MP: मानवाधिकार आयोग के नाम का दुरुपयोग, SP से जवाब की मांग

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भोपाल। मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय अध्यक्ष न्यायमूर्ति नरेन्द्र कुमार जैन को जबलपुर के डा. एससी बटालिया से एक आवेदन प्राप्त हुआ। आवेदन में आवेदक ने कथित रूप से अन्तराष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, जबलपुर के अध्यक्ष सलीम खान एवं अन्य के विरूद्ध उपरोक्त संस्था गठित करके अध्यक्ष एवं सचिव द्वारा कार्यकारिणी परिषद घोषित किये जाने के संबंध में प्रेसवार्ता आयोजित करने का जिक्र करते हुये इस कथित संगठन के विरूद्ध मानव अधिकार आयोग के नाम का दुरूपयोग करने की शिकायत की थी। आयोग द्वारा शिकायत दर्ज कर ली गई है। मानव अधिकार आयोग के नाम का दुरूपयोग करने की शिकायत पर त्वरित संज्ञान लेकर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिये सख्त रूख अपनाते हुये आयोग ने पुलिस अधीक्षक, जबलपुर को संबंधितों के विरूद्ध फौरन विधि सम्मत कार्यवाही कर की गई कार्यवाही का 8 अक्टूबर 2021 तक तथ्यात्मक प्रतिवेदन मांगा है।

उल्लेखनीय है कि मानव अधिकार आयोग के नाम का दुरूपयोग करने की घटनाओं पर संज्ञान लेकर आयोग ने 24 अगस्त 2017 को एक विस्तृत आदेश पारित किया था, जो कार्यवाही हेतु सभी संभागायुक्तों, सभी कलेक्टर्स एवं पुलिस अधीक्षकों को भेजा गया था।

तीन मामलों में स्वसंज्ञान

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय अध्यक्ष न्यायमूर्ति नरेन्द्र कुमार जैन ने तीन मामलों में स्वसंज्ञान लेकर संबंधितों से जवाब मांगा है।

जबलपुर में डेंगू पीडित 50 से ज्यादा मरीज अस्पताल में भर्ती

आयोग ने मुख्य सचिव एवं अतिरिक्त मुख्य सचिव, चिकित्सा सेवाएं से दो सप्ताह में मांगा जवाब

जबलपुर के विक्टोरिया अस्प्ताल में इन दिनों डेंगू से बीमार मरीजों की संख्या 53 है। माना जा रहा है कि यह संख्या और ज्यादा हो सकती है, क्योंकि निजी डाक्टरों के पास भी बडी संख्या में मरीज पंहुच रहे हैं। जबलपुर शहर के जिला विक्टोरिया अस्पताल सहित शहर के विभिन्न प्रायवेट हास्पिटल्स की ओपीडी में डेंगू का टेस्ट व इलाज कराने वालों की भीड़ बढती ही जा रही है। नगर निगम द्वारा जिन घरों में दूसरी बार डेंगू का लार्वा मिल रहा है, उन घरों पर 200 रूपये फाईन किया जा रहा है। डेंगू के बढ़ते मामलों पर स्वसंज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने मुख्य सचिव, म.प्र. शासन तथा अतिरिक्त मुख्य सचिव, म.प्र. शासन, स्वास्थ्य सेवाएं से दो सप्ताह में जवाब मांगा है। आयोग ने इन अधिकारियों से पूछा है कि राज्य में डेंगू नियंत्रण को लेकर क्या व्यवस्थाएं एवं तैयारियां की गई हैं ?

बेटे हैं नहीं, बेटियां भी नहीं बन पाईं सहारा, अब इलाज और आश्रय के लिए भटक रहीं ‘हल्कीबाई’

बेटों पर अक्सर बुजुर्गों व परिजनों का सम्मान और देखभाल नहीं करने के आरोप लगते रहते हैं, लेकिन बेटों के सुख से वंचित वृद्धा ने जब बुढापे में बेटियों की ओर आशा भरी निगाहों से देखा, तो दो बेटियां भी मां की देखभाल नहीं कर पाईं। शरीर पर चोटें हैं, घावों के संक्रमण से परेशान हल्कीबाई अकेले हमीदिया अस्पताल के चक्कर काटने को मजबूर हो गई। वृद्धा की दुर्दशा देख एक समाजसेवी ने उन्हें अस्पताल में बिस्तर तो दिला दिया, लेकिन अस्पताल के बाद अब उनका आश्रय कहां होगा, यह सवाल है। मामले में स्वसंज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने सचिव, म.प्र. शासन, महिला एवं बाल विकास विभाग, सचिव, म.प्र. शासन, सामाजिक न्याय विभाग तथा कलेक्टर भोपाल से एक माह में जवाब मांगा है। आयोग ने इन अधिकारियों से पूछा है कि हल्कीबाई की वृद्धावस्था पेंशन चालू की गई है या नहीं ? माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम, 2007 में कार्यवाही की गई है या नहीं ?

छिंदवाड़ा: सच साबित करने बहू को अंगारों पर चलना पड़ा

छिंदवाड़ा जिले के मोहखेड़ के महू गांव की एक महिला को सास के आरोपों को झूठा साबित करने के लिये रामकोना के तथाकथित बाबा के दरबार में अंगारों पर चलना पड़ा। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पुलिस हरकत में आई। इधर, जागरूक स्वयंसेवी संगठनों ने समाज में अंधविश्वास फैलाने वाले बाबा पर सख्त कार्यवाही की मांग की है। मामले में स्वसंज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने पुलिस अधीक्षक, छिंदवाड़ा से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है। आयोग ने पूछा है कि मामले की एफआईआर दर्ज की गई है या नहीं ? यदि एफआईआर दर्ज की गई है, तो उसकी वर्तमान स्थिति क्या है ?