल करें।
- सूची जिला परियोजना समन्वयक और जिला शिक्षा अधिकारी को उपलब्ध कराएं।
विशिष्ट मामलों में मार्किंग:
- कक्षा 12 उत्तीर्ण छात्रों, त्रुटिपूर्ण एंट्री वाले छात्रों, डुप्लीकेट एंट्री वाले छात्रों, मृत छात्रों और स्वाध्यायी या अन्य माध्यम से अध्ययनरत छात्रों की वास्तविक स्थिति के अनुसार मार्किंग करें।