लाल आलू के कारण करोड़ों का नुकसान

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लगता है कि किसान के जीवन में कभी दुख कम नहीं हो सकते। अब फिर एक बार प्राकृतिक आपदा के कारण किसानों का करोड़ों रुपए का आलू खराब हो गया है। इस खराब आलू के कोल्ड स्टोरेज में सड़ जाने के कारण कोल्ड स्टोरेज वाले भी परेशान हैं। कोरोना काल के कारण आई प्राकृतिक आपदा ने किसानों का अकेले इंदौर जिले में 50 करोड़ से ज्यादा का आलू खराब कर दिया। आलू के खराब होने से किसान और कोल्ड स्टोरेज वाले दोनों परेशान हैं। सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को हुआ है। 15 जनवरी से किसान आलू कोल्ड स्टोरेज में रखना शुरू कर देता है, ताकि भाव मिलने पर उसे मंडी में बेचा जा सके। मार्च-अप्रैल में कोरोना काल ने किसानों की तकदीर खराब कर दी। करोड़ों रुपए का अच्छा आलू समय बीत जाने के कारण खराब होता जा रहा है।

कायदे से किसानों को 15 जुलाई के पहले कोल्ड स्टोरेज आलू मंडी में ले जाकर भेज देना था। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। यही कारण है कि आलू खराब होता गया और किसान सर पर हाथ रखकर बैठा रह गया। इंदौर जिले के लगभग सो कोल्ड स्टोरेज में 25 लाख कट्टे कोल्ड स्टोरेज में खराब हो रहे हैं। अधिकांश आलू खराब हो चुका है, लेकिन मंडी में आलू की डिमांड नहीं होने के कारण भाव भी मात्र 50 पैसे किलो आलू के हो गए हैं। आलू 10 से 12 रुपए किलो में बिकना था। वह भाड़े से भी ज्यादा महंगा हो गया है, क्योंकि कोल्ड स्टोरेज से मंडी तक आने वाले आलू का भाड़ा लगभग 2 रुपए किलो है। ऐसे में किसान अब कोल्ड स्टोरेज वाले आलू निकालने को तैयार नहीं है। किसानों और कोल्ड स्टोरेज वालों के बीच हुए एग्रीमेंट के मुताबिक 15 जुलाई तक सभी को अपना माल मंडी में लाकर बेच देना था।

लगातार डिमांड कम हो गई और आलू बेकार हो गया। आलू चिप्स बनाने वाली बड़ी-बड़ी कंपनियां भी परेशान है। क्योंकि आलू की चिप्स भी ज्यादा नहीं बिक रही। इन कंपनियों ने पहले से ही आलू स्टोरेज कर रखे थे, जो आलू कंपनियों के पास रखे हैं। वहां रखा आलू भी काम नहीं आ पा रहा है। जब चिप्स ज्यादा नहीं दिखेगी, तो कंपनियां भी माल कम बनाएगी। आलू से जो पाउडर बनता है वह भी नहीं बन पा रहा है। इस कारण किसान सबसे ज्यादा परेशान है। आलू की एक और परेशानी यह है कि उसका बीमा नहीं होता है। किसान के पास कोल्ड स्टोरेज का किराया देने का भी पैसा नहीं है। कोल्ड स्टोरेज वालों ने एग्रीमेंट के मुताबिक किसानों को आलू बाहर करने के लिए अखबारों में जाहिर सूचना और नोटिस भी जारी कर दिए है, लेकिन किसान भी आलू लेकर कहां जाए।

अब तो हालत यह है कि आलू फेंकने के लिए भी जगह नहीं है क्योंकि जिस किसान के खेत में आलू फेंके जाते हैं, वह भी नाराज हो जाता है। अब इस खराब आलू से खाद ही बनाई जा सकती है। उसके लिए भी बड़ी जगह की जरूरत है। वह जगह भी मिलना आसान नहीं है।कोल्ड स्टोरेज वाले दो तरफा परेशान हैं किसान उनको आलू रखने का पैसा नहीं दे रहे। कोल्ड स्टोरेज में रखा आलू बाहर नहीं होने के कारण वह दूसरा माल भी नहीं रख पा रहे। ऐसे में आखिर क्या करें। लगातार व्यापारी और किसान बात कर रहे हैं लेकिन कोई बीच का रास्ता नहीं निकल पा रहा है।

सरकार इस मामले में ध्यान नहीं दे रही है। कृषि विभाग के अफसर भी कोई सहयोग करने को तैयार नहीं है, क्योंकि सरकार की इस तरह के खराब को लेकर कोई पालिसी नहीं है।  कोल्ड स्टोरेज वाले यदि 31 अक्टूबर तक आलू बाहर नहीं सकेंगे, तो उनको आलू की सड़ांधके कारण कोल्ड स्टोरेज की मरम्मत भारी पड़ जाएगी। साफ सफाई भी करना पड़ेगी। ऐसे में अब किसान और कोल्ड स्टोरेज वालों के बीच विवाद होने की भी संभावना है। सभी चाह रहे हैं कि कोई ऐसा रास्ता निकल जाए जिससे दोनों की समस्या हल हो जाए। फिलहाल आलू रोज ज्यादा से ज्यादा खराब होता जा रहा है, और आखरी फैसला लेने में देरी हो रही है।