सबको जन्मदिन और विवाह वर्षगांठ की बधाई देने वाले हेमंत शर्मा का नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज

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इस काम को करने वाले हिंदुस्तान के सबसे पहले पत्रकार हेमंत शर्मा की कहानी कुछ इस तरह से है, जो उन्होंने खुद लिखी और बताया कि कैसे उन्होंने यह काम किया। इस कार्य के प्रेरणा स्त्रोत रहे जनक गांधी जी। सच में 01 मार्च 2021 का दिन मेरे लिए अविश्मरणीय है, क्यो में बताता हुं। इस दिन मेरा नाम वर्ल्ड बुक आॅफ रिर्कोडस यु. के में मेरा नाम भी दर्ज हुआ। क्यों हुआ अब इस सफर की और चलते है।
सच कहूं तो सोचा भी नहीं था कि कभी यह भी होगा , क्योकि रिर्कोड के लिए तो इसकी शुरुवात हीं नहीं की थी। लगभग 28 साल पहले जो सिलसिला शुरु हुआ , लोगों को उनके जन्मदिन व विवाह की वर्ष गांठ पर खुद तो बधाई देना हीं वरन शहर स गांव, प्रदेश , देश और विदेशो तक एक संदेश बनाकर उसे हजारो लाखो लोगों तक पहुंचाने का कार्य आज भी अनवरत जारी है।

इसकी शुरुवात भी काफी रोचक हुई, एक बार सुबह से शाम तक परिवार के भी किसी सदस्य ने मुझे (जब में काफी छोटा था) विश नहीं किया , जैसा की व्यस्तता के कारणहोता भी है । पर यह बात मन को लग गई और लगा कि किसी को जन्मदिन पर शुभकामनाए ना मिले तो कितना फील होता होगा, जैसा मुझे हुआ । हालाकि शाम होते होते परिवार के सभी सदस्यो ने जन्मदिन का आार्शिवाद भी दिया और घर में छोटा होने के नाते धुम धाम से जन्मदिन मनाया भी गया । लेकिन सुबह से शाम तक किसी ने कुछ कहा नहीं तो मन में जो जन्मदिन को लेकर उत्साह था वह ठंडा हो चुका था।

उस के पश्चात इंदौर का पहला लोकल चैनल ओटीजी चैनल में मेरी पत्रकारिता की शुरुवात हुई , वहां जनक गांधी जी के सानिध्य में कार्य की शुरुवात की, जनक सर की खासियत थी की वे अपनी पुरे स्टाफ का जन्मदिन अपनी डायरी में लिख कर रखते थे और स्वयं भी बधाई देते थे । वहीं मेरे लिए पहली प्रेरणा रही। बस उसी समय से जब उस दौर में ना मोबाईल थे ना हीं पेजर ना , वॉट्स एप, ना ट्वीटर ना और ना हीं सोषल मिडिया को यह दौर था। बस शुरु हुआ अपने हीं कुछ साथियो के जन्मदिन नोटडाउन किये डायरी में लिखे और जब जब किसी का जन्मदिन होता था तो अपने हीं गिने चुने साथियों को मुंह जुबानी बताया जाता था और हां कुछ समय पश्चात उस वक्त जब मोबाईल नहीं थे तब ओ टी जी चैनल में वॉकी टॉकी सेट हुआ करते थे जो हमारी कन्युनिकेशन का स्त्रोत हुआ करता था उस पर भी में रे द्वारा सेट पर साथियों के जन्मदिन का संदेश प्रसारित किया जाता था ,

इस बीच पेजर का दौर भी आया तब पेजर पर मैसेज देना शुुरु किये । उसके बाद दौर आया रिम मोबाईल का ॅजिसमें 5-5 लोगों के ग्रुप पर मैसेज किये जा सकते थे ऐसे में उस मोबाईल पर मैसेज बनाना और फिर ग्रुप बना बना कर लोगों तक पहुंचाना मेरे लिए बडा चैलेंज भी था लेकिन पता नहंी क्या शौख और जुनुन रहा बस सुबह से शाम तक लोगों को ज्यादा से ज्यादा शुभकामनाए मिले उसके लिए सुबह से लेकर रात तक लोगों तक संदेश पहुंचाने का कार्य करता रहता था, तब तक पत्रकारिता में लोगों से नाम , नंबर , ले लेता था और डायरी में उनके जन्मदिन की तारीख नोट करता रहता था , कारवा पता नहीं कब इतना बडा हो गया कि डायरी तक भर गई , तो मेल , और जो भी डीजीटल प्लेटफार्म मिलते गए उन पर नोट करता चला गया । और रोजाना जब भी काम होता तो उसके बीच समय निकाल कर इस कार्य को अंजाम देने का प्रयास किया , रिलायंस रिम का मोबाईल कु छ समय चलाया और जब उस मोबाईल को बंद किया तो उसमें टैक्स्ट मैसेज का डेटा देखा तो लगभग 94,000 से अधिक मैसेज भेजे जा चुके थे।

उस वक्त मोबाईल के कॉल की दर भी महंगी थी और संदेश (मैसेज )भैेजना भी काफी महंगा काम था। उस वक्त भी कईबार मोबाईल के बिल 5500 तक आते थे कईबार तो उससे भी अधिक। किश्तो में मोबाईल के बिल भरे पर जुनून जारी रहा । समय बितता गया विवाह भी हो चुका था तो कईबार इस कार्य के कारण घर के सदस्य भी कहा करते थे कि दिन भर क्या करते रहते हो।  क्या मिल जाएगा इससे। इतना समय बर्बाद नहीं करना चाहिए।  ब्ला ब्ला। तो भाईयों से भी कैसे इसे कम समय में किया जाएउसे लेकर सुझाव मिले। वह भी अमल कि ये । और आगे बढते गए।

मोबाईल केबाद दौरा आया सोषल मिडिया का जब वॉट्स एप और फेस बुक, ट्वीटर, इस्टाग्राम और भी कई माध्यम मिले जिसके सहारे से मैने अपने संदेशो को कईसौ से लेकर हजारो और अब तो कई लाख लोगो तक पहुंचाने का कार्य किया। आज लगभग 12000 से अधिक लोगों को में अपने मोबाईस संपर्क नंबर से पर्सनली करीब 16000 मेरे कॉन्टेक्ट लिस्ट को भेजतां हु, वॉट्स एप करता हुं, फैस बुक के तीन अकाउंट में जिसमें हजारो फॉलोअर्स भी है वहां पोस्ट करता हुं, ट्वीटर , इस्टाग्राम, भोपू एप और भी कई माध्यम पर रोजाना कई लोगो केसंदेश जिसमें केवल मेरे परिचित जिन्हें में व्यक्तिगत जानता हुं जिसमें मित्र गण, साथी पत्रकार, अधिकारी वर्ग, राजनेता, डॉक्टर्स, इंजिनियर, सांस्कृतिक गतिविधियों से जुडे लोग, और भी अलग अलग विधाओ के साथियों के नाम नंबर , और पद के अपडेट के साथ रोजाना मैसेज बनाकर सुबह सुबह लोगों तक पहुंचाना मेरा पहला कार्य होता है।

बर्थ डे वायरल बॉय के नाम मिला – 
अनवरत यह सिलसिला जारी है तो मुझे बर्थ डे बॉय… या बर्थ डे वायरल बॉय के नाम भी साथियों से मिले ….. इस कार्य को वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद दिक्षित जी व रोहित मिश्रा जी द्वारा डी.डी न्युज ने भी स्टोरी के रुप में उठाया और जिस कारण देश विदेश तक से लोगों के संदेश आए …. वहीं हिंदुस्तान टाईम्स से रितेश मिश्रा जी और पुन्यप्रिय मित्रा जी द्वारा तीन कॉलम स्टोरी की राजेश जौहरी (महू ) ने भी इस कार्य को अपने पेपर में स्थान दिया ,, दैनिक भास्कर में देवी कुंडल जी ने इसे स्थान दिया जो मनोबल बढाने वाला था….. दैनिक चैतन्य लोक में  प्रबल भाई ने स्थान दिया तो  अजय सिंह जी ने अपने समाचार पत्र प्रधान संपादक में स्थान दिया साथ हीं बिच्छू डॉट कॉम में प्रणव बजाज जी ने स्थान देर उत्साह बडाया ………

कई अखबार और चैनल्स ने स्थान दिया तो उर्जा और बढी और मेरे इसी कार्य पर केंद्रीत खबरो से काफी प्रशंषा मिली , हिंदुस्तान टाईम्स की खबर पडकर रेडीयो जॉकी रवि भाई का फोन आ गया सुबह सुबह रेड एफ एम पर अपने कार्यक्रम में इंटरव्यू के लिए बुलाया वहां से भी काफी प्रशंषा प्राप्त हुई, ,,, यह कार्य 25 साल से ज्यादा समय यानि लगभग 28 साल से जारी है ……

यह रिर्कोड में शामिल हो सकता है इसका पहली बार एहसास मुझे वरिष्ठ पत्रकार रमण रावल जी ने कराया। उन्होने कुछ वर्ष पहले मेरा जन्मदिन का डेटा मांगा और कहा इसे रिर्कोड में शामिल करवाए ऐसा प्रयास करते है …. वहीं अतुल मलिकराम जी जोकि इंदौर की ख्यात पीआर एजेंसी 24 * 7 के डायरेक्टर है वे तो मुझे इस कार्य के लिए हमेशा प्रेरित करते आए और वे तो पद्मश्री हेमंत शर्मा कहते हुएहीं पुकारते है , यह उनका स्नेह है……

एक मार्च 2021 को अल्मा टाईम्स के डायरेक्टर और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ एडवोकेट संतोष शुक्ला जी के द्वारा इस कार्य को वह उंचाईयां दी गईहै जो मैने कभी सोचा भी नहीं था, मौका था वर्ल्ड बुक आॅफ रिर्कोडस यु. के में नाम दर्ज होना और सांसद श्री शंकर लालवानी व वरुण कपूर जी , एवं संतोष शुक्ला जी द्वारा यह सौभाग्य प्राप्त हुआ। बहुत बहुत आभार। सभी साथियों का जिन्होने समय समय पर मेरा उत्साह वर्धन किया।